अध्याय 7
रक्षा करने की शक्ति—‘परमेश्वर हमारा शरणस्थान है’
1, 2. जब सा.यु.पू. 1513 में इस्राएली सीनै के इलाके में दाखिल हुए, तो उनके सामने क्या खतरा था, और यहोवा ने कैसे उनकी हिम्मत बँधायी?
जब इस्राएली सा.यु.पू. 1513 में सीनै के इलाके में दाखिल हुए तो उनके सामने कई खतरे थे। उन्हें एक जोखिम भरे रास्ते से सफर करना था, “बड़े और भयानक जंगल में से” गुज़रना था “जहां तेज विषवाले सर्प और बिच्छू” थे। (व्यवस्थाविवरण 8:15) उन्हें आस-पास की दुश्मन जातियों से हमले का भी खतरा था। यहोवा ही अपने लोगों को ऐसी जगह लाया था। तो क्या उनका परमेश्वर होने के नाते वह उनकी रक्षा कर सकता था?
2 यहोवा ने यह कहकर उनकी हिम्मत बँधायी: “तुम ने देखा है कि मैं ने मिस्रियों से क्या क्या किया; तुम को मानो उकाब पक्षी के पंखों पर चढ़ाकर अपने पास ले आया हूं।” (निर्गमन 19:4) यहोवा ने अपने लोगों को याद दिलाया कि उन्हें मिस्र से छुड़ाकर एक महफूज़ जगह तक पहुँचाने के लिए मानो उसने उकाब पक्षियों का इस्तेमाल किया है। लेकिन परमेश्वर की तरफ से मिलनेवाली हिफाज़त को दिखाने के लिए ‘उकाब के पंखों’ का उदाहरण इस्तेमाल करना क्यों सही था, इसकी कई दूसरी वजह हैं।
3. ‘उकाब के पंख’ परमेश्वर की तरफ से मिलनेवाली हिफाज़त की सही तसवीर क्यों हैं?
3 उकाब अपने चौड़े और मज़बूत पंखों को सिर्फ ऊँचाई पर उड़ने के लिए इस्तेमाल नहीं करता। दिन की चिलचिलाती धूप से अपने नन्हे बच्चों को बचाने के लिए मादा उकाब अपने पंखों को छाते की तरह फैला लेती है, जिनकी लंबाई करीब 7 फुट तक हो सकती है। और कड़ाके की ठंड में अपने बच्चों को हवा से बचाने के लिए वह इन्हीं पंखों में उन्हें समेट लेती है। तो जैसे एक उकाब पक्षी अपने बच्चों की रक्षा करता है, उसी तरह यहोवा परमेश्वर ने ढाल बनकर इस्राएलियों की हिफाज़त की जो एक नयी जाति बनकर उभर रहे थे। अब इस वीराने में अगर उसके लोग यहोवा के वफादार बने रहते, तो वे उसके शक्तिशाली पंखों तले हिफाज़त से रहते। (व्यवस्थाविवरण 32:9-11; भजन 36:7) लेकिन आज क्या हम यह उम्मीद कर सकते हैं कि यहोवा हमारी भी रक्षा करेगा?
हमारी रक्षा करने का परमेश्वर का वादा
4, 5. परमेश्वर हमारी रक्षा करेगा, इस वादे पर हम पूरा भरोसा क्यों रख सकते हैं?
4 बेशक यहोवा अपने लोगों की हिफाज़त करने के काबिल है। वह “सर्वशक्तिमान् ईश्वर” है जिसका मतलब है कि उसके पास अपार शक्ति है। (उत्पत्ति 17:1) जैसे समुद्र में उठनेवाले ज्वार की महाधारा को रोका नहीं जा सकता, उसी तरह जब यहोवा अपनी शक्ति दिखाता है तो दुनिया की कोई भी ताकत उसे रोक नहीं सकती। यहोवा अपनी मरज़ी के मुताबिक कुछ भी कर सकता है। अगर ऐसा है तो हम यह सवाल पूछना चाहेंगे, ‘क्या अपने लोगों की रक्षा करने के लिए यहोवा अपनी शक्ति का इस्तेमाल करने की इच्छा रखता है?’
