अध्याय 5
“देख कि वहाँ लोग कितने बुरे और घिनौने काम कर रहे हैं”
अध्याय किस बारे में है: यहूदा के बगावती लोगों की दूषित उपासना और बदचलनी
1-3. यहोवा यहेजकेल को यरूशलेम के मंदिर में क्या दिखाना चाहता है और क्यों? (भाग 2 के शुरूआती शब्द और तसवीर देखें।)
एक याजक का बेटा होने के नाते यहेजकेल को मूसा के कानून की अच्छी समझ थी। वह यरूशलेम के मंदिर से वाकिफ था। उसे मालूम था कि उस मंदिर में यहोवा की शुद्ध उपासना की जानी चाहिए। (यहे. 1:3; मला. 2:7) लेकिन अब ईसा पूर्व 612 में यहोवा के मंदिर में ऐसे-ऐसे काम हो रहे थे कि यहेजकेल ही क्या, कोई भी वफादार यहूदी देखकर दंग रह जाता।
2 यहोवा चाहता था कि यहेजकेल मंदिर में होनेवाले घिनौने कामों को देखे और ‘यहूदा के मुखियाओं’ को बताए कि वहाँ क्या हो रहा है। (यहेजकेल 8:1-4 पढ़िए; यहे. 11:24, 25; 20:1-3) ये मुखिया भी उसके साथ बैबिलोन में बंदी थे। वे उसके घर आए हुए थे और उसने उन्हें बताया कि उसने क्या-क्या देखा। यहेजकेल बैबिलोन में कबार नदी के पास तेल-अबीब में रहता था। मगर अब पवित्र शक्ति के ज़रिए यहोवा उसे दर्शन में वहाँ से पश्चिम की तरफ सैकड़ों किलोमीटर दूर यरूशलेम ले गया। यहोवा उसे मंदिर के भीतरी आँगन के उत्तरी फाटक के पास ले गया। इस फाटक से शुरू करते हुए यहोवा ने उसे दर्शन में दिखाया कि मंदिर में क्या-क्या हो रहा है।
3 यहेजकेल अब ऐसे चार घिनौने दृश्य देखता है जिनसे पता चलता है कि यहूदा राज्य की उपासना कितनी दूषित हो गयी थी। आखिर यहोवा की शुद्ध उपासना कैसे दूषित हो गयी? इस दर्शन से आज हमें क्या चेतावनी मिलती है? आइए यहेजकेल के साथ मिलकर देखें कि मंदिर में क्या-क्या हो रहा है। मगर इससे पहले आइए जानें कि यहोवा अपने उपासकों से क्या उम्मीद करता है।
‘मैं तुम्हारा परमेश्वर माँग करता हूँ कि सिर्फ मेरी भक्ति की जाए’
4. यहोवा अपने सेवकों से क्या चाहता है?
4 यहेजकेल के ज़माने से करीब 900 साल पहले यहोवा ने अपने लोगों को साफ बताया था कि वह उनसे क्या चाहता है। उसने इसराएलियोंa को जो दस आज्ञाएँ दीं, उनमें से दूसरी आज्ञा देते वक्त उसने कहा था, “मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा माँग करता हूँ कि सिर्फ मेरी भक्ति की जाए, मुझे छोड़ किसी और की नहीं।” (निर्ग. 20:5) “सिर्फ मेरी भक्ति की जाए” कहकर यहोवा यह बता रहा था कि अगर वे दूसरे देवताओं की उपासना करेंगे, तो उससे बरदाश्त नहीं होगा। जैसे हमने इस किताब के अध्याय 2 में देखा, शुद्ध उपासना के मामले में सबसे पहली माँग यह है कि हमें सिर्फ यहोवा की उपासना करनी चाहिए। उसके सेवकों को उसे ज़िंदगी में पहली जगह देनी चाहिए। (निर्ग. 20:3) चंद शब्दों में कहें तो यहोवा अपने सेवकों से उम्मीद करता है कि उनकी उपासना शुद्ध हो और वे सच्ची उपासना में झूठी उपासना की मिलावट न करें। ईसा पूर्व 1513 में जब यहोवा ने उनके साथ कानून का करार करना चाहा, तो वे खुशी-खुशी राज़ी हुए। ऐसा करके उन्होंने वादा किया कि वे सिर्फ यहोवा की उपासना करेंगे, किसी और की नहीं। (निर्ग. 24:3-8) यहोवा अपना हर करार निभाता है, इसलिए उसने अपने लोगों से उम्मीद की थी कि वे भी करार की शर्तें पूरी करके उसके वफादार रहेंगे।—व्यव. 7:9, 10; 2 शमू. 22:26.
