क्या आप अपनी ज़िंदगी में परमेश्वर की ताकत देख पाते हैं?
‘यहोवा की ताकत उसके सेवकों पर ज़ाहिर हो जाएगी।’—यशा. 66:14, एन.डब्ल्यू, फुटनोट।
1, 2. कुछ लोगों का परमेश्वर के बारे में क्या मानना है?
बहुत-से लोगों का मानना है कि उनके किसी भी काम से परमेश्वर को कोई फर्क नहीं पड़ता। वे सोचते हैं कि उनके साथ चाहे जो भी हो, परमेश्वर को इसकी कोई परवाह नहीं। उदाहरण के लिए, नवंबर 2013 में एक ज़बरदस्त तूफान से फिलिपाईन्स का काफी इलाका तहस-नहस हो गया। यह देखकर वहाँ के एक बड़े शहर के मेयर ने कहा, “परमेश्वर कहीं गया होगा।”
2 कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें लगता है कि वे जो कर रहे हैं, उसे परमेश्वर नहीं देख सकता। (यशा. 26:10, 11; 3 यूह. 11) प्रेषित पौलुस के समय में भी कुछ लोगों का यही मानना था। उनके बारे में उसने कहा, “इन लोगों को यह मंज़ूर नहीं था कि सही ज्ञान के मुताबिक परमेश्वर को जानें। . . . उनमें हर तरह का पाप, दुष्टता, लालच, बुराई कूट-कूटकर भरी है।”—रोमि. 1:28, 29.
3. (क) हमें खुद से कौन-से सवाल करने चाहिए? (ख) बाइबल में परमेश्वर का “हाथ” किसे दर्शाता है?
3 इस बारे में हम क्या कहेंगे? हम जानते हैं कि हम जो भी करते हैं, वह सब यहोवा देखता है। लेकिन क्या हमें यकीन है कि यहोवा हमारी परवाह करता है? क्या हम अपनी ज़िंदगी में परमेश्वर की ताकत को काम करता हुआ देख पाते हैं? और क्या हम उन लोगों में से एक हैं जिनके बारे में यीशु ने कहा था कि वे “परमेश्वर को देखेंगे”? (मत्ती 5:8) इन सवालों के जवाब जानने से पहले आइए उन लोगों की मिसालों पर गौर करें, जिन्होंने परमेश्वर की ताकत को काम करते हुए देखा। हम उनकी मिसालों पर भी गौर करेंगे, जिन्होंने यह सब देखकर अनदेखा किया। चर्चा के दौरान हम ध्यान रखेंगे कि हमारी बाइबल में जहाँ शब्द ‘परमेश्वर का हाथ’ इस्तेमाल हुआ है, वह अकसर उसकी ताकत को दर्शाता है। इसी से वह अपने सेवकों की मदद करता है और अपने दुश्मनों को हराता है। (व्यवस्थाविवरण 26:8 पढ़िए।) बाद में हम सीखेंगे कि विश्वास की मदद से हम परमेश्वर की ताकत को काम करता हुआ कैसे साफ-साफ देख सकते हैं।
उन्होंने परमेश्वर की ताकत को अनदेखा किया
4. इसराएलियों के दुश्मन, यहोवा की ताकत को काम करते हुए क्यों नहीं देख पाए?
4 पुराने ज़माने में, बहुत-से लोगों को यह देखने-सुनने का मौका मिला कि कैसे परमेश्वर ने इसराएलियों की मदद की। यहोवा ने चमत्कार करके अपने लोगों को मिस्र से आज़ाद कराया और वादा किए हुए देश में कई राजाओं को हराया। (यहो. 9:3, 9, 10) दूसरे देशों के राजाओं ने यह देखा और सुना था कि कैसे यहोवा ने अपने लोगों को बचाया। फिर भी “वे एक मन होकर यहोशू और इस्राएलियों से लड़ने को इकट्ठे हुए।” (यहो. 9:1, 2) जब वे राजा इसराएलियों से लड़े, तो उनके पास यह देखने का मौका था कि यहोवा की ताकत कैसे काम कर रही है। यह यहोवा की ज़बरदस्त ताकत का ही नतीजा था कि “सूर्य उस समय तक थमा रहा, और चन्द्रमा उस समय तक ठहरा रहा, जब तक [इसराएल] जाति के लोगों ने अपने शत्रुओं से पलटा न लिया।” (यहो. 10:13) लेकिन यहोवा ने उनके दुश्मनों के “मन ऐसे कठोर कर दिए, कि उन्होंने इस्राएलियों का सामना करके उन से युद्ध किया।” (यहो. 11:20) इसराएलियों के दुश्मन हार गए। क्यों? क्योंकि उन्होंने यह मानने से इनकार कर दिया कि यहोवा अपने लोगों की तरफ से लड़ रहा है।
5. दुष्ट राजा अहाब ने किस बात पर विश्वास नहीं किया?