5 एक शब्द में इसका जवाब है, हाँ! यहोवा हमें यकीन दिलाता है कि वह अपने लोगों की हिफाज़त करेगा। भजन 46:1 कहता है: “परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलनेवाला सहायक।” परमेश्वर “झूठ बोल नहीं सकता,” इसलिए हम उसके वादे पर पूरा भरोसा कर सकते हैं कि वह हमारी रक्षा करेगा। (तीतुस 1:2) अपनी रक्षा करने की शक्ति के बारे में समझाने के लिए यहोवा ने जिन जीती-जागती मिसालों का इस्तेमाल किया, आइए उन पर गौर करें।
6, 7. (क) बाइबल के ज़माने में एक चरवाहा किस तरह अपनी भेड़ की रक्षा करता था? (ख) बाइबल किस मिसाल से समझाती है कि यहोवा दिल से अपनी भेड़ों की रक्षा और देखभाल करना चाहता है?
6 यहोवा एक चरवाहा है और “हम उसकी प्रजा, और उसकी चराई की भेड़ें हैं।” (भजन 23:1; 100:3) बहुत कम ऐसे जानवर हैं जो एक भेड़ की तरह लाचार और बेबस होते हैं। बाइबल के ज़माने में भेड़ों को शेर, भेड़िए और भालू जैसे जानवरों से और चोरों से बचाने के लिए ज़रूरी था कि चरवाहा साहसी हो। (1 शमूएल 17:34, 35; यूहन्ना 10:12, 13) लेकिन दूसरे समय पर अपनी भेड़ की हिफाज़त करने के लिए उसे कोमलता दिखाने की ज़रूरत पड़ती थी। मिसाल के तौर पर, जब एक भेड़ बाड़े से दूर बच्चे को जन्म दे रही होती, तो उसकी इस लाचार हालत को देखते हुए चरवाहा उसकी रक्षा करने के लिए पास खड़ा रहता था और जब वह बच्चा दे चुकी होती थी, तो वह उस बच्चे को अपनी गोद में उठाकर झुंड तक लाता था।
7 अपनी तुलना एक चरवाहे के साथ करके यहोवा हमें यकीन दिलाता है कि वह दिल से हमारी रक्षा करना चाहता है। (यहेजकेल 34:11-16) याद कीजिए कि यशायाह 40:11 (NHT) में यहोवा के बारे में क्या बताया है और जिसका ज़िक्र इस किताब के दूसरे अध्याय में किया गया है। वहाँ लिखा है: “वह चरवाहे के समान अपने झुण्ड को चराएगा: वह मेमनों को अपनी बाहों में समेट लेगा और गोद में लिए रहेगा।” भेड़ का बच्चा चरवाहे की “गोद” या उसके बागे के अंदर कैसे आता है? एक मेम्ना शायद चरवाहे के पास आए और उसके पैरों को टहोका भी दे। लेकिन झुकना तो चरवाहे को ही पड़ता है, ताकि वह मेम्ने को उठाकर बड़ी कोमलता के साथ अपनी गोद में छिपा ले जहाँ वह महफूज़ रहे। यह हमारे महान चरवाहे यहोवा का क्या ही कोमल रूप है, जो हमारी ढाल बनकर हमारी रक्षा करने के लिए हमेशा तैयार रहता है!
8. (क) परमेश्वर ने किन लोगों की रक्षा करने का वादा किया है, और यह नीतिवचन 18:10 में कैसे बताया गया है? (ख) परमेश्वर के नाम में शरण पाने के लिए क्या-क्या ज़रूरी है?