5, 6. यहोवा ने इसराएलियों से क्यों माँग की कि वे सिर्फ उसी की उपासना करें?
5 क्या यह सही था कि यहोवा इसराएलियों से माँग करे कि वे सिर्फ उसी की उपासना करें? बिलकुल! वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर है, पूरी दुनिया का महाराजा और मालिक है और जीवन देनेवाला और उसे कायम रखनेवाला भी वही है। (भज. 36:9; प्रेषि. 17:28) यहोवा ने ही इसराएलियों को मिस्र से छुड़ाया था। उसने उन्हें दस आज्ञाएँ देते वक्त कहा, “मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ जो तुम्हें गुलामी के घर, मिस्र से बाहर निकाल लाया।” (निर्ग. 20:2) इन सारी बातों से यह साफ है कि इसराएलियों को सिर्फ और सिर्फ यहोवा की उपासना करनी थी, उसे ही अपने दिल में पहली जगह देनी थी।
6 यहोवा बदलता नहीं है। (मला. 3:6) हमेशा से उसकी माँग रही है कि सिर्फ उसी की उपासना की जाए। तो ज़रा सोचिए कि जब यहोवा ने वे चार घिनौनी बातें देखीं, जो बाद में उसने यहेजकेल को दिखायीं, तो उसे कैसा लगा होगा।
पहला दृश्य: क्रोध दिलानेवाली मूरत
7. (क) मंदिर के उत्तरी फाटक पर यहूदी क्या कर रहे हैं? इसलिए यहोवा क्या करता है? (शुरूआती तसवीर देखें।) (ख) यहोवा का क्रोध क्यों भड़क उठा? (फुटनोट 2 देखें।)
7 यहेजकेल 8:5, 6 पढ़िए। मंदिर के उत्तरी फाटक पर ही यहेजकेल कुछ ऐसा देखता है कि उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं! फाटक पर बगावती यहूदी एक मूरत को पूज रहे थे। वह मूरत शायद एक पूजा-लाठ थी जो अशेरा देवी की निशानी थी। कनानी मानते थे कि अशेरा बाल की पत्नी है। वह मूरत चाहे जो भी थी, उसकी पूजा करके इसराएलियों ने यहोवा से किए करार को तोड़ दिया। यहोवा जिस उपासना का हकदार था, वह एक मूरत को देकर उन्होंने यहोवा का क्रोध भड़काया।b (व्यव. 32:16; यहे. 5:13) ज़रा सोचिए, 400 सालों से मंदिर को यहोवा का निवास-स्थान माना जाता था। (1 राजा 8:10-13) लेकिन अब यहूदी उस मंदिर के परिसर में ही मूर्तिपूजा कर रहे थे और ऐसा करके उन्होंने यहोवा को उसके “पवित्र-स्थान से दूर” जाने पर मजबूर कर दिया।
8. क्रोध भड़कानेवाली मूरत का दर्शन हमारे लिए क्या मायने रखता है?
8 यहोवा को क्रोध दिलानेवाली मूरत का दर्शन आज हमारे लिए क्या मायने रखता है? ईसाईजगत बगावती यहूदा राज्य की तरह है। ईसाईजगत के लोग भी अपने गिरजा-घरों में बढ़-चढ़कर मूर्तिपूजा करते हैं, इसलिए वे परमेश्वर की चाहे जितनी भी भक्ति करें, सब बेकार है। यहोवा बदलता नहीं। इसलिए हम पक्के तौर पर कह सकते हैं कि बगावती यहूदा राज्य की तरह ईसाईजगत ने भी परमेश्वर का क्रोध भड़काया है। (याकू. 1:17) ईसाईजगत सच्ची मसीहियत का नकली रूप है और यहोवा इससे कोसों दूर है!
9, 10. मंदिर में मूर्तिपूजा करनेवालों से हमें क्या सबक मिलता है?
