अध्याय 26
परमेश्वर जो “क्षमा करने को तत्पर” रहता है
1-3. (क) भजनहार दाऊद कौन-सा भारी बोझ उठाए हुए था, और उसके बेचैन दिल को सांत्वना कैसे मिली? (ख) जब हम पाप करते हैं, तो हमें किस चीज़ का बोझ उठाना पड़ सकता है, मगर यहोवा हमें क्या यकीन दिलाता है?
भजनहार दाऊद ने लिखा: “मेरे अधर्म के कामों में मेरा सिर डूब गया, और वे भारी बोझ की नाईं मेरे सहने से बाहर हो गए हैं। मैं निर्बल और बहुत ही चूर हो गया हूं।” (भजन 38:4, 8) दाऊद अपने अनुभव से जानता था कि दोषी विवेक का बोझ लिए फिरना कितना भारी पड़ सकता है। मगर उसके बैचेन दिल को सांत्वना मिली। उसे यह समझ आ गया कि यहोवा पाप से घृणा ज़रूर करता है, मगर पापी से नहीं। अगर पाप करनेवाला सच्चा पश्चाताप करता है और बुरे मार्ग से फिर जाता है, तो यहोवा उसे माफ करता है। पूरे यकीन के साथ कि यहोवा पश्चाताप करनेवालों पर दिल से दया करता है, दाऊद ने कहा: “हे प्रभु, तू . . . क्षमा करने को तत्पर रहता है।”—भजन 86:5, NHT.
2 जब हम पाप करते हैं, तो हमारा विवेक भी शायद दर्द से कराहने लगे। यह इतना भारी बोझ बन जाता है, जिसे उठाए फिरना हमारी बरदाश्त के बाहर हो जाता है। लेकिन पछतावे की ऐसी आग में जलना फायदेमंद है। यह हमें अपनी गलतियों को सुधारने के लिए सही कदम उठाने को उकसा सकती है। मगर दूसरी तरफ यह भी खतरा हो सकता है कि दोष की भावना हमें पूरी तरह से निगल जाए। दोष लगानेवाला हमारा दिल, शायद हमसे बार-बार यही कहे कि चाहे हम कितना ही पश्चाताप क्यों न कर लें, यहोवा हमें माफ नहीं करेगा। अगर हम दोष की भावना में ‘डूब जाएँगे,’ तो शैतान इसका फायदा उठाने की कोशिश करेगा। वह चाहेगा कि हम हार मान लें और यह मान बैठें कि यहोवा की नज़र में हमारा कोई मोल नहीं और हम उसकी सेवा के काबिल नहीं रहे।—2 कुरिन्थियों 2:5-11.
3 क्या वाकई यहोवा ऐसा महसूस करता है? बिलकुल नहीं! माफ करना, यहोवा के महान प्रेम का एक पहलू है। अपने वचन में वह हमें यकीन दिलाता है कि जब हम सच्चे दिल से पश्चाताप करते हैं, तो वह हमें माफ करने को तत्पर रहता है। (नीतिवचन 28:13) इससे पहले कि आपको कभी ऐसा लगने लगे कि यहोवा आपको माफ नहीं करेगा, आइए इस बात पर गौर करें कि वह क्यों और कैसे माफ करता है।
यहोवा “क्षमा करने को तत्पर” क्यों है
4. यहोवा हमारे स्वभाव के बारे में क्या याद रखता है, और हमारे साथ उसके व्यवहार पर इसका कैसे असर होता है?
4 यहोवा हमारी सीमाओं को जानता है। भजन 103:14 कहता है: “वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही हैं।” वह यह नहीं भूलता कि हम मिट्टी से बने प्राणी हैं, और असिद्धता की वजह से हममें कई कमज़ोरियाँ और खामियाँ हैं। यह बात कि वह “हमारी सृष्टि” जानता है, हमें याद दिलाती है कि बाइबल, यहोवा को एक कुम्हार कहती है और हमें उसके हाथ के बने मिट्टी के बर्तन।a (यिर्मयाह 18:2-6) यह महान कुम्हार, हमारे पापी स्वभाव और हमारी कमज़ोरी को ध्यान में रखते हुए हमारे साथ पेश आता है। वह इस बात का भी ध्यान रखता है कि हम उसकी हिदायतों को मान रहे हैं या नहीं।
5. रोमियों की किताब में पाप की ज़बरदस्त गिरफ्त का वर्णन कैसे किया गया है?