5 बाद में, दुष्ट राजा अहाब को यह देखने के कई मौके मिले कि कैसे परमेश्वर अपनी ताकत से बड़े-बड़े काम करता है। एलिय्याह ने उसे बताया, “मेरे बिना कहे, न तो मेंह बरसेगा [यानी, न तो बारिश होगी], और न ओस पड़ेगी।” (1 राजा 17:1) ज़ाहिर है एलिय्याह ने यह जो बात कही उसके पीछे यहोवा ही था, लेकिन अहाब ने यह मानने से इनकार कर दिया। बाद में एलिय्याह ने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना की और परमेश्वर ने आसमान से आग बरसाकर उसकी प्रार्थना का जवाब दिया। अहाब ने यह सब अपनी आँखों से देखा। तब एलिय्याह ने अहाब को बताया कि यहोवा अकाल खत्म कर देगा और पानी बरसाएगा। (1 राजा 18:22-45) अहाब ने ये सारे चमत्कार देखे, फिर भी उसने विश्वास नहीं किया कि यह यहोवा की ताकत से ही मुमकिन हुआ है। इन उदाहरणों से हम क्या सीखते हैं? यही कि हमें यह देखने की कोशिश करनी चाहिए कि परमेश्वर की ताकत हमारी ज़िंदगी में कैसे काम करती है।
उन्होंने परमेश्वर की ताकत देखी
6, 7. गिबोनियों को और राहाब को किस बात का यकीन था?
6 अब तक हमने जिन दुष्ट राजाओं के उदाहरण देखे, उन सबसे गिबोनी काफी अलग थे। वे परमेश्वर की ताकत को काम करते हुए साफ देख सके। वे इसराएलियों से लड़ने के बजाय उनसे शांति बनाना चाहते थे। क्यों? उन्होंने कहा, ‘तेरे दास तेरे परमेश्वर यहोवा का नाम सुनकर आए हैं; क्योंकि हम ने यह सब सुना है, अर्थात् उसकी कीर्ति और जो कुछ उस ने किया।’ (यहो. 9:3, 9, 10) यह यकीन करके उन्होंने बुद्धिमानी का काम किया कि इसराएलियों की तरफ से यहोवा लड़ रहा है।
7 राहाब भी परमेश्वर की ताकत को साफ देख सकी। हालाँकि वह इसराएली नहीं थी, लेकिन उसने सुना था कि कैसे यहोवा ने अपने लोगों को मिस्र से छुड़ाया है। जब दो इसराएली जासूस उसके पास आए, तो उसने उनसे कहा, “मुझे तो निश्चय है कि यहोवा ने तुम लोगों को यह देश दिया है।” राहाब को यकीन था कि यहोवा उसे और उसके परिवार को बचा सकता है। उसने यहोवा पर अपना विश्वास अपने कामों से दिखाया, जबकि वह जानती थी कि ऐसा करना खतरे से खाली नहीं है।—यहो. 2:9-13; 4:23, 24.
8. कुछ इसराएलियों ने कैसे परमेश्वर की ताकत देखी?
8 कुछ इसराएली दुष्ट राजा अहाब से बिलकुल अलग थे। उन्होंने जब देखा कि एलिय्याह की प्रार्थना के जवाब में कैसे स्वर्ग से आग बरसी है, तो उन्होंने माना कि यह परमेश्वर की ताकत से ही हो पाया है। वे ज़ोर-ज़ोर से कहने लगे, “यहोवा ही परमेश्वर है।” (1 राजा 18:39) उनके लिए यह बात साफ थी कि उन्होंने परमेश्वर की ताकत देखी है!
9. आज हम यहोवा को और उसकी ताकत को कैसे देख पाते हैं?
