उद्धार यहोवा ही की ओर से होता है
‘सच्चा परमेश्वर हमारे लिये बचानेवाला ईश्वर ठहरा।’—भजन ६८:२०.
१, २. (क) हम क्यों कह सकते हैं कि उद्धार यहोवा ही से होता है? (ख) आप नीतिवचन २१:३१ को कैसे समझाएँगे?
यहोवा उन इंसानों का उद्धारकर्ता है जो उससे प्यार करते हैं। (यशायाह ४३:११) इस्राएल का मशहूर राजा दाऊद यह बात खुद अपने अनुभव से जानता था और उसने पूरे दिल से यह गीत गाया: “उद्धार यहोवा ही की ओर से होता है।” (भजन ३:८) यही बात भविष्यवक्ता योना ने अपनी बिनती में कही जब वह एक बड़ी मछली के पेट में था।—योना २:९.
२ दाऊद का बेटा सुलैमान भी जानता था कि उद्धार यहोवा ही से होता है, इसलिए उसने कहा: “युद्ध के दिन के लिए घोड़ा तो तैयार किया जाता है, परन्तु विजय [उद्धार] यहोवा ही से है।” (नीतिवचन २१:३१, NHT) पुराने ज़माने में इस्राएल और उसके आस-पास के देशों में, बैल हल जोतते थे, गधे बोझा ढोते थे, खच्चर सवारी के काम आते थे और घोड़ों को युद्ध के लिए इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन वादा किए हुए देश में जाने से पहले, परमेश्वर ने इस्राएलियों को यह आज्ञा दी कि जो उनका राजा हो “वह बहुत घोड़े न रखे।” (व्यवस्थाविवरण १७:१६) उन्हें युद्ध के लिए घोड़ों की ज़रूरत नहीं पड़ती क्योंकि यहोवा अपने लोगों को बचाता यानी उनका उद्धार करता।
३. हमें किन सवालों पर गौर करना चाहिए?
३ सारे जहान का मालिक, प्रभु यहोवा “बचानेवाला ईश्वर” है। (भजन ६८:२०) यह सोचकर ही हमें कितनी हिम्मत मिलती है! लेकिन सवाल यह उठता है कि यहोवा ने ‘बचाव’ के कौन-से काम किए हैं? और उसने किसे बचाया है?
यहोवा धर्मी लोगों को बचाता है
४. हम कैसे जानते हैं कि यहोवा अपने भक्तों को बचाता है?
४ धर्म के मार्ग पर चलनेवाले परमेश्वर के सभी समर्पित सेवकों को प्रेरित पतरस के इन शब्दों से हौसला और तसल्ली मिल सकती है: “प्रभु भक्तों को परीक्षा में से निकाल लेना [बचाना] और अधर्मियों को न्याय के दिन तक दण्ड की दशा में रखना भी जानता है।” इस बात को साबित करने के लिए पतरस ने कहा कि परमेश्वर ने प्राचीन जगत के “संसार को भी न छोड़ा, बरन भक्तिहीन संसार पर महा जल-प्रलय भेजकर धर्म के प्रचारक नूह समेत आठ व्यक्तियों को बचा लिया।”—२ पतरस २:५, ९.
५. किन हालात में नूह ‘धर्म का प्रचार’ करता रहा?
५ कल्पना कीजिए कि आप नूह के समय में जी रहे हैं। दुष्टात्माओं ने इंसानों का रूप ले लिया है और आपके चारों ओर मौजूद हैं। इन विद्रोही स्वर्गदूतों से पैदा होनेवाले दानव, लोगों पर बहुत ज़ुल्म ढाते हैं और “बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है।” (उत्पत्ति ६:१-१२) मगर, कोई भी नूह को डरा-धमकाकर यहोवा की सेवा करने से नहीं रोक सकता। वह ‘धर्म का प्रचार’ करता रहता है। वह और उसका परिवार एक जहाज़ बनाते हैं और एक पल के लिए भी यह नहीं सोचते कि पता नहीं हमारे जीते-जी बुराई का अंत होगा भी या नहीं। इस तरह नूह अपने विश्वास से उस संसार को दोषी ठहराता है। (इब्रानियों ११:७) आज की दुनिया के हालात नूह के दिनों जैसे हैं और इनसे पता चलता है कि यह इस दुष्ट दुनिया के अंत का समय है। (मत्ती २४:३७-३९; २ तीमुथियुस ३:१-५) तो फिर, क्या आप भी नूह की तरह वफादार साबित होंगे, धर्म का प्रचार करते रहेंगे और यहोवा द्वारा बचाए जाने का इंतज़ार करते हुए उसके लोगों के साथ-साथ चलते रहेंगे?