5 यहोवा जानता है कि पाप कितना शक्तिशाली होता है। उसके वचन में पाप को ऐसी प्रबल शक्ति बताया गया है जो इंसान को अपने खतरनाक शिकंजे में जकड़े हुए है। पाप की पकड़ कितनी मज़बूत है? रोमियों की किताब में, प्रेरित पौलुस समझाता है: हम सभी “पाप के वश में” हैं, वैसे ही जैसे सिपाही अपने सेनापति के इशारे पर चलता है (रोमियों 3:9); पाप ने राजा की तरह इंसानों पर “राज्य किया” है (रोमियों 5:21); यह हमारी रग-रग में “बसा हुआ है” (रोमियों 7:17, 20); इसकी “व्यवस्था” हमारे अंदर दिन-रात काम करती रहती है, जिसका मतलब है यह हमारी पूरी ज़िंदगी को अपनी गिरफ्त में लेना चाहता है। (रोमियों 7:23, 25) हमारा असिद्ध शरीर पाप की क्या ही ज़बरदस्त पकड़ में है!—रोमियों 7:21, 24.
6, 7. (क) जो लोग खेदित मन से यहोवा से दया की बिनती करते हैं, उन्हें वह किस नज़र से देखता है? (ख) हमें क्यों परमेश्वर की दया का नाजायज़ फायदा नहीं उठाना चाहिए?
6 इसलिए, यहोवा जानता है कि चाहे हमारा दिल उसका कितना भी आज्ञाकारी होना क्यों न चाहे, हमारे लिए पूरी तरह उसकी आज्ञाएँ मानना मुमकिन नहीं। वह बड़े प्यार से यकीन दिलाता है कि जब हम खेदित मन से उससे दया के लिए बिनती करेंगे, तो वह ज़रूर माफ करेगा। भजन 51:17 कहता है: “टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता।” यहोवा ऐसे मन को कभी नहीं ठुकराएगा, न निराश करेगा जो दोष के बोझ तले ‘टूटा और पिसा हुआ’ है।
7 लेकिन, क्या इसका मतलब यह है कि हम परमेश्वर की दया का नाजायज़ फायदा उठा सकते हैं, और अपने पापी स्वभाव का बहाना बनाकर पाप करते रह सकते हैं? हरगिज़ नहीं! यहोवा सिर्फ जज़्बातों से काम नहीं लेता। उसकी दया की सीमाएँ हैं। वह ऐसे लोगों को किसी-भी कीमत पर माफ नहीं करेगा जिनका दिल सख्त हो गया है, जो पाप करने से बाज़ नहीं आते, और अपने किए पर ज़रा भी पछतावा महसूस नहीं करते। (इब्रानियों 10:26) दूसरी तरफ, जब वह पश्चाताप से भरा दिल देखता है तो माफ करने को तैयार रहता है। आइए अब हम बाइबल में इस्तेमाल की गयी उस भाषा पर गौर करें, जो बहुत ही प्रभावशाली ढंग से बताती है कि यहोवा के प्रेम का यह पहलू कितना शानदार है।
यहोवा किस हद तक माफ करता है?
8. जब यहोवा हमारे पापों को माफ करता है तो मानो वह क्या करता है, और इससे हमें क्या भरोसा मिलता है?