9 हमने अच्छे और बुरे दोनों तरह के उदाहरणों पर गौर किया है। इनसे हमें यह समझने में मदद मिलती है कि ‘परमेश्वर को देखने’ या उसकी ताकत को देखने का क्या मतलब है। आज जैसे-जैसे हम यहोवा और उसके गुणों को जानने लगते हैं, हम ‘अपने मन की आँखों’ से यहोवा की ताकत देख पाते हैं। (इफि. 1:18) यह बात हमें बीते ज़माने और आज के उन वफादार सेवकों की मिसाल पर चलने के लिए उकसाती है जिन्होंने देखा कि कैसे परमेश्वर अपने लोगों की मदद करता है। लेकिन क्या हमारे पास इस बात के सबूत हैं कि परमेश्वर आज भी लोगों की मदद कर रहा है?
आज परमेश्वर की ताकत के सबूत
10. हमारे पास इस बात के क्या सबूत हैं कि यहोवा आज भी लोगों की मदद कर रहा है? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)
10 हमारे पास इस बात के ढेरों सबूत हैं कि यहोवा आज भी लोगों की मदद कर रहा है। हम अकसर ऐसे लोगों के अनुभव सुनते हैं जिन्होंने मदद के लिए परमेश्वर से प्रार्थना की और उनकी प्रार्थनाएँ सुनी गयीं। (भज. 53:2) उदाहरण के लिए, फिलिपाईन्स के एक छोटे-से द्वीप पर प्रचार के दौरान, ऐलन नाम का भाई एक औरत से मिला जो मिलते ही रोने लगी। ऐलन कहता है, “उसी दिन सुबह, उस औरत ने यहोवा से प्रार्थना की कि साक्षी उसे ढूँढ़ लें।” जब वह कम उम्र की थी और उसकी शादी नहीं हुई थी, तब उसने साक्षियों के साथ बाइबल अध्ययन किया था। लेकिन शादी के बाद, वह एक द्वीप पर आकर रहने लगी और इससे उसका अध्ययन बंद हो गया। परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना इतनी जल्दी सुन ली कि यह बात उसके दिल को छू गयी। एक साल भी नहीं बीता था कि उसने अपना जीवन यहोवा को समर्पित कर दिया।
11, 12. (क) यहोवा अपने सेवकों की मदद कैसे करता है? (ख) समझाइए कि यहोवा ने एक बहन की कैसे मदद की।
11 यहोवा के बहुत-से सेवकों ने इस बात के साफ सबूत देखे हैं कि कैसे वह अपने लोगों की मदद करता है। खासकर वे तब यह देख पाए जब उन्होंने अपनी बुरी आदतें छोड़ीं। जैसे, सिगरेट पीना, ड्रग्स लेना या गंदी तसवीरें देखना। कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने कई बार अपने बलबूते इन आदतों को छोड़ने की कोशिश की, पर वे नाकाम रहे। लेकिन जब उन्होंने यहोवा से मदद माँगी, तो उसने उन्हें वह ताकत दी जो “आम इंसानों की ताकत से कहीं बढ़कर है।” आखिरकार उन्हें बुरी आदतों से छुटकारा मिल गया।—2 कुरिं. 4:7; भज. 37:23, 24.
12 यहोवा अपने सेवकों को उनकी कमज़ोरियों पर भी काबू पाने में मदद देता है। एमी नाम की एक बहन का कुछ ऐसा ही अनुभव रहा। उसे प्रशांत महासागर के एक छोटे-से द्वीप पर राज-घर और मिशनरी घर बनाने के काम में हाथ बँटाने के लिए कहा गया था। वह कहती है, “हम एक छोटे-से होटल में रहते थे और काम पर पहुँचने के लिए हमें हर दिन पानी से भरी गलियों से चलकर जाना होता था।” वहाँ का माहौल भी काफी अलग था। अकसर बिजली गुल रहती थी और पानी भी नहीं होता था। एमी को अपने घर की बहुत याद आती थी। ऊपर से एक दिन वह अपने साथ काम करनेवाली बहन पर झल्ला पड़ी। उसे अपनी गलती पर बहुत अफसोस हुआ। जब वह वापस आयी तो बिजली न होने की वजह से कमरे में अँधेरा था। उसी वक्त उसने यहोवा को अपने दिल का हाल सुनाया और गिड़गिड़ाकर उससे मदद माँगी। बिजली आने पर उसने प्रहरीदुर्ग पत्रिका से गिलियड ग्रैजुएशन के बारे में एक लेख पढ़ा। उस लेख में कुछ वैसी ही मुश्किलों के बारे में बताया गया था जिनका वह सामना कर रही थी। एमी का कहना है, ‘मुझे ऐसा लगा जैसे यहोवा मुझसे बात कर रहा है। इससे मुझे अपने काम में लगे रहने का बढ़ावा मिला।’—भज. 44:25, 26; यशा. 41:10, 13.
