यहोवा, आश्चर्यकर्म करनेवाला
“तू महान् और आश्चर्यकर्म करनेवाला है, केवल तू ही परमेश्वर है।”—भजन ८६:१०.
१, २. (क) मनुष्य के आविष्कारों ने संसार को कैसे प्रभावित किया है? (ख) हम कहाँ से बेहतर चीज़ों की आशा प्राप्त कर सकते हैं?
आधुनिक मनुष्य शायद डींग मारे कि उसके आविष्कार आश्चर्यजनक हैं—वैद्युत उपकरण, दूर-संचार, विडियो, स्वचालित वाहन, जेट विमान यात्रा, और कंप्यूटरीकृत शिल्पविज्ञान। इन्होंने संसार को एक पड़ोस में बदल दिया है। परन्तु क्या ही पड़ोस! सब के लिए शांति, समृद्धि, और बहुतायत के बजाय, मानवजाति हिंसक युद्धों, अपराध, आतंकवाद, प्रदूषण, बीमारियों, और ग़रीबी में ग्रस्त है। और संसार के चारों तरफ़ फैले हुए परमाणु अस्त्र, चाहे संख्या में घटा दिए गए हैं, फिर भी मानवजाति को नष्ट कर सकते हैं। मृत्यु के व्यापारी, शस्त्रों के निर्माता, पृथ्वी पर सब से बड़ा व्यापार करते जा रहे हैं। धनी और ज़्यादा धनी, और ग़रीब और ज़्यादा ग़रीब होते जा रहे हैं। क्या कोई इसका हल ढूँढ़ सकता है?
२ जी हाँ! एक व्यक्ति है जो उद्धार की गारंटी देता है, “वह जो उच्च से भी उच्चतर है,” यहोवा परमेश्वर। (सभोपदेशक ५:८, NW) उसने भजन संहिता के लेखन को प्रेरित किया, जो संकट के समयों के लिये काफ़ी सांत्वना और बुद्धिमान सलाह प्रदान करती है। उन में से एक भजन ८६ है, जिस पर यह सरल अभिलेख है: “दाऊद की प्रार्थना।” यह एक प्रार्थना है जिसे आप अपनी बना सकते हैं।
पीड़ित परन्तु निष्ठावान्
३. इन समयों में, दाऊद हमारे लिए कौन सा उत्साहवर्धक उदाहरण प्रदान करता है?
३ दाऊद ने यह भजन तब लिखा जब वह पीड़ित था। हम आज, जो शैतान की व्यवस्था के “अन्तिम दिनों” में, इस “कठिन समय” में, जी रहे हैं, मिलती-जुलती कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। (२ तीमुथियुस ३:१; मत्ती २४:९-१३ भी देखिये.) हमारी तरह दाऊद ने भी उस पर आने वाली समस्याओं के कारण, चिंता और हतोत्साह का कष्ट सहा। परन्तु उसने कभी भी इन कठिनाइयों को अपने सृष्टिकर्ता में अपने निष्ठ भरोसे को कमज़ोर नहीं करने दिया। उसने पुकारा: “हे यहोवा कान लगाकर मेरी सुन ले, क्योंकि मैं दीन और दरिद्र हूं। मेरे प्राण की रक्षा कर, क्योंकि मैं भक्त हूं; तू मेरा परमेश्वर है, इसलिये अपने दास का, जिसका भरोसा तुझ पर है, उद्धार कर।”—भजन ८६:१, २.
४. हमें अपना भरोसा कैसे दिखाना चाहिये?
४ दाऊद की तरह हम भरोसा रख सकते हैं कि “सब प्रकार की शान्ति का परमेश्वर,” यहोवा, अपना ध्यान इस पृथ्वी की ओर करेगा और हमारी विनम्र प्रार्थनाओं को सुनेगा। (२ कुरिन्थियों १:३, ४) अपने परमेश्वर पर संदेहरहित भरोसा रखते हुए, हम दाऊद की सलाह मान सकते हैं: “अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा; वह धर्मी को कभी टलने न देगा।”—भजन ५५:२२.