8 पश्चातापी दाऊद ने कहा था: “जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, . . . तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।” (तिरछे टाइप हमारे; भजन 32:5) शब्द “क्षमा” एक ऐसे इब्रानी शब्द का अनुवाद है, जिसका बुनियादी अर्थ है “उठाना” या “ले जाना।” यहाँ इसके इस्तेमाल का मतलब है “दोष, पाप, अपराध” को दूर ले जाना। यहोवा मानो दाऊद के पापों को उठाकर दूर ले गया। इससे ज़रूर दाऊद के मन से दोष की वह भावना दूर हुई, जिसके बोझ से वह दबा हुआ था। (भजन 32:3) हम भी परमेश्वर पर पूरा भरोसा रख सकते हैं कि वह ऐसे लोगों के पापों को उठाकर दूर ले जाता है, जो यीशु मसीह के छुड़ौती बलिदान पर विश्वास के आधार पर उससे माफी माँगते हैं।—मत्ती 20:28.
9. यहोवा हमारे पापों को हमसे कितनी दूर ले जाता है?
9 यहोवा कैसे माफ करता है, यह समझाने के लिए दाऊद ने ज़बरदस्त मिसाल दी: “पूर्व पश्चिम से जितनी दूर है, वह हमारे अपराध हमसे उतनी ही दूर करता है।” (तिरछे टाइप हमारे; भजन 103:12, नयी हिन्दी बाइबिल) पूर्व, पश्चिम से कितनी दूर है? पूर्व और पश्चिम के बीच का फासला कभी मिटाया नहीं जा सकता, ये एक-दूसरे से हमेशा दूर ही रहेंगे। एक विद्वान का कहना है कि इस पद का मतलब है, “जितना मुमकिन हो उतना दूर; जितनी दूरी की हम कल्पना कर सकते हैं।” दाऊद के ईश्वर-प्रेरित शब्द हमें बता रहे हैं कि यहोवा जब हमें माफ करता है, तो हमारे पापों को हमसे इतनी दूर ले जाता है जितनी हम कल्पना कर सकते हैं।
10. जब यहोवा हमारे पापों को माफ करता है, तो क्यों हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि पापों के ये दाग ज़िंदगी भर नहीं मिटेंगे?
10 क्या आपने कभी किसी हल्के रंग के कपड़े पर लगा कोई दाग मिटाने की कोशिश की है? आपकी लाख कोशिशों के बावजूद, शायद वह दाग अब भी दिखायी देता हो। लेकिन गौर कीजिए कि यहोवा माफ करने की अपनी काबिलीयत के बारे में क्या कहता है: “तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के हों, तौभी वे हिम के समान श्वेत हो जाएंगे; चाहे वे किरमिजी लाल ही क्यों न हों, वे ऊन के समान उजले हो जाएंगे।” (तिरछे टाइप हमारे; यशायाह 1:18, NHT) “किरमिजी” शब्द का मतलब है चटकीला लाल रंग।b और यही “किरमिजी” रंग कपड़ों की रंगाई में इस्तेमाल होनेवाले सबसे गहरे रंगों में से एक था। (नहूम 2:3) हम अपनी ही कोशिशों से कभी-भी पाप के दाग को मिटा नहीं पाएँगे। मगर यहोवा ऐसे पापों को, जो लाल और किरमिजी रंग की तरह गाढ़े क्यों न हों, हिम या सफेद ऊन के समान उजला कर सकता है। जब यहोवा हमारे पापों को माफ करता है, तो हमें कभी-भी यह महसूस नहीं करना चाहिए कि अब पापों के ये दाग ज़िंदगी भर नहीं मिटेंगे।
11. किस मायने में यहोवा हमारे पापों को अपनी पीठ के पीछे फेंक देता है?
11 हिजकिय्याह ने एक जानलेवा बीमारी से चंगा होने पर, एहसानमंदी ज़ाहिर करते हुए एक गीत में यहोवा से कहा: “मेरे सब पापों को तू ने अपनी पीठ के पीछे फेंक दिया है।” (तिरछे टाइप हमारे; यशायाह 38:17) यहाँ बताया गया है कि यहोवा मानो पश्चाताप करनेवाले के पापों को लेकर अपनी पीठ के पीछे फेंक देता है, जिन्हें वह मुड़कर कभी नहीं देखेगा, न ही उन पर कभी ध्यान देगा। एक किताब के मुताबिक, इस विचार को यूँ कहा जा सकता है: “तू ने [मेरे पापों] को ऐसा कर दिया है जैसे वे कभी थे ही नहीं।” क्या यह हमारे दिल को चैन नहीं पहुँचाता?