13. इस बात का क्या सबूत है कि खुशखबरी की पैरवी करने में भी यहोवा अपने लोगों की मदद करता है?
13 यहोवा के साक्षी “खुशखबरी की पैरवी करने और उसे कानूनी तौर पर मान्यता दिलाने” में कामयाब रहे हैं। यह इस बात का एक और सबूत है कि यहोवा अपने लोगों की मदद करता है। (फिलि. 1:7) उदाहरण के लिए, कुछ देशों की सरकारों ने प्रचार काम को पूरी तरह से रोकने की कोशिश की। लेकिन जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो हमें पता चलता है कि यहोवा के साक्षियों ने उच्च न्यायालयों में कम-से-कम 268 मुकद्दमे जीते हैं। इनमें से 24 मुकद्दमे हमने सन् 2000 से अब तक ‘मानव अधिकारों की यूरोपीय अदालत’ में जीते हैं। सच में, परमेश्वर की ताकत के आगे कोई नहीं टिक सकता!—यशा. 54:17; यशायाह 59:1 पढ़िए।
14. हमारे पास और क्या सबूत हैं कि परमेश्वर अपने लोगों के साथ है?
14 खुशखबरी का पूरी दुनिया में ऐलान होना अपने आप में इस बात का सबूत है कि इसके पीछे परमेश्वर की ताकत काम कर रही है। (मत्ती 24:14; प्रेषि. 1:8) यही नहीं सभी देशों में यहोवा के सेवकों के बीच जो एकता है, वह देखते ही बनती है। ऐसी एकता यहोवा की ताकत के बिना नामुमकिन है। यहाँ तक कि जो लोग यहोवा के उपासक नहीं हैं वे भी हमारे बीच एकता देखकर यह कहे बिना नहीं रहते, “वाकई, परमेश्वर तुम्हारे बीच है।” (1 कुरिं. 14:25) कुल मिलाकर कहें तो हमारे पास इस बात के ढेरों सबूत हैं कि परमेश्वर अपने लोगों के साथ है। (यशायाह 66:14 पढ़िए।) लेकिन क्या आपको यह महसूस होता है कि परमेश्वर आपके साथ है? क्या आप देख सकते हैं कि वह आपकी मदद करता है?
क्या आप अपनी ज़िंदगी में परमेश्वर की ताकत का असर देख पाते हैं?
15. कभी-कभी हम क्यों यह नहीं देख पाते कि परमेश्वर हमारे साथ है?
15 कभी-कभी शायद हम यह देख न पाएँ कि परमेश्वर की ताकत हमारी ज़िंदगी में काम कर रही है। ऐसा क्यों? जब हम मुश्किलों के भँवर में फँस जाते हैं, तो शायद हम भूल जाएँ कि यहोवा ने पहले कई बार हमारी मदद की है। एलिय्याह के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था। वह बहुत हिम्मतवाला आदमी था, लेकिन जब रानी ईज़ेबेल ने उसे मार डालने की धमकी दी तो वह डर गया। एक पल के लिए वह भूल गया कि कैसे यहोवा ने उसकी पहले भी मदद की है। बाइबल कहती है कि एलिय्याह मर जाना चाहता था। (1 राजा 19:1-4) इस तकलीफ से छुटकारा पाने के लिए एलिय्याह को कहाँ से हिम्मत और मदद मिलती? उसे यहोवा से मदद माँगनी थी।—1 राजा 19:14-18.
16. समस्याओं से घिरे होने पर भी हम कैसे यह देख सकते हैं कि परमेश्वर हमारे साथ है?