9 उस मूरत की पूजा करनेवालों से आज हमें क्या सबक मिलता है? अगर हम सिर्फ यहोवा की उपासना करना चाहते हैं, तो हमें ‘मूर्तिपूजा से दूर भागना’ होगा। (1 कुरिं. 10:14) हम शायद कहें, ‘मैं तो कभी यहोवा की उपासना में मूर्तियों या प्रतीकों का इस्तेमाल करने की सोच भी नहीं सकता!’ लेकिन मूर्तिपूजा के कई रूप होते हैं, जिनमें से कुछ शायद हमें मूर्तिपूजा न लगें। बाइबल पर जानकारी देनेवाली एक किताब बताती है कि ऐसी कोई भी चीज़, जो हमारी ज़िंदगी में परमेश्वर से ज़्यादा अहमियत रखती है, मूर्तिपूजा के बराबर है। अगर हम धन-दौलत, यौन संबंध, मनोरंजन या किसी और बात को यहोवा से ज़्यादा अहमियत देते हैं, तो हम सिर्फ यहोवा की उपासना नहीं कर रहे होंगे। (मत्ती 6:19-21, 24; इफि. 5:5; कुलु. 3:5) हमें हर तरह की मूर्तिपूजा से खबरदार रहना होगा, क्योंकि हमारे दिलों में यहोवा और उसकी उपासना को पहली जगह मिलनी चाहिए।—1 यूह. 5:21.
10 यहोवा ने यहेजकेल को जो पहला दृश्य दिखाया, उसमें लोग “नीच और घिनौने काम” कर रहे थे। मगर अब यहोवा उससे कहता है, “तू ऐसे घिनौने काम देखेगा जो इससे भी भयंकर हैं।” परमेश्वर का क्रोध भड़कानेवाली मूरत से भी घिनौनी चीज़ और क्या हो सकती है?
दूसरा दृश्य: 70 मुखिया झूठे देवताओं के लिए धूप जला रहे हैं
11. भीतरी आँगन में प्रवेश करने पर यहेजकेल क्या देखता है?
11 यहेजकेल 8:7-12 पढ़िए। यहेजकेल एक दीवार में छेद करके भीतरी आँगन में प्रवेश करता है जहाँ पास में ही मंदिर की वेदी है। वहाँ वह देखता है कि दीवार पर ‘रेंगनेवाले जीव-जंतुओं, अशुद्ध जानवरों और घिनौनी मूरतों’c की नक्काशियाँ भरी पड़ी हैं। ये नक्काशियाँ झूठे देवताओं को दर्शाती हैं। इसके बाद यहेजकेल कुछ ऐसा देखता है जो इससे भी शर्मनाक है। “इसराएल के घराने के 70 मुखिया” “अँधेरे में” खड़े हैं और उन झूठे देवताओं के सामने धूप जला रहे हैं। जब मूसा के कानून के मुताबिक सुगंधित धूप चढ़ायी जाती थी, तो वह इसराएलियों की प्रार्थनाओं को दर्शाती थी और परमेश्वर उन्हें सुनता था। (भज. 141:2) लेकिन यहाँ 70 मुखिया जो धूप जला रहे हैं, उसकी गंध से यहोवा को घिन आ रही है। उनकी प्रार्थनाओं से मानो ऐसी बदबू आ रही है कि यहोवा बरदाश्त नहीं कर पा रहा है। (नीति. 15:8) मगर मुखिया कह रहे हैं कि “यहोवा हमें नहीं देख रहा।” वे कितनी बड़ी गलतफहमी में हैं। यहोवा उन्हें देख रहा है और यहेजकेल को भी वह सब दिखा रहा है जो वे मंदिर में कर रहे हैं।
12. (क) हमें “अँधेरे” में भी यहोवा के वफादार क्यों रहना चाहिए? (ख) खास तौर पर किन्हें इस मामले में अच्छी मिसाल रखनी चाहिए?