12. भविष्यवक्ता मीका कैसे दिखाता है कि जब यहोवा माफ करता है, तो वह हमारे पापों को हमेशा के लिए दूर कर देता है?
12 बहाली के एक वादे में, भविष्यवक्ता मीका ने यह यकीन ज़ाहिर किया कि यहोवा अपने पश्चातापी लोगों को माफ करेगा: “तेरे समान ऐसा परमेश्वर कहां है जो . . . अपने निज भाग के बचे हुओं के अपराध को ढांप दे? . . . तू उनके सब पापों को गहिरे समुद्र में डाल देगा।” (तिरछे टाइप हमारे; मीका 7:18, 19) कल्पना कीजिए कि बाइबल के ज़माने में जीनेवालों के लिए इन शब्दों का क्या मतलब था। जिस चीज़ को “गहिरे समुद्र” में फेंक दिया गया हो, उसे फिर से पाने की क्या कोई उम्मीद कर सकता था? नहीं। इसलिए, मीका के शब्द यही दिखाते हैं कि जब यहोवा माफ करता है, तो हमारे पापों को हमेशा के लिए दूर कर देता है।
13. यीशु के इन शब्दों का क्या मतलब है, “हमारे क़र्ज़ मुआफ़ कर”?
13 यहोवा की माफी के बारे में समझाने के लिए, यीशु ने एक कर्ज़दार और कर्ज़ वसूल करनेवाले का दृष्टांत इस्तेमाल किया। यीशु ने हमें यूँ प्रार्थना करने को उकसाया: “हमारे क़र्ज़ मुआफ़ कर।” (तिरछे टाइप हमारे; मत्ती 6:12, हिन्दुस्तानी बाइबल) यहाँ यीशु ने पापों की बराबरी कर्ज़ के साथ की। (लूका 11:4) जब हम पाप करते हैं, तो हम यहोवा के “कर्ज़दार” हो जाते हैं। यूनानी क्रिया जिसका अनुवाद “मुआफ़” किया गया है, उसका मतलब समझाते हुए एक किताब कहती है: “किसी कर्ज़ को छोड़ देना, उसका तकाज़ा न करना।” एक तरह से, यहोवा जब हमारे पाप माफ करता है तो वह हमारे उस कर्ज़ को माफ कर देता है, जिसका हमें अलबत्ता हिसाब देना पड़ता। इसलिए, प्रायश्चित्त करनेवाले पापी, सांत्वना पा सकते हैं। यहोवा कभी-भी उस कर्ज़ को चुकाने की माँग नहीं करेगा, जो उसने माफ कर दिया है!—भजन 32:1, 2.
14. “तुम्हारे पाप मिटाए जाएं,” इन शब्दों से मन में क्या तसवीर उभर आती है?
14 यहोवा की माफी के बारे में प्रेरितों 3:19 में और ज़्यादा बताया गया है: “मन फिराओ और लौट आओ कि तुम्हारे पाप मिटाए जाएं।” (तिरछे टाइप हमारे।) इस आयत के ये आखिरी शब्द एक ऐसी यूनानी क्रिया का अनुवाद हैं, जिसका मतलब “पोंछ देना, . . . रद्द या नष्ट करना” हो सकता है। कुछ विद्वानों के मुताबिक, यहाँ जो तसवीर पेश की गयी है, वह है किसी की लिखावट को मिटाना। यह कैसे मुमकिन था? प्राचीनकाल में जो स्याही आम तौर पर इस्तेमाल होती थी, वह कोयले, गोंद और पानी का मिश्रण होती थी। ऐसी स्याही से लिखने के फौरन बाद, एक इंसान चाहे तो उस लिखाई को गीले स्पंज से मिटा सकता था। यह, यहोवा की दया की एक बढ़िया तसवीर पेश करता है। जब वह हमारे पाप माफ करता है, तो मानो वह स्पंज लेकर इन्हें पूरी तरह मिटा देता है।
यहोवा हमें यह बताना चाहता है कि वह “क्षमा करने को तत्पर” रहता है
15. यहोवा हमें अपने बारे में क्या बताना चाहता है?