यहोवा के साथ घनिष्ठता
५. (क) कुछ सुविचारित अनुवादों ने यहूदी शास्त्रियों की ग़लतियों को कैसे ठीक किया है? (ख) किस तरह ८५वें और ८६वें भजन यहोवा का गुणगान करते हैं? (फुटनोट देखिये.)
५ छियासिवें भजन में, दाऊद “हे यहोवा” अभिव्यक्ति का ११ बार प्रयोग करता है। दाऊद की प्रार्थना कितनी भावपूर्ण है और यहोवा के साथ उसकी घनिष्ठता कितनी गहरी है! बाद में, परमेश्वर के नाम का ऐसा घनिष्ठ प्रयोग यहूदी शास्त्रियों को, विशेषकर सोफेरिमों को, नापसंद लगने लगा। उन्होंने इस नाम का दरुपयोग करने के अंधविश्वासी भय को प्रोत्साहित किया। यह तथ्य कि मनुष्य परमेश्वर के स्वरूप में सृजा गया है की उपेक्षा करते हुए, उन्होंने परमेश्वर को उन गुणों का श्रेय देने से इन्कार किया, जिन्हें मानव भी प्रदर्शित करते हैं,। इस लिए इस एक भजन के इब्रानी मूल-पाठ में ११ बार घटित होने वाले दिव्य नाम में से ७ बार उन्होंने नाम य् ह व् ह (यहोवा) को उपाधि अडो-नाए (प्रभु) से प्रतिस्थापित कर दिया। हम एहसानमन्द हो सकते हैं कि न्यू वर्ल्ड ट्रांसलेशन ऑफ द होली स्क्रिपचर्स् (New World Translation of the Holy Scriptures) ने, और साथ में दूसरे सुविचारित अनुवादों ने भी, इस दिव्य नाम को परमेश्वर के वचन में अपने उचित स्थान पर पुनःस्थापित कर दिया है। परिणामस्वरूप, यहोवा के प्रति हमारे संबंध पर ज़ोर दिया जाता है जैसा कि होना चाहिए।a
६. हम किन तरीक़ों से दिखा सकते हैं कि यहोवा का नाम हमारे लिए अमूल्य है?
६ दाऊद की प्रार्थना जारी रहती है: “हे प्रभु मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मैं तुझी को लगातार [दिन भर, NW] पुकारता रहता हूं। अपने दास के मन को आनन्दित कर, क्योंकि हे प्रभु, मैं अपना मन तेरी ही ओर लगाता हूं।” (भजन ८६:३, ४) ध्यान दीजिए कि दाऊद “दिन भर” यहोवा को पुकारता रहा। निश्चय ही, वह अक़सर रात भर प्रार्थना करता था, जैसे कि जब वह वीराने में एक भगोड़ा था। (भजन ६३:६, ७) उसी तरह आज, बलात्कार या दूसरे अपराधिक हमले होने के संकट में कई गवाहों ने यहोवा को ऊँचे स्वर से पुकारा है। कई बार वे सुखद परिणाम से चकित हुए हैं।b यहोवा का नाम हमारे लिए अमूल्य है, जैसे कि वह “दाऊद की सन्तान, यीशु मसीह,” के लिए भी था, जब वह पृथ्वी पर था। यीशु ने अपने शिष्यों को यहोवा के नाम के पवित्रीकरण के लिए प्रार्थना करना सिखाया और उन्हें बताया कि यह नाम क्या महत्त्व रखता है।—मत्ती १:१; ६:९; यूहन्ना १७:६, २५, २६.
७. हमारे पास यहोवा का अपने सेवकों के मन को आनन्दित करने के कौनसे उदाहरण हैं, और हमारी प्रतिक्रिया कैसी होनी चाहिये?