8 लेकिन हमारी रक्षा करने का परमेश्वर का वादा एक शर्त पर किया गया है कि यह सिर्फ उन्हीं को मिलेगी जो उसके करीब आते हैं। नीतिवचन 18:10 (NHT) कहता है: “यहोवा का नाम एक दृढ़ गढ़ है। धर्मी जन उसमें भागकर सुरक्षित रहता है।” बाइबल के ज़माने में, कई बार जंगलों में गढ़ बनाए जाते थे ताकि वहाँ एक इंसान शरण पा सके। लेकिन सुरक्षा पाने के लिए यह ज़रूरी था कि जो इंसान खतरे में है वह भागकर इस गढ़ तक पहुँचे। परमेश्वर के नाम में शरण पाने का भी यही मतलब है। मगर बार-बार परमेश्वर का नाम जपते रहना काफी नहीं है, मानो यह कोई जादुई मंत्र हो। इसके बजाय इसका मतलब है, इस नाम के धारण करनेवाले को जानना, उस पर पूरा भरोसा करना और उसके बताए धर्मी मार्गों के मुताबिक अपना जीवन बिताना। यहोवा का कितना एहसान है जिसने हमें यकीन दिलाया है कि अगर हम पूरे विश्वास के साथ उसके पास जाएँ, तो वह दृढ़ गढ़ बनकर हमारी रक्षा करेगा!
‘हमारा परमेश्वर हम को बचाने की शक्ति रखता है’
9. यहोवा ने रक्षा करने के वादे से बढ़कर क्या किया है?
9 यहोवा ने हमारी रक्षा करने का सिर्फ वादा नहीं किया। बाइबल के ज़माने में उसने चमत्कार करके यह दिखा दिया था कि वह अपने लोगों की रक्षा करने के काबिल है। इस्राएल के इतिहास में, यहोवा के शक्तिशाली “हाथ” ने ताकतवर दुश्मनों को उनके पास फटकने तक नहीं दिया। (निर्गमन 7:4) लेकिन यहोवा ने अलग-अलग इंसानों की खातिर भी रक्षा करने की अपनी शक्ति इस्तेमाल की है।
10, 11. बाइबल के कौन-से उदाहरण दिखाते हैं कि यहोवा ने अलग-अलग इंसानों की खातिर रक्षा करने की अपनी शक्ति का इस्तेमाल किया है?
10 जब शद्रक, मेशक, अबेदनगो नाम के तीन यहूदी नौजवानों ने राजा नबूकदनेस्सर की बनायी सोने की मूरत के आगे दण्डवत् करने से इनकार कर दिया, तब राजा आग-बबूला हो उठा और उन्हें धधकते भट्ठे में फेंकने का हुक्म दिया। उस वक्त की दुनिया के सबसे शक्तिशाली सम्राट, नबूकदनेस्सर ने उन्हें ताना मारकर कहा: “ऐसा कौन देवता है, जो तुम को मेरे हाथ से छुड़ा सके?” (दानिय्येल 3:15) तीनों जवानों को पूरा भरोसा था कि उनका परमेश्वर उन्हें बचा सकता है, फिर भी उन्होंने यह मान नहीं लिया कि परमेश्वर ज़रूर ऐसा करेगा। इसलिए उन्होंने जवाब दिया: “हमारा परमेश्वर, जिसकी हम उपासना करते हैं वह हम को उस धधकते हुए भट्ठे की आग से बचाने की शक्ति रखता है।” (दानिय्येल 3:17, 18) वह धधकता भट्ठा जिसे सात गुना और धधकाया गया था, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के लिए कोई बड़ी समस्या नहीं था। उसने उन तीन नौजवानों को बचाया, जिसे देखकर राजा को मानना पड़ा: “ऐसा कोई और देवता नहीं जो इस रीति से बचा सके।”—दानिय्येल 3:29.
