यशायाह
34 हे राष्ट्रो, पास आकर सुनो!
हे देश-देश के लोगो, ध्यान से सुनो!
पृथ्वी और जो कुछ उसमें है,
ज़मीन और जो कोई उस पर रहता है, सब सुनो!
वह उन्हें पूरी तरह से नाश करेगा,
उन्हें घात होने के लिए दे देगा।+
4 आकाश की पूरी सेना गल जाएगी,
आकाश को खर्रे की तरह लपेटकर रख दिया जाएगा।
जैसे अंगूर की बेल के पत्ते
और अंजीर के फल सूखकर गिर जाते हैं,
वैसे ही आकाश की सेना मुरझाकर गिर जाएगी।
5 “आकाश में मेरी तलवार तर होगी।+
यह तलवार एदोम को सज़ा देने के लिए उतरेगी,+
उन लोगों को, जिन्हें मैंने नाश के लायक ठहराया है।
6 हाँ, यहोवा की तलवार खून से, चरबी से तर होगी,+
मेढ़ों और बकरों के खून से सनी होगी,
मेढ़ों के गुरदे की चरबी से ढकी होगी।
क्योंकि यहोवा बोसरा में बलिदान चढ़ाएगा
और एदोम में बहुतों का खून बहाया जाएगा।+
7 जंगली साँड़ भी उनके साथ नाश होने आएँगे,
बैल भी हट्टे-कट्टे बैलों के साथ आएँगे,
उनका देश खून से भीग जाएगा,
धूल चरबी से सन जाएगी।”
8 यहोवा ने दुश्मनों से बदला लेने का दिन ठहरा दिया है,+
वह साल तय कर दिया है, जब उन्हें सिय्योन पर ज़ुल्म करने की सज़ा देगा।+
10 वह दिन-रात सुलगती रहेगी,
उससे हमेशा धुआँ उठता रहेगा,
पीढ़ी-पीढ़ी तक वह उजाड़ पड़ी रहेगी,
फिर कभी कोई उसमें से होकर नहीं गुज़रेगा।+
परमेश्वर नापने की डोरी और साहुल से उस नगरी को नापेगा,
क्योंकि उसने ठान लिया है कि वह उसे सुनसान और तबाह कर देगा।
12 उसके किसी भी रुतबेदार आदमी को राजा नहीं बनाया जाएगा
और उसके सारे हाकिमों का अंत हो जाएगा।
13 नगरी की मज़बूत मीनारों पर काँटे निकल आएँगे,
उसके किलों में बिच्छू-बूटी और कँटीली घास उग आएगी।
वह नगरी गीदड़ों की माँद
और शुतुरमुर्गों का अड्डा बन जाएगी।+
14 रेगिस्तान के जंगली जानवर, गीदड़ों के साथ रहेंगे,
जंगली बकरा अपने साथी को बुलाएगा,
वहाँ छपका* डेरा जमाएगा और आराम फरमाएगा।
15 उड़नेवाली साँपिन वहाँ अपना बिल बनाएगी और अंडे देगी,
उन्हें सेएगी और बच्चों को अपने साए में इकट्ठा करेगी।
वहाँ चील भी अपने-अपने जोड़े के साथ जमा होंगी।
16 यहोवा की किताब में ढूँढ़ो और उसे ज़ोर से पढ़ो।
उनमें से एक भी नहीं छूटेगा,
कोई अपने जोड़े से अलग न होगा,
क्योंकि यह हुक्म यहोवा के मुँह से निकला है
और उसकी पवित्र शक्ति ने उनको इकट्ठा किया है।
वह जगह हमेशा के लिए उनकी हो जाएगी
और पीढ़ी-पीढ़ी तक वे उसमें बसे रहेंगे।