७ दाऊद ने अपने मन को और अपने आपको सम्पूर्ण रूप से यहोवा की ओर लगाया। वह हमें भी वैसा ही करने के लिए भजन ३७:५ में यह कहकर प्रोत्साहित करता है: “अपने मार्ग की चिन्ता यहोवा पर छोड़; और उस पर भरोसा रख, वही पूरा करेगा।” इस प्रकार यहोवा को हमारा निवेदन कि वह हमारे मन को आनन्दित करे व्यर्थ नहीं जाएगा। यहोवा के बहुत से खराई रखनेवाले सेवक कष्ट, सताहटों, और बीमारियों के बावजूद उसकी सेवा में बहुत आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। अफ्रीका के युद्ध-त्रस्त इलाकों, जैसे कि अंगोला, लाइबेरिया, मोज़ाम्बिक, और ज़ाइर, में हमारे भाइयों ने यहोवा की सेवा को अपने जीवन में प्रथम बनाए रखा है।c उसने सचमुच उन्हें प्रचुर आध्यात्मिक फ़सल से आनन्दित किया है। जैसे कि उन्होंने सहा है, वैसे ही हमें भी सहना है। (रोमियों ५:३-५) और जैसे हम सहते हैं, हमें आश्वस्त किया गया है: “इस दर्शन की बात नियत समय में पूरी होनेवाली है, वरन वह अन्त की ओर हांफती है। . . . उस में देर न होगी।” (हबक्कूक २:३, फुटनोट) ऐसा हो कि यहोवा में सम्पूर्ण विश्वास और भरोसा रखते हुए, हम भी ‘अन्त की ओर हांफते’ रहें।
यहोवा की भलाई
८. हम यहोवा के साथ कैसी घनिष्ठता रख सकते हैं, और उसने अपनी भलाई को कैसे प्रकट किया है?
८ दाऊद इस के अतिरिक्त यह भावपूर्ण निवेदन करता है: “हे प्रभु [यहोवा, NW], तू भला और क्षमा करनेवाला है, और जितने तुझे पुकारते हैं उन सभों के लिये तू अति करुणामय है। हे यहोवा मेरी प्रार्थना की ओर कान लगा, और मेरे गिड़गिड़ाने को ध्यान से सुन। संकट के दिन मैं तुझ को पुकारूंगा, क्योंकि तू मेरी सुन लेगा।” (भजन ८६:५-७) “हे यहोवा”—बार बार हम इस अभिव्यक्ति की घनिष्ठता से पुलकित होते हैं! यह ऐसी घनिष्ठता है जिसे प्रार्थना के द्वारा निरंतर विकसित किया जा सकता है। एक और अवसर पर दाऊद ने प्रार्थना की: “हे यहोवा अपनी भलाई के कारण मेरी जवानी के पापों और मेरे अपराधों को स्मरण न कर; अपनी करुणा ही के अनुसार तू मुझे स्मरण कर।” (भजन २५:७) यहोवा भलाई का साक्षात् रूप है। उसने यीशु की छुड़ौती का प्रबन्ध किया, पश्चात्तापी पापियों को दया दिखाई, और अपने निष्ठावान् एवं क़दर करनेवाले गवाहों पर करुणा बरसाई है।—भजन १००:३-५; मलाकी ३:१०.
९. पश्चात्तापी पापियों को कौन से आश्वासन पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिये?
९ क्या हमें पिछली गलतियों पर कुढ़ना चाहिए? अगर हम अब अपने पावों के लिये सीधे मार्ग बना रहे हैं, तो पश्चात्ताप करनेवालों के लिये प्रेरित पतरस के आश्वासन को याद करके हम उत्साहित होते हैं कि यहोवा की ओर से “विश्रान्ति के दिन” आएँगे। (प्रेरितों ३:१९) आइये हम अपने छुड़ौती देनेवाले, यीशु, द्वारा प्रार्थना से यहोवा के समीप रहें। यीशु ने प्रेममय रूप से कहा: “हे सब परिश्रम करनेवालो और बोझ से दबे हुए लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे।” आज जब निष्ठावान् गवाह यहोवा को यीशु के अमूल्य नाम से प्रार्थना करते हैं, वे सचमुच विश्राम पाते हैं।—मत्ती ११:२८, २९; यूहन्ना १५:१६.