11 यहोवा ने जब अपने एकलौते बेटे के जीवन को यहूदी कुँवारी मरियम के गर्भ में डाला, तो यह उसकी रक्षा करने की शक्ति का एक अद्भुत करिश्मा था। एक स्वर्गदूत ने मरियम को बताया: “तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्पन्न होगा।” फिर उस स्वर्गदूत ने समझाया: “पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ तुझ पर छाया करेगी।” (लूका 1:31, 35) इससे पहले परमेश्वर का पुत्र इतनी लाचार हालत में कभी नहीं था। क्या उसकी असिद्ध माँ को विरासत में मिला पाप, गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुँच जाएगा? क्या पैदा होने से पहले ही शैतान उसके पुत्र पर प्रहार करेगा या उसे मार डालेगा? नामुमकिन! यहोवा ने मरियम को चारों तरफ से अपनी रक्षा करनेवाली शक्ति से इस तरह घेर रखा था मानो कोई फौलादी दीवार हो। कोई असिद्धता, कोई विनाशकारी शक्ति, कोई हत्यारा इंसान ना ही कोई दुष्टात्मा, गर्भ में पल रहे इस बच्चे को किसी तरह नुकसान पहुँचा सकती थी। यीशु के बचपन से लेकर जवानी तक, यहोवा पूरी तरह उसकी हिफाज़त करता रहा। (मत्ती 2:1-15) जब तक परमेश्वर का ठहराया हुआ वक्त पूरा नहीं हुआ उसके बेटे का कोई बाल भी बाँका नहीं कर सकता था।
12. बाइबल के ज़माने में यहोवा ने चंद लोगों की हिफाज़त क्यों की थी?
12 आखिर यहोवा ने कुछ लोगों को इस तरह के करिश्मे करके क्यों बचाया? यहोवा ने उनकी रक्षा इसलिए की ताकि वह उनसे भी बढ़कर अहमियत रखनेवाले अपने मकसद की रक्षा कर सके। मसलन, परमेश्वर का मकसद पूरा होने के लिए नन्हे यीशु का ज़िंदा रहना ज़रूरी था, क्योंकि उसके ज़रिए पूरी मानवजाति को फायदा पहुँचनेवाला था। परमेश्वर की रक्षा करने की शक्ति किन अलग-अलग मौकों पर ज़ाहिर हुई यह उसके प्रेरित वचन में दर्ज़ है, जो ‘हमारी ही शिक्षा के लिये लिखा गया है कि हम धीरज और पवित्र शास्त्र की शान्ति के द्वारा आशा रखें।’ (रोमियों 15:4) जी हाँ, ये मिसालें सर्वशक्तिमान परमेश्वर में हमारा विश्वास मज़बूत करती हैं। लेकिन आज हम परमेश्वर से किस तरह की हिफाज़त की उम्मीद कर सकते हैं?
रक्षा करने के परमेश्वर के वादे का मतलब क्या नहीं है
13. क्या हमारी खातिर चमत्कार करना यहोवा का फर्ज़ है? समझाइए।
13 परमेश्वर ने हमारी रक्षा करने का वादा किया है, मगर इसका मतलब यह नहीं है कि हमारी खातिर चमत्कार करना उसका फर्ज़ है। परमेश्वर यह वादा नहीं करता कि इस पुरानी दुनिया में वह हमें हर समस्या से बचाएगा। परमेश्वर के कई वफादार सेवकों को गरीबी, युद्ध, बीमारी और मौत जैसी आफतों का सामना करना पड़ता है। यीशु ने अपने चेलों को साफ-साफ बता दिया था कि अपने विश्वास की खातिर उन्हें अपनी जान गँवानी पड़ सकती है। इसीलिए यीशु ने अंत तक धीरज धरने पर ज़ोर दिया था। (मत्ती 24:9, 13) अगर यहोवा हमारे हर मामले में चमत्कार करके हमें बचाता रहे, तो शैतान को यहोवा पर ताना कसने और हम पर यह इलज़ाम लगाने का मौका मिल जाएगा कि हमारी भक्ति सच्ची नहीं है।—अय्यूब 1:9, 10.
14. कौन-से उदाहरण दिखाते हैं कि यहोवा अपने सब सेवकों को हर बार और एक जैसे तरीकों से नहीं बचाता?