16 अय्यूब अपनी चिंताओं में इतना डूबा हुआ था कि वह अपने हालात उस नज़र से नहीं देख पाया, जिस नज़र से यहोवा ने देखे। (अय्यू. 42:3-6) कभी-कभी शायद हम भी अपनी समस्याओं की वजह से यह न देख पाएँ कि यहोवा हमारे साथ है। तो फिर ऐसा करने में क्या बात हमारी मदद कर सकती है? हमें इस बात पर गहराई से सोचना चाहिए कि बाइबल हमारी समस्याओं के बारे में क्या बताती है। तब हमें यहोवा और भी असल लगने लगेगा। हम भी अय्यूब की तरह कह पाएँगे, “मैं ने कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आँखें तुझे देखती हैं।”
17, 18. (क) हम अपनी ज़िंदगी में कैसे देख सकते हैं कि परमेश्वर हमारी मदद करता है? (ख) एक अनुभव बताइए जिससे पता चलता है कि परमेश्वर आज भी हमारी मदद करता है।
17 हम अपनी ज़िंदगी में कैसे देख सकते हैं कि परमेश्वर हमारी मदद करता है? आइए पाँच उदाहरणों पर गौर करें। सबसे पहले, आपको शायद लगे कि सच्चाई पाने में यहोवा ने आपकी मदद की है। दूसरा, आपको शायद याद हो, एक बार आप सभा में गए और वहाँ एक भाषण सुनकर आपने कहा, “यह तो मेरे लिए ही था!” तीसरा, आपने शायद देखा होगा कि यहोवा ने कैसे आपकी एक प्रार्थना का जवाब दिया। चौथा, आप शायद यहोवा की सेवा में और ज़्यादा करना चाहते थे और आप यह देखकर हैरान रह गए कि आपकी यह तमन्ना कैसे यहोवा ने पूरी की। पाँचवाँ, शायद आपने यहोवा की सेवा में और ज़्यादा समय देने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी हो। और तब आपने परमेश्वर का यह वादा पूरा होते देखा, “मैं तुझे कभी न . . . त्यागूंगा।” (इब्रा. 13:5) जब यहोवा के साथ हमारा रिश्ता मज़बूत होता है, तो हम अपनी ज़िंदगी में साफ देख पाते हैं कि कैसे परमेश्वर हमारी मदद करता है।
18 केन्या की एक बहन सारा कहती है, ‘मुझे लगता था कि मेरी एक बाइबल विद्यार्थी अध्ययन पर खास ध्यान नहीं देती। मैंने सोचा कि मैं उसका अध्ययन बंद कर दूँ, इस बारे में मैंने यहोवा से प्रार्थना की। प्रार्थना के आखिर में जैसे ही मैंने ‘आमीन’ कहा, वैसे ही मेरा फोन बजा। यह फोन मेरी उसी बाइबल विद्यार्थी का था। उसने पूछा, “क्या मैं आपके साथ सभा में आ सकती हूँ?” मैं यह सुनकर दंग रह गयी!’ अगर हम अपनी ज़िंदगी में यह ध्यान दें कि यहोवा हमारे लिए क्या-क्या करता है, तो हम उसकी ताकत को अपनी ज़िंदगी में काम करते देख पाएँगे। लेकिन हमें ऐसा करना सीखना होगा, इस बारे में तजुरबा हासिल करना होगा। एशिया की एक बहन रोनॉ का कुछ ऐसा ही कहना है। वह यह भी कहती है, ‘एक बार जब आप यह तजुरबा हासिल कर लेंगे तो आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यहोवा आपका कितना खयाल रखता है!’
19. परमेश्वर को देखने के लिए हमें और क्या करना चाहिए?
19 यीशु ने कहा था, “सुखी हैं वे जो दिल के साफ हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे।” (मत्ती 5:8) हम “दिल के साफ” कैसे हो सकते हैं? हमें अच्छी बातों पर मन लगाना होगा और गलत काम छोड़ने होंगे। (2 कुरिंथियों 4:2 पढ़िए।) जैसे-जैसे हम परमेश्वर के साथ अपना रिश्ता मज़बूत करते हैं, हम खुद को उन लोगों में शामिल कर रहे होते हैं जो परमेश्वर को देख सकते हैं। अगले लेख में हम चर्चा करेंगे कि यहोवा की ताकत को अपनी ज़िंदगी में काम करता देखने के लिए विश्वास कैसे हमारी मदद कर सकता है।