६. दूसरा पतरस २:७, ८ कैसे साबित करता है कि यहोवा धर्मी लोगों को बचाता है?
६ पतरस इस बात का एक और सबूत देता है कि यहोवा धर्मी लोगों को बचाता है। उसने कहा कि परमेश्वर ने “धर्मी लूत को जो अधर्मियों के अशुद्ध चालचलन से बहुत दुखी था छुटकारा दिया। (क्योंकि वह धर्मी उन के बीच में रहते हुए, और उन के अधर्म के कामों को देख देखकर, और सुन सुनकर, हर दिन अपने सच्चे मन को पीड़ित करता था)।” (२ पतरस २:७, ८; उत्पत्ति १९:१-२९) इन अंतिम दिनों में करोड़ों लोगों के लिए लैंगिक चरित्रहीनता एक बहुत ही मामूली-सी बात बन गयी है। क्या आप भी लूत की तरह, आज इतने सारे लोगों के “अशुद्ध चालचलन से बहुत दुखी” हैं? अगर ऐसा है और अगर आप धर्म के काम कर रहे हैं, तो आप उन लोगों में हो सकते हैं जिन्हें यहोवा इस दुष्ट दुनिया के अंत से बचाएगा।
अत्याचारियों के हाथों से यहोवा अपने लोगों को बचाता है
७. मिस्र में रहनेवाले इस्राएलियों के साथ यहोवा ने जो किया, उससे कैसे साबित होता है कि वह अपने लोगों को ज़ुल्म से बचाता है?
७ जब तक यह पुरानी दुनिया रहेगी, तब तक यहोवा के सेवकों पर उनके दुश्मन अत्याचार और अन्याय करते रहेंगे। मगर वे पूरा भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा उन्हें बचाएगा, क्योंकि उसने पहले भी अपने लोगों को अत्याचारियों के हाथों से बचाया है। मान लीजिए कि आप मूसा के दिनों में रहनेवाले एक इस्राएली हैं और मिस्री आप पर ज़ुल्म ढा रहे हैं। (निर्गमन १:१-१४; ६:८) परमेश्वर मिस्र पर एक-के-बाद-एक भारी विपत्ति लाता है। (निर्गमन ८:५-१०:२९) जब दसवीं जानलेवा विपत्ति से मिस्र के सब पहिलौठे मारे जाते हैं, तब जाकर फिरौन इस्राएल को मिस्र से जाने देता है। फिर भी, बाद में वह अपनी सेना को लेकर उनका पीछा करता है। लेकिन, कुछ ही समय बाद वह और उसकी सेना लाल समुद्र में डूबकर मारे जाते हैं। (निर्गमन १४:२३-२८) कल्पना कीजिए कि आप भी मूसा और सारी इस्राएल जाति के साथ यह गीत गा रहे हैं: “यहोवा योद्धा है; उसका नाम यहोवा है। फ़िरौन के रथों और सेना को उस ने समुद्र में डाल दिया; और उसके उत्तम से उत्तम रथी लाल समुद्र में डूब गए। गहिरे जल ने उन्हें ढांप लिया; वे पत्थर की नाईं गहिरे स्थानों में डूब गए।” (निर्गमन १५:३-५) ऐसा ही कहर उन सभी लोगों पर टूटनेवाला है जो इन अंतिम दिनों में परमेश्वर के लोगों पर ज़ुल्म ढा रहे हैं।
८, ९. न्यायियों की किताब से एक उदाहरण दीजिए कि कैसे यहोवा अपने लोगों को अत्याचारियों के हाथों से छुड़ाता है।
