बिना रुके घर-घर
प्राचीन इस्राएल में प्रतिदिन बलिदान चढ़ाए जाते थे। (निर्ग. २९:३८-४२) वेदी की आग को जलता हुआ रखा जाता था; ऊपर उठता हुआ धुआँ “सुखदायक सुगन्ध” था जो यहोवा को प्रसन्न करता था। (निर्ग. २९:१८) आज, हमसे आग्रह किया जाता है कि ‘स्तुतिरूपी बलिदान, अर्थात् उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं, परमेश्वर के लिये चढ़ाएँ।’ (इब्रा. १३:१५) व्यवस्था द्वारा नियत बलिदानों को इस्तेमाल करने के बजाय, हम बिना रुके यहोवा का गुणानुवाद करने के द्वारा उसकी उपासना करते हैं।—यशा. ४३:२१; प्रेरितों ५:४२.
२ यीशु मसीह, वह सर्वश्रेष्ठ गवाह जो कभी इस पृथ्वी पर जीवित रहा, ने हमें सिखाया कि स्तुतिरूपी बलिदान चढ़ाने के द्वारा कैसे हमें शुद्ध उपासना अर्पित करनी चाहिए। उसने अपने शिष्यों को सिखाया कि जिस संदेश का वे प्रचार कर रहे थे उसकी अत्यावश्यकता थी। वह जानता था कि सुसमाचार के साथ लोगों तक पहुंचने का सबसे प्रभावकारी तरीक़ा था उनके घरों में उनसे व्यक्तिगत रूप से बात करना। (मत्ती १०:७, १२) सो हम पाते हैं कि प्रेरितों ने घर-घर प्रचार करने के उसके ईश्वरीय रूप से उत्प्रेरित निर्देशन का अनुकरण किया।—प्रेरितों २०:२०.
३ यह आज भी भिन्न नहीं है। यीशु के शिष्य होने के नाते, सच्चे मसीही घर-घर सुसमाचार प्रचार करने के द्वारा उसके उदाहरण का अनुकरण करते हैं। जबकि इसके लिए शायद हमारी अलोचना की जाए और हमें सताया जाए, फिर भी लाखों लोगों ने सच्चाई सीखी है और हज़ारों नए शिष्य हर साल बड़ी भीड़ के वर्ग में सम्मिलित हो रहे हैं। यह प्रमाण देता है कि अपनी इच्छा पूरी करने का यह यहोवा का तरीक़ा है। इसीलिए हम अपनी सेवकाई में लगे रहते हैं।
४ घर-घर प्रचार करने के लाभ: “परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता . . . जो उस से डरता और धर्म के काम करता है, वह उसे भाता है।” (प्रेरितों १०:३४, ३५) अपने क्षेत्र में हरेक घर में स्वयं जाना निष्पक्षता को प्रदर्शित करता है, जिससे सभी को नियमित रूप से राज्य संदेश सुनने का अवसर मिलता है। क्रमशः ग्रहणशील व्यक्तियों को उनकी व्यक्तिगत ज़रूरतों के अनुसार ख़ास निजी सहायता प्राप्त होती है।
५ लगभग सभी प्रकाशक, जिनमें युवा, बूढ़े, और वे भी जो अभी नए हैं सम्मिलित हैं, घर-घर के कार्य में भाग ले सकते हैं। इस तरह से हरेक व्यक्ति “उद्धार के लिए मुंह से अंगीकार” कर सकता है। (रोमि. १०:१०) घर-घर की सेवकाई में दूसरों के साथ भाग लेना हमें प्रेम और एकता के कटिबन्ध में बाँधता है। साथ ही साथ, जब हम उदासीनता या विरोध का सामना करते हैं तब हमें अपनी सहनशक्ति प्रदर्शित करने का अवसर दिया जाता है। विश्वास का यह सार्वजनिक प्रदर्शन हमें “एक तमाशा” बना देता है, जो निष्कपट लोगों को यह समझने में सहायता करता है कि हमारे पास बाइबल सिखाने के लिए एक व्यवस्थित प्रबंध है, और कि वे इससे लाभ उठा सकते हैं। (१ कुरि. ४:९) सब कुछ स्पष्टतया दिखाता है कि यहोवा घर-घर के कार्य को आशिष दे रहा है और इसे शुद्ध उपासना के उसके “भवन” में बड़ी भीड़ को इकट्ठा करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है।—यशा. २:२-४.
६ इतिहास में किसी भी दूसरे समय से ज़्यादा अभी, लोगों को राज्य संदेश सुनने की ज़रूरत है। आइए हम बिना रुके घर-घर प्रचार करते रहें जब तक की यहोवा न कहे कि काफ़ी है। (यशा. ६:११) ऐसा करने से, हमें प्रतिफल के रूप में वह हर्ष मिलेगा जो इस अन्त के समय में महत्त्वपूर्ण और लाभदायक घर-घर की सेवकाई में हिस्सा लेने से आता है।—१ कुरि. १५:५८.