१०. भजन संहिता की किताब यहोवा की करुणा को क्या प्रमुखता देती है?
१० भजन संहिता की किताब यहोवा की “करुणा” के विषय में सौ बार से भी अधिक ज़िक्र करती है। ऐसी करुणा निश्चय ही प्रचुर है! पहली चार आयतों में, ११८वाँ भजन परमेश्वर के सेवकों को यहोवा का धन्यवाद करने का अनुरोध करता है, चार बार दुहराते हुए ‘क्योंकि उसकी करुणा सदा की है।’ एक सौ छत्तीसवाँ भजन “उसकी करुणा” के प्रीतिकर गुण पर २६ बार ज़ोर देता है। चाहे हम किसी तरह से भी गलती करें—और जैसे कि याकूब ३:२ कहता है, “हम सब बहुत बार चूक जाते हैं”—यहोवा की दया और करुणा पर भरोसा रखते हुए, हम उससे क्षमा माँगने के लिए तैयार रहें। उसकी करुणा हमारी ओर उसके निष्ठावान् प्रेम की अभिव्यक्ति है। अगर हम परमेश्वर की इच्छा निष्ठा से करते रहेंगे, तो हर एक कठिनाई का सामना करने के लिए वह हमें अपना निष्ठावान् प्रेम दिखाकर सामर्थ करेगा।—१ कुरिन्थियों १०:१३.
११. प्राचीनों द्वारा कार्य कैसे दोषी महसूस करने की भावना को हटाने में सहायता कर सकता है?
११ ऐसे अवसर हो सकते हैं जब हम दूसरों के कारण ठोकर खाते हैं। बचपन में भावात्मक या शारीरिक दुर्व्यवहार के कारण कई अपने आपको दोषी या अत्यंत अयोग्य महसूस करते हैं। ऐसे दुर्व्यवहार के शिकार यहोवा को इस भरोसे से पुकार सकते हैं कि वह उत्तर देगा। (भजन ५५:१६, १७) एक कृपालु प्राचीन ऐसे दुर्व्यवहार के शिकार को यह तथ्य स्वीकार करने के लिए सहायता करने में दिलचस्पी दिखा सकता है, कि यह उसकी गलती नहीं थी। इस के बाद, जब तक वह व्यक्ति ‘भार उठाने’ के योग्य नहीं हो जाता वह प्राचीन समय-समय पर स्नेही फ़ोन कॉल द्वारा सहायता कर सकता है।—गलतियों ६:२, ५.
१२. पीड़ाओं की कैसी वृद्धि हुई है, परन्तु हम उन के साथ कैसे सफलतापूर्वक निपट सकते हैं?
१२ यहोवा के लोगों को आज बहुत सी दूसरी दुःखद परिस्थितियों से लड़ना पड़ता है। उन्नीस सौ चौदह के प्रथम विश्वयुद्ध से, भारी विपत्तियों ने इस पृथ्वी को पीड़ित करना आरम्भ कर दिया। जैसे कि यीशु द्वारा भविष्यसूचित किया गया था, ये “पीड़ाओं का आरम्भ” थीं। जैसे-जैसे हम “जगत के अन्त” की ओर और ज़्यादा करीब आते जा रहे हैं, पीड़ाओं में वृद्धि हुई है। (मत्ती २४:३, ८) शैतान का “थोड़ा ही समय” अपने चरम अन्त की ओर धीरे-धीरे बढ़ रहा है। (प्रकाशितवाक्य १२:१२) शिकार की खोज में “गर्जनेवाले सिंह की नाईं,” वह बड़ा विरोधी हमें परमेश्वर के झुंड से अलग करके नाश करने के लिए हर एक उपलब्ध छल-कपट का प्रयोग कर रहा है। (१ पतरस ५:८) परन्तु वह सफल नहीं होगा! क्योंकि, दाऊद की तरह, हम अपना भरोसा पूर्ण रूप से अपने एकाकी परमेश्वर, यहोवा, पर रखते हैं।
१३. यहोवा की भलाई से माता-पिता और उनके बच्चे कैसे लाभ प्राप्त कर सकते हैं?
