न्यायियों
5 उस दिन दबोरा+ ने अबीनोअम के बेटे बाराक+ के साथ यह गीत गाया:+
3 हे राजाओ सुनो! हे शासको कान लगाओ,
मैं यहोवा के लिए गाऊँगी,
इसराएल के परमेश्वर यहोवा+ की तारीफ में गाऊँगी।*+
4 हे यहोवा जब तू सेईर से निकला,+
एदोम के इलाके से होकर गया,
तब धरती काँप उठी, आकाश के झरोखे खुल गए
और बादल ज़ोरों से बरसने लगे।
6 अनात के बेटे शमगर+ के दिनों में,
याएल+ के दिनों में, सड़कें सूनी हो गयीं,
मुसाफिर दूसरे रास्तों से आने-जाने लगे।
7 इसराएल में गाँव-के-गाँव खत्म हो गए।
फिर मैं, दबोरा+ उनकी मदद के लिए खड़ी हुई
उनकी माँ बनकर मैंने उन्हें सँभाला।+
8 उन्होंने अपने लिए नए-नए देवता चुन लिए।+
यहोवा की बड़ाई हो!
10 हे भूरे गधों पर सवार होनेवालो,
बढ़िया-बढ़िया कालीनों पर बैठनेवालो,
हे सड़कों पर चलनेवालो, ध्यान दो:
11 कुएँ पर पानी पिलानेवालों में बातें हो रही थीं,
वे यहोवा के नेक कामों का गुण गा रहे थे,
उसके लोगों के नेक कामों की वाह-वाही कर रहे थे,
उन लोगों की जो इसराएल के गाँवों में रहते हैं।
तब यहोवा के लोग फाटकों की तरफ गए।
उठकर एक गीत गा!+
हे अबीनोअम के बेटे बाराक!+ फुर्ती कर और अपने बंदियों को ले जा।
13 बचे हुए लोग हाकिमों के पास आए,
यहोवा के लोग शूरवीरों का सामना करने मेरे पास आए,
14 जो लोग घाटी में उतरे वे एप्रैम से थे।
हे बिन्यामीन, वे तेरे लोगों के साथ तेरे पीछे-पीछे आ रहे हैं।
बाराक घाटी में पैदल गया,+
मगर रूबेन का घराना मन टटोलता रह गया।
रूबेन का घराना बस मन टटोलता रह गया।
आशेर समुंदर किनारे हाथ-पर-हाथ धरे बैठा रहा,
अपने बंदरगाह से टस-से-मस न हुआ।+
पर लूट में उनके हाथ चाँदी नहीं लगी।+
20 आसमान के तारों ने युद्ध किया,
वे अपने पथ में घूमते हुए सीसरा से लड़ने लगे।
मैंने बड़े-बड़े योद्धाओं को कुचल डाला।
23 यहोवा के स्वर्गदूत ने कहा, ‘मेरोज को शाप दो,
उसके निवासियों को शाप दो।
क्योंकि वे यहोवा की मदद करने नहीं आए,
उनके सूरमा, यहोवा की मदद के लिए नहीं पहुँचे।’
25 सीसरा ने पानी माँगा और उसने उसे दूध दिया,
दावत के बड़े कटोरे में उसे मलाईवाला दूध पिलाया।+
26 उसने हाथ बढ़ाकर तंबू की खूँटी ली,
दाएँ हाथ से उसने मज़दूर का हथौड़ा उठाया
और सीसरा को ऐसा मारा कि उसका सिर फट गया,
उसकी कनपटी आर-पार छिद गयी।+
27 वह उसके पैरों पर ही ढेर हो गया,
वह गिरा और फिर उठ न सका,
हाँ, वह उसके पैरों पर ही ढेर हो गया
और उसने वहीं दम तोड़ दिया।
28 खिड़की पर एक औरत आँखें बिछाए हुए थी,
हाँ, सीसरा की माँ झरोखे से ताक रही थी,
‘उसका रथ अभी तक आया क्यों नहीं?
उसके घोड़ों की टाप क्यों नहीं सुनायी दे रही?’+
29 महल की बुद्धिमान औरतों ने उससे कहा,
उसने भी मन-ही-मन सोचा,
30 ‘वे लोग ज़रूर लूट का माल बाँट रहे होंगे,
हर योद्धा को एक या दो लड़कियाँ दी जा रही होंगी,
सीसरा को रंगीन कपड़े दिए जा रहे होंगे, लूट में मिले रंगीन कपड़े।
हर लुटेरे को गले में डालने के लिए
रंगीन, कढ़ाईदार कपड़ा मिल रहा होगा,
हाँ, उन्हें दो-दो कपड़े मिल रहे होंगे।’
31 हे यहोवा, तेरे सब दुश्मन इसी तरह मिट जाएँ,+
मगर जो तुझसे प्यार करते हैं,
उनका तेज उगते सूरज की तरह बढ़ता जाए।”
इसके बाद 40 साल तक देश में शांति बनी रही।+