15 इन अलग-अलग उदाहरणों के बारे में जब हम ध्यान से सोचते हैं, तो क्या यह साफ नहीं हो जाता कि यहोवा हमें यह बताना चाहता है कि वह सचमुच हमारे पाप माफ करने को तैयार है, बशर्ते वह हमें सच्चा प्रायश्चित्त करता हुआ पाए? हमें इस बात का डर नहीं सताना चाहिए कि वह भविष्य में हमसे ऐसे पापों का हिसाब लेगा। बाइबल, यहोवा की बड़ी दया के बारे में एक और बात बताती है, और वह यह है: जब वह पापों को माफ करता है, तो उन्हें भूल जाता है।
‘मैं उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा’
16, 17. जब बाइबल कहती है कि यहोवा हमारे पापों को भूल जाता है, तो इसका क्या मतलब है, और आप ऐसा जवाब क्यों दे रहे हैं?
16 यहोवा ने नयी वाचा के अधीन लोगों के बारे में वादा किया: “मैं उनका अधर्म क्षमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा।” (यिर्मयाह 31:34) क्या इसका मतलब यह है कि जब यहोवा माफ करता है, तो उसके बाद वह उन पापों को याद ही नहीं कर पाता? नहीं, ऐसा हो ही नहीं सकता। बाइबल हमें ऐसे बहुत-से लोगों के पापों के बारे में बताती है, जिन्हें यहोवा ने माफ किया, जैसे दाऊद। (2 शमूएल 11:1-17; 12:13) ज़ाहिर है, यहोवा आज भी जानता है कि उन्होंने क्या-क्या अपराध किए थे। उनके पापों का, साथ ही उनके प्रायश्चित्त और परमेश्वर से माफी पाने का रिकॉर्ड हमारे फायदे के लिए आज तक बरकरार रखा गया है। (रोमियों 15:4) तो फिर, बाइबल का क्या मतलब है जब यह कहती है कि यहोवा जिन्हें माफ करता है, उनके पाप “स्मरण” नहीं करता?
17 जिस इब्रानी क्रिया का अनुवाद ‘मैं स्मरण करूंगा’ किया गया है, उसका मतलब सिर्फ बीते हुए कल को याद करना ही नहीं बल्कि उससे भी ज़्यादा है। थियॉलाजिकल वर्डबुक ऑफ दी ओल्ड टेस्टामेंट कहती है कि इसमें “मुनासिब कार्यवाही करने की बात भी शामिल है।” इस अर्थ में, पाप को “स्मरण” करने (या, “सुधि” लेने) का मतलब है पापियों के खिलाफ कार्यवाही करना। (होशे 9:9) मगर जब परमेश्वर कहता है कि “[मैं] उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा,” तो वह हमें यकीन दिला रहा है कि एक बार जब उसने पश्चाताप करनेवाले पापियों को माफ कर दिया, तो फिर वह भविष्य में कभी-भी इन पापों के लिए उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं करेगा। (यहेजकेल 18:21, 22) यहोवा के भूल जाने का मतलब है, कि वह बार-बार हमारे पापों को याद नहीं करता रहेगा ताकि हमें लगातार दोषी ठहराकर सज़ा दे। क्या यह जानकर हमें राहत नहीं मिलती कि हमारा परमेश्वर माफ करता है और भूल जाता है?
अंजामों के बारे में क्या?