१३ निस्संदेह, दाऊद ने अपने पुत्र सुलैमान के हृदय में यहोवा की भलाई पर भरोसा करने की ज़रूरत को बैठाया। इसलिए, सुलैमान भी अपने पुत्र को आदेश दे सका: “तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा। अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना।” (नीतिवचन ३:५-७) इसी तरह माता-पिताओं को आज अपने छोटे बच्चों को सिखाना चाहिये कि किस प्रकार भरोसे के साथ यहोवा से प्रार्थना करनी है और निर्दयी दुनिया के आक्रमणों—जैसे कि स्कूल में समकक्ष दबाव और अनैतिकता करने के प्रलोभन—का कैसे सामना करना है। अपने बच्चों के साथ हर दिन सच्चाई के मुताबिक जीने से उनके कोमल हृदयों पर यहोवा के लिए सच्चा प्रेम और उन पर प्रार्थनामय भरोसा करने का प्रभाव पड़ सकता है।—व्यवस्थाविवरण ६:४-९; ११:१८, १९.
यहोवा के अद्वितीय काम
१४, १५. यहोवा के कुछ अद्वितीय काम क्या हैं?
१४ दृढ़ विश्वास के साथ दाऊद कहता है: “हे प्रभु देवताओं में से कोई भी तेरे तुल्य नहीं, और न किसी के काम तेरे कामों के बराबर हैं।” (भजन ८६:८) यहोवा के काम किसी भी मनुष्य की कल्पना से भी अधिक महान्, शानदार, और तेजस्वी हैं। जैसे कि आधुनिक विज्ञान द्वारा झलक पायी गयी है, सृष्टि किया गया विश्व—उसकी विशालता, उसका सामंजस्य, उसका वैभव—जैसा दाऊद ने समझा था उससे कहीं अधिक विस्मयकारी साबित हुआ है। फिर भी, वह भी यह कहने के लिये प्रेरित हुआ: “आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकाशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है।”—भजन १९:१.
१५ यहोवा ने जिस तरीक़े से पृथ्वी को स्थित और तैयार किया, भावी मानव के आनन्द के लिए दिन और रात, ऋतु, बीज बोने का समय और फ़सल, और भरपूर खुशियाँ उपलब्ध कीं, इस में भी उसके काम अद्भुत रीति से चित्रित किये गये हैं। और हम ख़ुद कैसी अद्भुत रीति से रचे और सज्जित किये गये हैं, कि हम अपने चारों ओर के यहोवा के कामों का आनन्द ले सकते हैं!—उत्पत्ति २:७-९; ८:२२; भजन १३९:१४.
१६. यहोवा की भलाई की महत्तम अभिव्यक्ति क्या है, और यह कौनसे अतिरिक्त अद्वितीय कामों की ओर ले जाती है?