८ जब इस्राएली वादा किए हुए देश में आए, तब कई सालों तक न्यायियों ने लोगों का न्याय किया। इन इस्राएलियों पर कभी-कभी अन्यजाति के लोग अत्याचार करते थे, लेकिन परमेश्वर ने उन्हें वफादार न्यायियों के द्वारा बचाया। हो सकता है कि हम भी ‘सताने वालों और अत्याचारियों के कारण कराहते’ हों, लेकिन यहोवा हमें भी बचाएगा क्योंकि हम उसके वफादार सेवक हैं। (न्यायियों २:१६-१८; ३:९, १५) बाइबल की न्यायियों की किताब हमें न सिर्फ यह बताती है कि परमेश्वर हमें अत्याचारियों के हाथ से बचाएगा, बल्कि यह भी यकीन दिलाती है कि यहोवा अपने ठहराए हुए न्यायी, यीशु मसीह के द्वारा इससे भी बड़े बचाव का काम करेगा।
९ आइए न्यायी बाराक के दिनों में वापस चलें। झूठी उपासना की वज़ह से परमेश्वर का क्रोध इस्राएलियों पर भड़का और इसलिए २० साल से वे कनान के एक ज़ालिम राजा, याबीन के अधीन हैं। सीसरा कनानियों की बड़ी फौज का सेनापति है। ‘चालीस हज़ार इस्रालियों में भी ढाल वा बर्छी कहीं देखने में नहीं आती थी,’ हालाँकि इस्रालियों की गिनती करीब चालीस लाख थी। (न्यायियों ५:६-८) ऐसे में, अपने पापों के लिए पछतावा दिखाकर इस्राएली लोग यहोवा को पुकारते हैं। जैसा परमेश्वर ने दबोरा नबिया के द्वारा बताया था, बाराक ताबोर पहाड़ पर १०,००० पुरुषों को इकट्ठा करता है और यहोवा उनके दुश्मनों को ताबोर पहाड़ की तराई तक खींच लाता है। सूखी हुई कीशोन नदी और उसके आस-पास का सारा मैदान सीसरा की फौजों और ९०० युद्ध-रथों की गड़गड़ाहट से कांप उठता है। लेकिन मूसलाधार बारिश से कीशोन नदी पानी से उफनने लगती है। जब तूफान की आड़ में बाराक अपने लोगों को लेकर ताबोर पहाड़ से नीचे उतरता है, तो वह देखता है कि कैसे यहोवा ने अपने दुश्मनों पर कहर ढाया है। जान बचाकर भागनेवाले कनानियों की सेना पर बाराक के लोग टूट पड़ते हैं, और कोई कनानी ज़िंदा नहीं बचता। यह हम पर अत्याचार करनेवाले उन लोगों के लिए कितनी बड़ी चेतावनी है जो परमेश्वर के खिलाफ लड़ने की हिम्मत करते हैं!—न्यायियों ४:३-१६; ५:१९-२२.
१०. हम क्यों इस बात का पूरा यकीन कर सकते हैं कि परमेश्वर अपने आज के सेवकों को सभी अत्याचार करनेवालों से बचाएगा?
१० यहोवा अपने आज के सेवकों को सभी अत्याचार करनेवालों से बचाएगा, ठीक जैसे उसने इस्राएलियों को संकट के वक्त बचाया था। (यशायाह ४३:३; यिर्मयाह १४:८) यहोवा ने ‘दाऊद को उसके सब शत्रुओं से बचाया था।’ (२ शमूएल २२:१-३) इसलिए अगर यहोवा के लोग होने की वज़ह से हम पर ज़ुल्म किए जाते हैं और हमें सताया जाता है, तब भी आइए हम निडर बने रहें क्योंकि उसका ठहराया हुआ राजा, यीशु मसीह हमें हर किस्म के ज़ुल्म से बचा लेगा। हाँ, “[वह] दरिद्रों के प्राणों को बचाएगा। वह उनके प्राणों को अन्धेर और उपद्रव से छुड़ा लेगा।” (भजन ७२:१३, १४) यह छुटकारा वाकई बहुत करीब है।
परमेश्वर उन्हें बचाता है जो उस पर भरोसा रखते हैं
११. जवान दाऊद की मिसाल से हम कैसे देखते हैं कि उसने यहोवा पर पूरा भरोसा रखा?