14 बाइबल के ज़माने में भी, यहोवा ने अपने सेवकों को हमेशा अपनी हिफाज़त में रखकर बेवक्त मरने से नहीं बचाया। मिसाल के तौर पर, प्रेरित याकूब का हेरोदेस ने सा.यु. 44 में कत्ल करवा दिया; लेकिन कुछ ही समय बाद परमेश्वर ने पतरस को “हेरोदेस के हाथ से छुड़ा लिया।” (प्रेरितों 12:1-11) और यूहन्ना तो अपने भाई याकूब से और पतरस से भी कहीं ज़्यादा साल तक ज़िंदा रहा। तो यह साफ है कि हम अपने परमेश्वर से यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वह अपने सब सेवकों की रक्षा एक ही तरीके से करे। इसके अलावा, “समय और संयोग” की वजह से हम सबके साथ किसी भी वक्त, कुछ भी दुर्घटना हो सकती है। (सभोपदेशक 9:11) तो फिर, आज यहोवा कैसे हमारी रक्षा करता है?
यहोवा हमारी ज़िंदगी की हिफाज़त करता है
15, 16. (क) क्या सबूत दिखाते हैं कि एक समूह के नाते यहोवा ने अपने लोगों की ज़िंदगी बचायी है? (ख) हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा अभी और आनेवाले “बड़े क्लेश” में अपने लोगों की रक्षा करेगा?
15 सबसे पहले, आइए हमारी ज़िंदगी की हिफाज़त की बात पर ध्यान दें। हम यहोवा के उपासक हैं, इसलिए एक समूह के तौर पर यहोवा से हिफाज़त पाने की उम्मीद रख सकते हैं। अगर ऐसा न होता तो हम सब-के-सब कब के शैतान का निवाला बन चुके होते। ज़रा सोचकर देखिए: शैतान जो “इस जगत का सरदार” है, इससे बढ़कर और क्या चाहेगा कि वह दुनिया से सच्ची उपासना का नामो-निशान मिटा दे। (यूहन्ना 12:31; प्रकाशितवाक्य 12:17) दुनिया की सबसे शक्तिशाली सरकारों में से कई ऐसी हैं जिन्होंने हमारे प्रचार काम पर पाबंदी लगायी है और हमें जड़ से उखाड़ने की कोशिश की है। फिर भी, यहोवा के सेवक दृढ़ रहे और बिना थके प्रचार का काम करते रहे हैं! क्या वजह है कि दुनिया की आबादी के मुकाबले इतने कम और निहत्थे, बेसहारा लगनेवाले मसीहियों के इस झुंड को दुनिया के शक्तिशाली राष्ट्र मिटाने में कामयाब नहीं हो सके? वह इसलिए क्योंकि यहोवा ने उन्हें अपने शक्तिशाली पंखों की आड़ में छिपा रखा है!—भजन 17:7, 8.
16 क्या आनेवाले “बड़े क्लेश” में भी यहोवा हमारी जान की हिफाज़त करेगा? परमेश्वर के आनेवाले न्यायदंडों से हमें डरने की कोई ज़रूरत नहीं। आखिर, “प्रभु भक्तों को परीक्षा में से निकाल लेना और अधर्मियों को न्याय के दिन तक दण्ड की दशा में रखना भी जानता है।” (प्रकाशितवाक्य 7:14; 2 पतरस 2:9) इस दौरान हम दो बातों के बारे में पूरी तरह निश्चिंत हो सकते हैं। पहली, यहोवा अपने वफादार भक्तों को इस दुनिया से कभी-भी मिटने नहीं देगा। दूसरी, जो लोग अंत तक अपनी खराई बनाए रखेंगे वह उन्हें नयी दुनिया में अनंत जीवन का वरदान देगा और जो इस दौरान अपनी जान गँवा देते हैं उनका वह पुनरुत्थान करेगा। मरनेवालों के लिए परमेश्वर की याद से ज़्यादा सुरक्षित जगह और कोई हो नहीं सकती।—यूहन्ना 5:28, 29.
