यशायाह
66 यहोवा कहता है,
“स्वर्ग मेरी राजगद्दी है और पृथ्वी मेरे पाँवों की चौकी।+
तो फिर तुम मेरे लिए कैसा भवन बनाओगे?+
मेरे रहने के लिए कहाँ जगह बनाओगे?”+
3 बैल की बलि चढ़ानेवाला, उस इंसान के समान है जो किसी का खून करता है,+
भेड़ की बलि चढ़ानेवाला, उसके समान है जो कुत्ते की गरदन तोड़ता है,+
भेंट का चढ़ावा चढ़ानेवाला मानो सूअर का खून चढ़ा रहा हो!+
यादगार के लिए लोबान जलानेवाला,+ उसके समान है जो मंत्र जपकर आशीर्वाद देता है।*+
उन्होंने अपनी राह खुद चुन ली है,
वे घिनौनी बातों से खुश होते हैं।
क्योंकि जब मैंने उन्हें बुलाया तो किसी ने जवाब नहीं दिया,
जब मैंने उन्हें समझाया तो किसी ने मेरी नहीं सुनी।+
वे उन्हीं कामों में लगे रहे जो मेरी नज़र में बुरे थे
और उन्होंने वही चुना जो मुझे बिलकुल पसंद नहीं।”+
5 हे यहोवा की बातों पर थरथरानेवालो,* सुनो!
“तुम्हारे भाई जो तुमसे नफरत करते हैं और जिन्होंने मेरे नाम की वजह से तुमसे किनारा कर लिया है,
वे दिखावे के लिए कहते हैं, ‘यहोवा की महिमा हो!’+
मगर जब परमेश्वर प्रकट होगा, तब तुम खुशी मनाओगे और वे शर्मिंदा होंगे।”+
6 सुनो! शहर में होहल्ला मच रहा है, मंदिर से आवाज़ें आ रही हैं!
यहोवा अपने दुश्मनों को उनके किए की सज़ा दे रहा है।
7 इससे पहले कि उस औरत को प्रसव-पीड़ा उठे, उसे बच्चा हो गया,+
इससे पहले कि उसे बच्चा जनने की पीड़ा उठे, उसने एक लड़के को जन्म दे दिया।
8 क्या किसी ने कभी ऐसी बात सुनी है?
क्या किसी ने कभी ऐसा होते देखा है?
क्या कोई देश एक ही दिन में पैदा हो सकता है?
या कोई राष्ट्र अचानक ही जन्म ले सकता है?
मगर सिय्योन ने प्रसव-पीड़ा उठते ही लड़कों को जन्म दे दिया।
9 यहोवा कहता है, “क्या मैं एक बच्चे को जन्म के समय तक पहुँचाकर उसे पैदा न होने दूँ?”
तेरा परमेश्वर कहता है, “क्या मैं गर्भ में बच्चा ठहराकर उसे गर्भ से निकलने न दूँ?”
10 यरूशलेम से प्यार करनेवाले सब लोगो,+ उसके साथ खुशियाँ मनाओ और झूम उठो।+
उस नगरी पर शोक मनानेवाले सब लोगो, उसके साथ मगन हो,
11 क्योंकि तुम उसकी छाती से दूध पीकर तृप्त होगे और दिलासा पाओगे,
तुम जी-भरकर पीओगे और उसकी बड़ी शान देखकर खुशी पाओगे।
12 यहोवा कहता है,
तुम्हें दूध पिलाया जाएगा, गोद में उठाया जाएगा
और पैरों पर झुलाया* जाएगा।
13 जैसे एक माँ अपने बेटे को दिलासा देती है,
वैसे ही मैं तुम्हें दिलासा देता रहूँगा+
और यरूशलेम के कारण तुम दिलासा पाओगे।+
14 यह सब देखकर तुम्हारा मन खुशी से झूम उठेगा,
तुम्हारी हड्डियाँ नयी घास की तरह लहलहा उठेंगी।
और उसके रथ आँधी की तरह आएँगे।+
वह अपने क्रोध की जलजलाहट में बदला लेने
और आग की ज्वाला के साथ फटकार लगाने आएगा।+
17 जो बागों के बीच खड़ी मूरत को पूजने के लिए खुद को तैयार और शुद्ध करते हैं+ और जो सूअर का माँस, घिनौनी चीज़ें और चूहे खाते हैं,+ वे सब एक-साथ मारे जाएँगे।” यह बात यहोवा ने कही है। 18 “क्योंकि मैं उनके कामों और विचारों को जानता हूँ। मैं देश-देश के और अलग-अलग भाषा के लोगों को इकट्ठा करने आ रहा हूँ। वे आएँगे और आकर मेरी महिमा देखेंगे।”
19 “मैं उनके बीच एक निशानी ठहराऊँगा। मैं अपने बचे हुओं में से कुछ लोगों को उन देशों में भेजूँगा, जहाँ न तो किसी ने मेरे बारे में सुना है और न मेरी महिमा देखी है। मैं उन्हें तीरंदाज़ों के देश तरशीश,+ पूल और लूद+ भेजूँगा। और तूबल, यावान+ और दूर-दूर के द्वीपों में भी उन्हें भेजूँगा। वे देश-देश में मेरी महिमा का ऐलान करेंगे।+ 20 जैसे इसराएली साफ बरतनों में यहोवा के भवन में तोहफे लाते हैं, वैसे ही ये लोग सब देशों से तुम्हारे सारे भाइयों को लाएँगे+ और उन्हें यहोवा को तोहफे में देंगे। वे उन्हें घोड़ों, खच्चरों और तेज़ दौड़नेवाले ऊँटों पर, रथों और छतवाली गाड़ियों में लाएँगे और वे सब यरूशलेम में, मेरे पवित्र पहाड़ पर आएँगे।” यह बात यहोवा ने कही है।
21 यहोवा कहता है, “उनमें से मैं कुछ को याजकों और कुछ को लेवियों के तौर पर ले लूँगा।”
22 यहोवा ऐलान करता है, “जैसे मैं नए आकाश और नयी पृथ्वी+ को बना रहा हूँ और वे मेरे सामने हमेशा कायम रहेंगे, उसी तरह तुम्हारा वंश* और तुम्हारा नाम भी बना रहेगा।”+
23 यहोवा कहता है, “एक नए चाँद से लेकर दूसरे नए चाँद तक
और एक सब्त से लेकर दूसरे सब्त तक हर इंसान आकर मुझे दंडवत* करेगा।+
24 वे बाहर जाकर उन आदमियों की लाशें देखेंगे जो मेरे खिलाफ हो गए थे,
उन लाशों में लगे कीड़े नहीं मरेंगे
और उन्हें जलानेवाली आग कभी नहीं बुझेगी।+
उन लाशों से सब लोग घिन करेंगे।”