18. माफ करने का यह मतलब क्यों नहीं है कि पश्चाताप करनेवाला पापी अपने गलत कामों के सभी अंजामों से बच जाएगा?
18 क्या यहोवा के माफ करने को तत्पर रहने का मतलब यह है कि पश्चाताप करनेवाला पापी अपने गलत काम के अंजामों से बच जाएगा? जी नहीं। हम पाप करके यह उम्मीद नहीं कर सकते कि हमें कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा। पौलुस ने लिखा: “मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा।” (गलतियों 6:7) हमें अपने पापों के कुछ अंजामों को भुगतना पड़ सकता है। लेकिन, इसका यह मतलब नहीं कि माफ करने के बाद, यहोवा हम पर मुसीबतें लाता है। जब तकलीफें आती हैं, तो एक मसीही को ऐसा महसूस नहीं करना चाहिए, ‘शायद यहोवा मुझे पिछले पापों की सज़ा दे रहा है।’ (याकूब 1:13) दूसरी तरफ, हमारे गलत कामों के सभी अंजामों से यहोवा हमें नहीं बचाता। तलाक, अनचाहे गर्भ, लैंगिक रूप से फैलनेवाली बीमारियाँ, भरोसा उठना या इज़्ज़त मिट्टी में मिलना—ये सभी पाप के ऐसे बुरे अंजाम हैं जिनसे हम बच नहीं सकते। याद कीजिए कि दाऊद को बतशेबा और ऊरिय्याह के सिलसिले में उसके पापों को माफ करने के बाद, यहोवा ने दाऊद को उसके पाप के खतरनाक अंजामों से नहीं बचाया।—2 शमूएल 12:9-12.
19-21. (क) लैव्यव्यवस्था 6:1-7 में दर्ज़ कानून से कैसे अपराध के शिकार और अपराधी दोनों को फायदा होता था? (ख) अगर हमारे पापों से दूसरों को चोट पहुँची है, तो हमारे क्या करने से यहोवा को खुशी महसूस होगी?
19 हमारे पापों के कुछ और अंजाम भी हो सकते हैं, खासकर अगर हमारे कामों से दूसरों को चोट पहुँची हो। मिसाल के लिए, लैव्यव्यवस्था के अध्याय 6 के वृत्तांत पर गौर कीजिए। यहाँ मूसा की व्यवस्था में, एक ऐसे मामले के बारे में बताया है जहाँ एक इंसान अपने इस्राएली भाई के साथ धोखाधड़ी करके, उसे लूटकर या उसकी चोरी करके उसके सामान को हथिया लेता है। और फिर यह पापी अपना अपराध मानने से साफ इनकार कर देता है, यहाँ तक कि झूठी कसमें खाने की जुर्रत करता है। यह ऐसा मामला है जहाँ एक आदमी दूसरे के खिलाफ बोल रहा है। लेकिन, बाद में अपराधी का विवेक उसे कचोटता है और वह अपना पाप स्वीकार करता है। परमेश्वर से माफी पाने के लिए, उसे तीन काम और करने थे: उसने जो लिया है उसे लौटाना होता था, जिसे लूटा गया है, उसकी चीज़ों के कुल मूल्य का 20 प्रतिशत, जुर्माने के तौर पर उसे देना होता था और दोषबलि के तौर पर एक मेढ़ा चढ़ाना होता था। व्यवस्था आगे कहती है: “याजक उसके लिये यहोवा के साम्हने प्रायश्चित्त करे[गा], और जिस काम को करके वह दोषी हो गया है उसकी क्षमा उसे मिलेगी।”—लैव्यव्यवस्था 6:1-7.