17. यहोवा अपने वचन से कैसे हमारी रक्षा करता है?
17 अभी-भी यहोवा अपने जीवित “वचन” से हमारी रक्षा कर रहा है। इसमें ऐसी ज़बरदस्त ताकत है जिससे लोगों को अपना मन सुधारने और अपनी ज़िंदगी बदलने की प्रेरणा मिलती है। (इब्रानियों 4:12) इसके सिद्धांतों को लागू करने से हम काफी हद तक अपने शरीर को नुकसान से बचा सकते हैं। यशायाह 48:17 कहता है: “मैं . . . यहोवा हूं जो तुझे तेरे लाभ के लिये शिक्षा देता हूं।” इसमें कोई शक नहीं कि परमेश्वर के वचन के मुताबिक ज़िंदगी बिताने से ना सिर्फ हमारी सेहत सुधर सकती है बल्कि हमारी उम्र भी लंबी हो सकती है। मिसाल के लिए, हम बाइबल की सलाह को मानकर व्यभिचार से दूर रहते हैं और सब मलिनता से खुद को शुद्ध करते हैं, इसलिए हम अशुद्ध कामों और नुकसानदेह आदतों से दूर रहते हैं जिनकी वजह से कई अधर्मी लोगों की ज़िंदगियाँ तबाह हो रही हैं। (प्रेरितों 15:29; 2 कुरिन्थियों 7:1) यहोवा अपने वचन से जिस तरह हमारी रक्षा कर रहा है, हम उसके लिए कितने एहसानमंद हैं!
यहोवा आध्यात्मिक रूप से हमारी रक्षा करता है
18. यहोवा किस तरह आध्यात्मिक रूप से हमारी रक्षा करता है?
18 सबसे बढ़कर, यहोवा आध्यात्मिक तरीके से हमारी रक्षा करता है। हमारा प्यारा परमेश्वर यहोवा, हमें आध्यात्मिक नुकसान से बचाने के लिए, ज़रूरत के मुताबिक वह सबकुछ देता है जो परीक्षाओं में धीरज धरने और उसके साथ हमारा रिश्ता कायम रखने में हमारी मदद कर सके। इस तरह यहोवा सिर्फ चंद सालों के लिए नहीं बल्कि हमेशा की ज़िंदगी के लिए हमारी जान बचाता है। आइए परमेश्वर के ऐसे चंद इंतज़ामों पर ध्यान दें जो आध्यात्मिक रूप से हमारी रक्षा कर सकते हैं।
19. यहोवा की आत्मा हमें किसी भी परीक्षा का सामना करने की ताकत कैसे दे सकती है?
19 यहोवा ‘प्रार्थना का सुननेवाला’ है। (भजन 65:2) जब ज़िंदगी भारी बोझ बन जाए, तब यहोवा के सामने अपने दिल का हाल कहने से हमारा मन हल्का हो सकता है। (फिलिप्पियों 4:6, 7) यहोवा हमारी परीक्षाओं को चमत्कार से खत्म नहीं कर देता, लेकिन दिल से की गयी हमारी फरियाद को सुनकर वह हमें ऐसी बुद्धि दे सकता है जिससे हम समस्या का सामना कर पाएँगे। (याकूब 1:5, 6) इससे भी बढ़कर यहोवा उन लोगों को पवित्र आत्मा देता है जो इसके लिए बिनती करते हैं। (लूका 11:13) यह शक्तिशाली आत्मा हमें किसी भी परीक्षा या समस्या का सामना करने की ताकत दे सकती है। यह हमें ऐसी “असीम सामर्थ” से भर सकती है कि हम तब तक धीरज धरें जब तक कि यहोवा बहुत जल्द आनेवाली नयी दुनिया में सभी दुःखदायी समस्याओं का पूरी तरह सफाया नहीं कर देता।—2 कुरिन्थियों 4:7.