११ यहोवा से आनेवाले उद्धार को देखने के लिए हमें निडर होकर उस पर भरोसा रखना चाहिए। दाऊद ने परमेश्वर पर ऐसा ही भरोसा दिखाया जब वह विशालकाय गोलियत से लड़ने गया। ज़रा कल्पना कीजिए एक दानव-जैसा पलिश्ति दाऊद के सामने खड़ा है, और दाऊद उससे कहता है: “तू तो तलवार और भाला और सांग लिए हुए मेरे पास आता है; परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूं, जो इस्राएली सेना का परमेश्वर है, और उसी को तू ने ललकारा है। आज के दिन यहोवा तुझ को मेरे हाथ में कर देगा, और मैं तुझ को मारूंगा, और तेरा सिर तेरे धड़ से अलग करूंगा; और मैं आज के दिन पलिश्ती सेना की लोथें आकाश के पक्षियों और पृथ्वी के जीव जन्तुओं को दे दूंगा; तब समस्त पृथ्वी के लोग जान लेंगे कि इस्राएल में एक परमेश्वर है। और यह समस्त मण्डली जान लेगी कि यहोवा तलवार वा भाले के द्वारा जयवन्त नहीं करता, इसलिये कि संग्राम तो यहोवा का है।” देखते-ही-देखते दाऊद गोलियत को मार गिराता है और पिलिश्तियों को बुरी तरह हराया जाता है। बेशक, वह यहोवा ही था जिसने अपने लोगों को बचाया।—१ शमूएल १७:४५-५४.
१२. दाऊद के वीर साथी एलिआज़र पर गौर करना क्यों फायदेमंद हो सकता है?
१२ जब हम पर अत्याचारी ज़ुल्म करें, तब हमें ‘सुदृढ़ होना’ चाहिए, साथ ही परमेश्वर पर और भी ज़्यादा भरोसा रखना चाहिए। (यशायाह ४६:८-१३, ईज़ी-टू-रीड वर्शन; नीतिवचन ३:५, ६) पसदम्मीम नाम की जगह में हुई घटना पर गौर कीजिए। पलिश्तियों की सेना के सामने से इस्राएली मोर्चा छोड़कर भाग गए हैं। मगर दाऊद का एक शूरवीर, जाँबाज़ साथी, एलिआज़र डर के मारे भागता नहीं। वह जौ की खेत में खड़े होकर अकेले ही तलवार से पलिश्तियों को मार गिराता है। इस तरह ‘यहोवा उनका बड़ा उद्धार करता है।’ (१ इतिहास ११:१२-१४; २ शमूएल २३:९, १०) माना कि हमसे इसकी उम्मीद नहीं की जाएगी कि हम अकेले ही किसी फौज से टक्कर लें। मगर हाँ, कभी-कभी हम अकेले पड़ सकते हैं और दुश्मन हम पर भारी पड़ सकते हैं। तब क्या हम छुटकारा देनेवाले परमेश्वर, यहोवा पर पूरा-पूरा भरोसा रखेंगे और उससे प्रार्थना करेंगे? क्या हम उससे मदद माँगेंगे कि हम अपने भाई-बहनों के साथ विश्वासघात न करें और अत्याचारियों को उनके बारे में कोई भी जानकारी न दें?
यहोवा वफादार लोगों को बचाता है
१३. इस्राएल के दस-गोत्रीय राज्य में परमेश्वर के प्रति वफादार रहना मुश्किल क्यों था?