१६ जब हमारे प्रथम माता-पिता ने परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन किया, जिस से पृथ्वी को आज तक तंग करनेवाली विपत्तियाँ शुरू हुईं, यहोवा ने अपने प्रेम के कारण अपने पुत्र को पृथ्वी पर परमेश्वर के राज्य की घोषणा करने के लिए और मानवजाति के छुड़ौती के तौर पर मरने के लिए भेजकर एक आश्चर्यकर्म किया। और चमत्कारों का चमत्कार! यहोवा ने फिर मसीह को अपने चुने हुए सहयोगी राजा बनने के लिए जी उठाया। (मत्ती २०:२८; प्रेरितों २:३२, ३४) परमेश्वर ने निष्ठावान् मनुष्यों में से एक “नई सृष्टि” को भी चुना है जो “नयी पृथ्वी” समाज, जिन में लाखों लाख जी उठाए गए मानव शामिल होंगे, के ऊपर मसीह के साथ परोपकारी “नये आकाश” के तौर पर राज्य करेंगे। (२ कुरिन्थियों ५:१७; प्रकाशितवाक्य २१:१, ५-७; १ कुरिन्थियों १५:२२-२६) इस प्रकार यहोवा के काम एक शानदार चरम सीमा की ओर आगे बढ़ेंगे! सचमुच, हम ऊँचे शब्द से कह सकते हैं: “हे यहोवा, . . . तेरी भलाई क्या ही बड़ी है जो तू ने अपने डरवैयों के लिये रख छोड़ी है!”—भजन ३१:१७-१९.
१७. यहोवा के कामों के विषय में, भजन ८६:९ इस समय कैसे पूरा हो रहा है?
१७ यहोवा के वर्तमान कामों में, दाऊद द्वारा भजन ८६:९ में वर्णित काम शामिल है: “हे प्रभु जितनी जातियों को तू ने बनाया है, सब आकर तेरे साम्हने दण्डवत् करेंगी, और तेरे नाम की महिमा करेंगी।” यहोवा ने मानवजाति में से अपनी नई सृष्टि के शेष जनों को बुलाया है, जो राज्य उत्तराधिकारियों का ‘छोटा झुण्ड’ हैं। इसके बाद, उसने आगे बढ़कर “हर एक जाति” में से ‘अन्य भेड़ों’ की ‘एक बड़ी भीड़,’ को एकत्र किया, और यह वे लाखों लोग हैं जो यीशु के बहाये लहू पर विश्वास करते हैं। इन को उसने एक गतिशील संगठन में बनाया है, जो कि पृथ्वी पर आज शान्ति प्रेमी लोगों की एकमात्र विश्वव्यापी संस्था है। इस को देखते हुए, स्वर्गीय दल मुंह के बल गिर कर यहोवा को दण्डवत करते हुए कहते हैं: “हमारे परमेश्वर की स्तुति, और महिमा, और ज्ञान, और धन्यवाद, और आदर, और सामर्थ, और शक्ति युगानुयुग बनी रहें।” बड़ी भीड़ भी यहोवा के नाम की महिमा करती है, और “दिन रात” उसकी सेवा करते हुए, इस जगत के अन्त से बचकर परादीस पृथ्वी पर सर्वदा जीवित रहने की आशा रखती है।—लूका १२:३२; प्रकाशितवाक्य ७:९-१७; यूहन्ना १०:१६.
यहोवा की महान्ता
१८. यहोवा ने कैसे प्रदर्शित किया कि वह ही ‘केवल परमेश्वर’ है?
१८ उसके बाद दाऊद यह कहते हुए यहोवा के ईश्वरत्व पर ध्यान आकर्षित करता है: “तू महान् और आश्चर्यकर्म करनेवाला है, केवल तू ही परमेश्वर है।” (भजन ८६:१०) प्राचीनकाल से, यहोवा प्रदर्शित कर रहा है कि वह ही, वास्तव में, ‘केवल परमेश्वर’ है। मिस्र का एक निरंकुश फ़िरौन था जिसने मूसा को उद्धत तरीक़े से ललकारा: “यहोवा कौन है, कि मैं उसका वचन मानकर इस्राएलियों को जाने दूं? मैं यहोवा को नहीं जानता।” परन्तु उसे जल्द ही मालूम हो गया कि यहोवा कितना महान् है! सर्वशक्तिमान् परमेश्वर ने भयंकर विपत्तियों को भेजकर, मिस्र के पहलौठे पुत्रों को मरवाकर, और फ़िरौन तथा उसकी विशिष्ट सेना को लाल समुद्र में नाश कर के, मिस्र के देवताओं और जादू करने वाले पुजारियों को नीचा दिखाया। सचमुच, देवताओं में से यहोवा के तुल्य कोई नहीं है!—निर्गमन ५:२; १५:११, १२.
