इफिसियों के नाम चिट्ठी
3 इस वजह से मैं पौलुस जो मसीह यीशु की खातिर और तुम जो दूसरे राष्ट्रों के लोग हो, तुम्हारी खातिर कैद में हूँ+ . . . 2 तुमने ज़रूर सुना होगा कि तुम्हारे लिए मुझे परमेश्वर की महा-कृपा के प्रबंधक होने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी थी+ 3 यानी मुझ पर पवित्र रहस्य प्रकट किया गया था, जैसा कि मैं पहले चंद शब्दों में लिख चुका हूँ। 4 इसलिए जब तुम यह पढ़ोगे तो जान लोगे कि मैं मसीह के पवित्र रहस्य+ की कैसी समझ रखता हूँ। 5 बीते ज़माने में किसी भी पीढ़ी पर यह रहस्य उस हद तक प्रकट नहीं किया गया था, जैसा आज पवित्र शक्ति से उसके पवित्र प्रेषितों और भविष्यवक्ताओं पर प्रकट किया गया है।+ 6 यानी यह कि दूसरे राष्ट्रों के लोग मसीह यीशु के साथ एकता में और खुशखबरी के ज़रिए हमारे संगी वारिस हों, हमारे साथ एक ही शरीर के अंग हों+ और परमेश्वर के वादे में हमारे साथ साझेदार हों। 7 मैं परमेश्वर की महा-कृपा की वजह से इसी पवित्र रहस्य का सेवक बना हूँ। उसने मुझे यह मुफ्त वरदान अपनी ताकत के ज़रिए दिया है।+
8 मुझ जैसे आदमी पर, जो पवित्र जनों में सबसे छोटा है,+ यह महा-कृपा की गयी+ कि मैं दूसरे राष्ट्रों को मसीह की उस बेशुमार दौलत के बारे में खुशखबरी सुनाऊँ जिसका अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता 9 और हर किसी को पवित्र रहस्य के उस इंतज़ाम के बारे में समझाऊँ+ जिसे सब चीज़ों के सृष्टिकर्ता, परमेश्वर ने लंबे अरसे से छिपा रखा है। 10 ऐसा इसलिए किया गया ताकि अब मंडली के ज़रिए+ स्वर्ग की सरकारें और अधिकारी परमेश्वर की बुद्धि के अनगिनत पहलू जान सकें।+ 11 यह युग-युग के उस मकसद के मुताबिक है जो हमारे प्रभु मसीह यीशु के मामले में उसने ठहराया है।+ 12 मसीह के ज़रिए ही हमें इस तरह बेझिझक बोलने की हिम्मत मिली है+ और उस पर विश्वास करने की वजह से हम पूरे भरोसे के साथ परमेश्वर के सामने जा पाते हैं। 13 इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ कि मेरी इन दुख-तकलीफों की वजह से, जो मैं तुम्हारी खातिर सह रहा हूँ, तुम हिम्मत मत हारना क्योंकि इनकी वजह से तुम्हारी महिमा होगी।+
14 इस वजह से मैं उस पिता के सामने घुटने टेककर तुम्हारे लिए प्रार्थना करता हूँ, 15 जिसकी बदौलत स्वर्ग में और धरती पर हर परिवार वजूद में आया है।* 16 मैं प्रार्थना करता हूँ कि परमेश्वर जिसके पास अपार महिमा है अपनी पवित्र शक्ति से तुम्हें वह ताकत दे जिससे तुम्हारे अंदर का इंसान शक्तिशाली होता जाए+ 17 और तुम्हारे विश्वास की वजह से मसीह तुम्हारे दिलों में निवास करे जो प्यार से भरे हैं।+ मेरी दुआ है कि तुम गहराई तक जड़ पकड़ो+ और उस नींव पर मज़बूती से टिके रहो+ 18 ताकि तुम सभी पवित्र जनों के साथ चौड़ाई, लंबाई, ऊँचाई और गहराई को अच्छी तरह समझ सको 19 और मसीह के प्यार+ को भी जान सको जो ज्ञान से कहीं बढ़कर है ताकि परमेश्वर के गुण पूरी हद तक तुममें पाए जाएँ।
20 परमेश्वर की ताकत हमारे अंदर काम कर रही है+ और हम उससे जो माँगते हैं या जितना सोच सकते हैं,+ वह उससे कहीं ज़्यादा बढ़कर कर सकता है। 21 उस परमेश्वर को मंडली के ज़रिए और मसीह यीशु के ज़रिए पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमेशा-हमेशा तक महिमा मिलती रहे। आमीन।