१३ यहोवा द्वारा बचाए जाने के लिए हमें हर कीमत पर वफादार बने रहना चाहिए। पुराने ज़माने में परमेश्वर के लोगों पर कई परीक्षाएँ आयीं। सोचिए आप क्या करते अगर आप इस्राएल के दस-गोत्र के राज्य में रह रहे होते। रहूबियाम के ज़ुल्म और बेरहमी की वज़ह से दस गोत्रों ने उससे अपना समर्थन वापस ले लिया और उन्होंने इस्राएल का उत्तरी राज्य बना लिया था। (२ इतिहास १०:१६, १७; ११:१३, १४) इस दस-गोत्रीय राज्य के जितने भी राजा हुए उनमें येहू ही सबसे अच्छा था, लेकिन वह भी ‘परमेश्वर यहोवा की व्यवस्था पर पूर्ण मन से नहीं चला।’ (२ राजा १०:३०, ३१) इसके बावजूद, उस राज्य में कुछ वफादार लोग थे। उन्होंने परमेश्वर पर विश्वास रखा और इसलिए वह भी उनके साथ रहा। सो, अपने विश्वास की परीक्षाओं के बावजूद, क्या आप भी यहोवा के प्रति अपनी वफादारी बनाए हुए हैं?
१४. राजा हिजकिय्याह के दिनों में यहोवा ने बचाव का कौन-सा काम किया, और किस वज़ह से बाबुल ने यहूदा पर कब्ज़ा कर लिया?
१४ इस्राएल के पूरे राज्य में परमेश्वर की व्यवस्था के लिए कोई आदर नहीं था, जिसकी वज़ह से उस पर विपत्ति आयी। जब सा.यु.पू ७४० में अरामियों ने इस्राएल के दस-गोत्रीय राज्य पर कब्ज़ा किया, तब वहाँ के कुछ लोग दो-गोत्रीय यहूदा के राज्य में भाग गए, ताकि वे यहोवा के मंदिर में उपासना कर सकें। दाऊद के वंश के १९ राजाओं में से यहूदा के ४ राजाओं ने परमेश्वर के प्रति बहुत गहरी श्रद्धा दिखायी। वे थे आसा, यहोशपात, हिजकिय्याह, और योशिया। वफादार राजा हिजकिय्याह के दिनों में अरामी लोगों ने शक्तिशाली सेना के साथ यहूदा के खिलाफ चढ़ाई की। तब हिजकिय्याह ने प्रार्थना की, और इसके जवाब में यहोवा ने सिर्फ एक स्वर्गदूत भेजकर १,८५,००० अरामियों को एक ही रात में मरवा डाला, और इस तरह अपने उपासकों को बचाया! (यशायाह ३७:३६-३८) कुछ समय बाद लोगों ने व्यवस्था पर चलना छोड़ दिया और परमेश्वर के भविष्यवक्ताओं की चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया, इसलिए सा.यु.पू. ६०७ में बाबुल ने यहूदा पर चढ़ाई करके उस पर कब्ज़ा कर लिया और उसकी राजधानी, यरूशलेम को उसके मंदिर समेत उजाड़ दिया।
१५. बाबुल में यहूदी बंधुओं को धीरज धरने की ज़रूरत क्यों थी, और कैसे यहोवा ने उन्हें छुटकारा दिया?
१५ यहूदी बंधुए बाबुल के अधीन ७० साल तक कराहते रहे। ऐसे में परमेश्वर के प्रति वफादार बने रहने के लिए उन्हें धीरज की ज़रूरत थी। (भजन १३७:१-६) इन बंधुओं में वफादारी की एक अच्छी मिसाल था भविष्यवक्ता दानिय्येल। (दानिय्येल १:१-७; ९:१-३) दानिय्येल की खुशी का अंदाज़ा लगाइए जब सा.यु.पू. ५३७ में फारस के राजा कुस्रू ने आज्ञा जारी की कि यहूदी लोग अपने देश यहूदा में लौटकर फिर से मंदिर बना सकते हैं! दानिय्येल को और दूसरों को धीरज धरते हुए सालों बीत चुके थे, मगर आखिरकार उन्होंने अपनी आँखों से बाबुल को हारते हुए और यहोवा के लोगों को छुटकारा पाते हुए देखा। इसी बात से हमें भी धीरज धरने में मदद मिलनी चाहिए, क्योंकि हम भी ‘बड़े बाबूल,’ यानी झूठे धर्म के विश्व साम्राज्य के विनाश का इंतज़ार कर रहे हैं।—प्रकाशितवाक्य १८:१-५.