20 यह व्यवस्था परमेश्वर की तरफ से दया का एक इंतज़ाम था। जिसका नुकसान हुआ था उसे फायदा होता था, एक तो उसका सामान उसे वापस मिल जाता था और दूसरा, पापी के अपराध स्वीकार करने से उसे चैन मिलता था। साथ ही, व्यवस्था उस दोषी को भी लाभ पहुँचाती थी जिसका विवेक उसे अपना अपराध मानने और गलती सुधारने के लिए उकसाता था। बेशक, अगर वह ऐसा करने से इनकार करता, तो परमेश्वर उसे माफ नहीं करता।
21 हालाँकि हम मूसा की व्यवस्था के अधीन नहीं हैं, वह व्यवस्था हमें यहोवा के मन की अंदरूनी समझ देती है, और हम यह जान पाते हैं कि वह माफ करने के बारे में क्या सोचता है। (कुलुस्सियों 2:13, 14) अगर हमारे पापों की वजह से दूसरों को चोट पहुँची है, तो जब हम नुकसान की भरपाई और गलती सुधारने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते हैं, तो परमेश्वर इससे खुश होता है। (मत्ती 5:23, 24) इसके लिए शायद हमें अपना पाप स्वीकार करना पड़े, अपना दोष मानना पड़े और जिसे चोट पहुँचायी है उससे माफी भी माँगनी पड़े। तब हम यीशु के बलिदान के आधार पर यहोवा से माफी माँग सकते हैं और अपने दिल में निश्चित हो सकते हैं कि परमेश्वर ने हमें माफ कर दिया है।—इब्रानियों 10:21, 22.
22. यहोवा की माफी के साथ हमें और क्या मिलता है?
22 जैसा कोई भी प्रेम करनेवाला पिता करता है, यहोवा भी हमें माफ करने के साथ-साथ कुछ हद तक अनुशासन देता है। (नीतिवचन 3:11, 12) प्रायश्चित्त करनेवाले मसीही को शायद प्राचीन, सहायक सेवक या पूरे समय के प्रचारक की अपनी खास ज़िम्मेदारियों का पद छोड़ना पड़े। जिन ज़िम्मेदारियों को वह अनमोल समझता है, उन्हें कुछ वक्त के लिए खो देना शायद दर्दनाक हो। लेकिन, ऐसे अनुशासन का मतलब यह नहीं कि यहोवा ने उसे माफ नहीं किया है। हमें यह याद रखना चाहिए कि यहोवा का अनुशासन दरअसल उसके प्यार का सबूत है। इसे स्वीकार करने और इसके मुताबिक काम करने में हमारी ही भलाई है।—इब्रानियों 12:5-11.
23. क्यों हमें कभी यह नहीं मान लेना चाहिए कि हम यहोवा की दया के काबिल नहीं, और क्यों हमें उसकी तरह माफ करना सीखना चाहिए?
23 यह जानकर कितनी खुशी होती है कि परमेश्वर “क्षमा करने को तत्पर” रहता है! हमने चाहे जो भी गलतियाँ की हों, हमें कभी यह नहीं मानकर बैठ जाना चाहिए कि हम यहोवा की दया के काबिल नहीं। अगर हम सच्चे दिल से पश्चाताप करें, गलती को सुधारने के लिए कदम उठाएँ और यीशु के बहाए लहू के आधार पर माफी के लिए बिनती करें, तो हम पूरा भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा हमें ज़रूर माफ करेगा। (1 यूहन्ना 1:9) आइए हम एक-दूसरे के साथ व्यवहार करते वक्त यहोवा की तरह माफ करना सीखें। जब यहोवा, जो कभी पाप नहीं करता, इतना प्यार दिखाते हुए हमें माफ कर सकता है, तो क्या हम पापी इंसानों को एक-दूसरे को माफ करने की पूरी-पूरी कोशिश नहीं करनी चाहिए?
a जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद “हमारी सृष्टि” किया गया है, उसे कुम्हार के बनाए मिट्टी के बर्तनों के लिए भी इस्तेमाल किया गया है।—यशायाह 29:16.
b एक विद्वान कहता है कि किरमिजी “पक्का या न मिटनेवाला रंग था। न तो ओस की बूंदों से, न ही बारिश, न ही धुलाई, ना ही लंबे अरसे तक इसे बार-बार पहनने से इसका रंग फीका पड़ता था।”