१९, २०. (क) प्रकाशितवाक्य १५:३, ४ के गीत की सब से शानदार अभिव्यक्ति कब होगी? (ख) इस समय भी हम कैसे यहोवा के कामों में हिस्सा ले सकते हैं?
१९ एकाकी परमेश्वर के रूप में, यहोवा अपने आज्ञाकारी उपासकों को आधुनिक मिस्र—शैतान के संसार—से छुड़ाने की तैयारी में आश्चर्यकर्म कर रहा है। उसने अपने ईश्वरीय न्याय को पूरे इतिहास में सबसे विस्तृत प्रचार के कर्मावधि द्वारा सारी पृथ्वी में गवाही के तौर पर घोषित करवाया है, और इस प्रकार मत्ती २४:१४ में यीशु की भविष्यवाणी को पूरा किया है। निकट भविष्य में, “अन्त” अवश्य आना है, जब यहोवा पृथ्वी की सारी दुष्टता को सत्यानाश करने के द्वारा अपनी महानता को अभूतपूर्व पैमाने पर प्रदर्शित करेगा। (भजन १४५:२०) तब मूसा का गीत और मेम्ने का गीत उत्कर्ष तक पहुँचेगा: “हे सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, तेरे कार्य्य बड़े, और अद्भुत हैं, हे युग युग के राजा, तेरी चाल ठीक और सच्ची है। हे प्रभु, कौन तुझ से न डरेगा? और तेरे नाम की महिमा न करेगा? क्योंकि केवल तू ही पवित्र है।”—प्रकाशितवाक्य १५:३, ४.
२० ऐसा हो कि हम अपनी तरफ़ से परमेश्वर के शानदार उद्देश्यों के बारे में दूसरों को बताने में सरगर्म रहें। (प्रेरितों २:११ से तुलना कीजिए.) यहोवा हमारे दिनों में महान् और आश्चर्यकर्म करता रहेगा और भविष्य में भी करेगा, जैसे कि हमारा अगला लेख वर्णन करेगा।
[फुटनोट]
a अठारह सौ चौहत्तर की एक बाइबल टीका ने ऐन्द्रू ए. बोनार के इस कथन को उद्धृत किया: “पिछले [८५वें] भजन की समाप्ति में परमेश्वर के विशिष्ट गुणों को, उसके शानदार नाम को, अधिक, बहुत अधिक, प्रकट किया गया था। शायद इसी कारण इस के बाद एक और ‘दाऊद की प्रार्थना,’ आती है, जो यहोवा के गुणों से लगभग उतनी ही परिपूर्ण है। इस [८६वें] भजन का मूल-भाव है यहोवा का नाम।”
b वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसायटी ऑफ इन्डिया द्वारा प्रकाशित की गयी अवेक! (अंग्रेज़ी में) जून २२, १९८४ के अंक, पृष्ठ २८ देखिये।
c तफ़सील के लिए, प्रहरीदुर्ग के अंक, जनवरी १, १९९३ में प्रकट होनेवाली “यहोवा के विश्वव्यापी गवाहों की १९९२ की वार्षिक सेवकाई रिपोर्ट” के चार्ट को देखिये।
क्या आपको याद है?
▫ भजन ८६ की प्रार्थना हमें अपनी क्यों बनानी चाहिये?
▫ हम यहोवा के साथ घनिष्ठता कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
▫ यहोवा अपनी भलाई हमारी ओर कैसे अभिव्यक्त करता है?
▫ यहोवा के कुछ अद्वितीय काम क्या हैं?
▫ महानता के विषय में यहोवा ही कैसे ‘केवल परमेश्वर’ है?
[पेज 23 पर तसवीरें]
आनेवाली “नयी पृथ्वी” में, यहोवा के आश्चर्यकर्म उसकी महिमा और भलाई का प्रमाण देंगे