20. हमारे मसीही भाई-बहनों के ज़रिए रक्षा करने की यहोवा की शक्ति कैसे ज़ाहिर होती है?
20 कभी-कभी यहोवा की रक्षा करने की शक्ति हमारे मसीही भाई-बहनों के ज़रिए ज़ाहिर होती है। यहोवा ने अपने लोगों को दुनिया भर में फैली “भाइयों की बिरादरी” में इकट्ठा किया है। (1 पतरस 2:17, NW; यूहन्ना 6:44) इस भाईचारे के प्यार में हम देख सकते हैं कि कैसे परमेश्वर की पवित्र आत्मा ने लोगों की ज़िंदगी पर असर करके उन्हें भले कामों के लिए उकसाया है। यही आत्मा हमारे अंदर आत्मा के फल यानी प्रेम, दया और भलाई जैसे मनभावने, अनमोल गुण पैदा करती है। (गलतियों 5:22, 23) इसलिए जब कभी हम परेशान हों और कोई मसीही भाई या बहन आकर हमें सलाह दे या हमारा हौसला बढ़ाने के लिए कुछ बातें कहे, तो हमें यहोवा का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उसने भाइयों के ज़रिए हमारी रक्षा की और परवाह दिखायी है।
21. (क) “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के ज़रिए यहोवा ने सही समय पर किस आध्यात्मिक भोजन का इंतज़ाम किया है? (ख) यहोवा ने हमें आध्यात्मिक रूप से बचाने के लिए जो इंतज़ाम किए हैं, उनसे खासकर आपको क्या फायदा पहुँचा है?
21 हमारी रक्षा करने के लिए यहोवा एक और चीज़ का भी इंतज़ाम करता है और वह है सही समय पर आध्यात्मिक भोजन। यहोवा ने “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” को ज़िम्मेदारी सौंपी है कि वह हमें आध्यात्मिक भोजन दे ताकि हम उसके वचन से हिम्मत पा सकें। यह विश्वासयोग्य दास प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं और दूसरे साहित्य, इसके अलावा सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों का इंतज़ाम करके हमें ‘समय पर भोजन’ देता है। जी हाँ, हमें वक्त के मुताबिक जिस चीज़ की ज़रूरत होती है, वही हमें दी जाती है। (मत्ती 24:45) क्या आपने मसीही सभा में किसी के जवाब, या भाषण में या प्रार्थना में ऐसी कोई बात सुनी है जिससे आपको वह हौसला और हिम्मत मिली हो जिसकी आपको सख्त ज़रूरत थी? क्या हमारी पत्रिकाओं में छपा कोई लेख आपके दिल को छू गया है? याद रखिए कि यहोवा ने ये सभी इंतज़ाम आध्यात्मिक रूप से हमारी रक्षा करने की खातिर किए हैं।
22. यहोवा हमेशा अपनी शक्ति का इस्तेमाल किस तरीके से करता है, और उसका ऐसा करना हमारे ही फायदे के लिए क्यों है?
22 यहोवा “अपने सब शरणागतों की ढाल है।” (भजन 18:30) हम जानते हैं कि अभी हमें हर मुसीबत से बाहर निकालने के लिए वह रक्षा करने की अपनी शक्ति का इस्तेमाल नहीं करता। लेकिन, वह अपनी यह शक्ति हमेशा इस तरह इस्तेमाल करता है, जिससे उसका मकसद पूरा हो। उसके ऐसा करने से, आगे चलकर उसी के लोगों को फायदा पहुँचेगा। अगर हम यहोवा के करीब आएँ और उसके प्रेम में बने रहें, तो वह हमें हमेशा का सिद्ध जीवन देगा। इस इनाम को मन में रखते हुए, इस पुरानी दुनिया के हर दुःख और तकलीफ को हम ‘पल भर का और हलका सा’ समझते हैं।—2 कुरिन्थियों 4:17.