यहोवा हमेशा अपने लोगों को बचाता है
१६. परमेश्वर ने रानी एस्तेर के समय में बचाव का कौन-सा काम किया?
१६ यहोवा हमेशा अपने लोगों को बचाता है, बशर्ते वे उसके प्रति वफादार बने रहें। (१ शमूएल १२:२२; यशायाह ४३:१०-१२) आइए हम रानी एस्तेर के दिनों में जाएँ—सा.यु.पू. पाँचवीं सदी में। राजा क्षयर्ष (ज़रक्सीज़ प्रथम) ने हामान को अपना प्रधान मंत्री ठहराया है। यहूदी मोर्दकै ने जब हामान को दंडवत करने से इनकार कर देता है, तो उसका खून खौल उठता है। इसलिए वह मोर्दकै को और फारसी साम्राज्य के सारे यहूदियों को मार डालने की साज़िश करता है। वह उन पर इलज़ाम लगाता है कि वे लोग राजा के कानूनों पर नहीं चलते, और फिर राजा को भरपाई के लिए एक भारी रकम का लालच देता है। उसे यहूदियों के विनाश के दस्तावेज़ पर मुहर लगाने के लिए राजा की अँगूठी दे दी जाती है। लेकिन तब रानी एस्तेर निडरता के साथ राजा के सामने आकर अपने यहूदी होने की बात कहती है और फिर हामान की गंदी, खूनी साज़िश का पर्दाफाश करती है। हामान को उसी खंभे पर लटका दिया जाता है जो उसने मोर्दकै के लिए बनवाया था। तब मोर्दकै को प्रधान मंत्री बनाया जाता है, और यह इजाज़त दे दी जाती है कि यहूदी अपनी रक्षा कर सकते हैं। वे दुश्मनों को भारी मात देते हैं। (एस्तेर ३:१-९:१९) इस घटना से हमारा विश्वास पक्का होना चाहिए कि यहोवा आज के अपने वफादार सेवकों को ज़रूर बचाएगा।
१७. यहूदिया में रहनेवाले पहले सदी के मसीहियों को आज्ञा मानने की वज़ह से कैसे छुटकारा मिला?
१७ परमेश्वर अपने लोगों को इसलिए भी बचाता है क्योंकि वे उसकी और उसके बेटे की आज्ञा मानते हैं। सोचिए अगर आप पहली सदी में यीशु के एक यहूदी शिष्य होते। यीशु अपने शिष्यों से कहता है: “जब तुम यरूशलेम को सेनाओं से घिरा हुआ देखो, तो जान लेना कि उसका उजड़ जाना निकट है। तब जो यहूदिया में हों वह पहाड़ों पर भाग जाएं।” (लूका २१:२०-२२) साल-पर-साल गुज़रते जाते हैं, और आप सोचने लगते हैं ये बातें कब पूरी होंगी। तब सा.यु. ६६ में यहूदी बगावत कर देते हैं। सेस्टियस गैलस अपनी रोमी सेना के साथ यरूशलेम को घेर लेता है और मंदिर की चारदीवारी तक पहुँच जाता है। अचानक, बगैर किसी कारण के रोमी सेना लौट जाती है। अब यहूदी मसीही क्या करेंगे? एक्लीज़ियास्टिकल हिस्ट्री (पुस्तक ३, अध्याय ५, ३) इस पुस्तक में यूसेबियस कहता है कि वे लोग यरूशलेम और यहूदिया से निकलकर भाग गए। उन लोगों की जान बच गयी क्योंकि उन्होंने भविष्य के बारे में यीशु की चेतावनी को माना था। क्या आप भी उतनी ही फूर्ति से उन आध्यात्मिक मार्गदर्शनों पर चलने के लिए तैयार रहते हैं, जो यीशु की “संपत्ति” पर ठहराया गया ‘विश्वास-योग्य भण्डारी’ हमें देता है?—लूका १२:४२-४४.
अनंत जीवन के लिए उद्धार
१८, १९. (क) यीशु की मृत्यु से कौन-सा उद्धार संभव हुआ, और किसके लिए? (ख) प्रेरित पौलुस ने क्या ठान लिया था?
१८ यीशु की चेतावनी को मानने की वज़ह से यहूदिया के मसीहियों की जान बच गयी। मगर यीशु की मृत्यु की वज़ह से ‘सब मनुष्यों को’ अनंत जीवन के लिए उद्धार मिल सकता है। (१ तीमुथियुस ४:१०) इंसानों को छुड़ौती की ज़रूरत पड़ी जब आदम ने पाप किया, और अपनी जान गवाँयी और पूरी मनुष्यजाति को पाप और मृत्यु का गुलाम बना दिया। (रोमियों ५:१२-१९) मूसा की व्यवस्था में जो पशु बलियाँ चढ़ायी जाती थीं, वे पाप को पूरी तरह से नहीं मिटाती थीं। (इब्रानियों १०:१-४) यीशु का कोई मानवी पिता नहीं था। और जब से यीशु मरियम के गर्भ में पड़ा था तब से लेकर उसके जन्म तक परमेश्वर की पवित्र आत्मा मरियम पर ‘छाया करती’ थी, इसलिए जन्म से न तो उसमें पाप था, न ही कोई असिद्धता थी। (लूका १:३५; यूहन्ना १:२९; १ पतरस १:१८, १९) यीशु ने अंत तक पूरी तरह वफादारी दिखायी, और अपना सिद्ध जीवन बलिदान देकर पूरी मानवजाति को पाप और मृत्यु की गुलामी से छुड़ा लिया। (इब्रानियों २:१४, १५) इस तरह मसीह ने “अपने आप को सब के छुटकारे के दाम में दे दिया।” (१ तीमुथियुस २:५, ६) हालाँकि सभी लोग उद्धार के इस इंतज़ाम का फायदा नहीं उठाएँगे, मगर जो कोई विश्वास के साथ इस इंतज़ाम को कबूल करता है, परमेश्वर उसका उद्धार करेगा।
१९ यीशु मसीह ने स्वर्ग में जाकर परमेश्वर को छुड़ौती बलिदान की कीमत दी, और आदम की संतानों को पाप और मृत्यु से छुड़ा लिया। (इब्रानियों ९:२४) यीशु को एक दुलहन भी मिल गयी, जो पुनरुत्थित हुए उसके १,४४,००० अभिषिक्त शिष्यों से बनी है। (इफिसियों ५:२५-२७; प्रकाशितवाक्य १४:३, ४; २१:९) जो यीशु के बलिदान को स्वीकार करते हैं और पृथ्वी पर अनंत जीवन पाते हैं, उनके लिए वह “अनन्तकाल का पिता” भी बनता है। (यशायाह ९:६, ७; १ यूहन्ना २:१, २) क्या ही प्यारा इंतज़ाम! इस इंतज़ाम के लिए प्रेरित पौलुस की नज़रों में जो कदर थी, वह कुरिन्थ के मसीहियों को लिखी उसकी दूसरी पत्री में देखी जा सकती है, जिसे हम अगले लेख में देखेंगे। दरअसल, पौलुस ने ठान लिया था कि वह किसी भी हालत में दूसरे लोगों की मदद करने से पीछे नहीं हटेगा, जिससे वे लोग अनंत जीवन के उद्धार के लिए यहोवा के शानदार इंतज़ाम का फायदा उठा सकें।
आप क्या जवाब देंगे?
◻ बाइबल में इस बात का कौन-सा सबूत है कि परमेश्वर अपने धर्मी लोगों को बचाता है?
◻ हम कैसे जानें कि यहोवा उन लोगों को बचाता है जो उस पर भरोसा रखते हैं और अपनी वफादारी बनाए रखते हैं?
◻ अनंत जीवन के उद्धार के लिए परमेश्वर ने कौन-सा इंतज़ाम किया है?
[पेज 12 पर तसवीर]
दाऊद ने ‘बचानेवाले परमेश्वर’ यहोवा पर भरोसा रखा। आपके बारे में क्या?
[पेज 15 पर तसवीर]
यहोवा हमेशा अपने लोगों को बचाता है, जैसे उसने रानी एस्तेर के दिनों में साबित किया