12 इन 70 मुखियाओं से हमें क्या सबक मिलता है? यहोवा हमारी प्रार्थना तभी सुनेगा और हमारी उपासना को शुद्ध मानेगा जब हम “अँधेरे में” भी उसके वफादार रहेंगे। (नीति. 15:29) आइए हम याद रखें कि यहोवा सबकुछ देख सकता है और उसकी नज़रें हमेशा हम पर लगी रहती हैं। अगर यहोवा हमारे लिए एक असल शख्स है, तो हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे वह नाराज़ होता है, फिर चाहे हमें कोई न देख रहा हो। (इब्रा. 4:13) खास तौर पर प्राचीनों को मसीही स्तरों पर चलने में अच्छी मिसाल रखनी चाहिए। (1 पत. 5:2, 3) भाई-बहन उम्मीद करते हैं कि जो प्राचीन उन्हें सभाओं में मंच से सिखाते हैं और उपासना करने में अगुवाई करते हैं, वे बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक जीएँ, यहाँ तक कि “अँधेरे में” भी यानी जब कोई उन्हें देख नहीं रहा होता।—भज. 101:2, 3.
तीसरा दृश्य: ‘औरतें तम्मूज देवता के लिए रो रही हैं’
13. मंदिर के एक दरवाज़े के पास औरतें क्या कर रही हैं?
13 यहेजकेल 8:13, 14 पढ़िए। दो घिनौने दृश्य दिखाने के बाद यहोवा एक बार फिर यहेजकेल से कहता है, “अब आगे तू लोगों को ऐसे-ऐसे घिनौने काम करते देखेगा जो इससे भी भयंकर हैं।” भविष्यवक्ता अब देखता है कि ‘यहोवा के भवन के उत्तरी दरवाज़े के प्रवेश पर औरतें बैठी हुई तम्मूज देवता के लिए रो रही हैं।’ तम्मूज मेसोपोटामिया का एक देवता है।d माना जाता है कि वह प्रजनन देवी इशतर का पति है। ऐसा मालूम पड़ता है कि इसराएली औरतें तम्मूज की मौत से जुड़ा कोई धार्मिक रस्म मना रही हैं। यहोवा का मंदिर शुद्ध उपासना की खास जगह है, मगर ये औरतें इस मंदिर में तम्मूज के लिए रो रही हैं यानी वहाँ झूठे धर्म का एक रिवाज़ मना रही हैं। लेकिन परमेश्वर के मंदिर में झूठे धर्म का रिवाज़ मनाने से वह रिवाज़ यहोवा की नज़र में पवित्र नहीं हो जाता। तभी तो यहोवा कहता है कि वे औरतें “घिनौने काम” कर रही हैं।
14. उन औरतों ने जो किया, उससे हमें क्या सबक मिलता है?
14 इससे हमें क्या सबक मिलता है? हम जो उपासना करते हैं वह शुद्ध रहे, इसके लिए ज़रूरी है कि हम इसमें झूठे धर्म के अशुद्ध रीति-रिवाज़ों को न मिलाएँ। इसलिए हमें ऐसे त्योहार या जश्न नहीं मनाने चाहिए जो झूठे धर्मों से निकले हैं। मगर क्या वाकई इससे कोई फर्क पड़ता है कि ये त्योहार झूठे धर्मों से निकले हैं? बिलकुल फर्क पड़ता है। हमें शायद लगे कि क्रिसमस, ईस्टर, जन्मदिन वगैरह में जो रिवाज़ मनाए जाते हैं, उनमें कोई बुराई नहीं है। मगर हमें याद रखना चाहिए कि यहोवा ने देखा है कि आज जो त्योहार मनाए जाते हैं, वे किस तरह एक ज़माने में गैर-ईसाई धर्मों में शुरू हुए थे। झूठे धर्म का कोई रिवाज़ भले ही हज़ारों सालों से मनाया जाता हो या उसे शुद्ध उपासना में मिला दिया गया हो, फिर भी यहोवा उसे घिनौना ही समझता है।—2 कुरिं. 6:17; प्रका. 18:2, 4.
चौथा दृश्य: 25 आदमी “सूरज को दंडवत कर रहे” हैं
15, 16. (क) भीतरी आँगन में 25 आदमी क्या कर रहे हैं? (ख) उनके काम देखकर यहोवा को क्यों बहुत दुख हुआ?
15 यहेजकेल 8:15-18 पढ़िए। यहोवा यहेजकेल को चौथा और आखिरी दृश्य दिखाता है। मगर इससे पहले वह एक बार फिर कहता है, “अब तू इससे भी बढ़कर घिनौने काम देखेगा।” यह सुनकर भविष्यवक्ता शायद सोचता है कि अब तक मैंने जो घिनौने काम देखे हैं, उनसे भी भयंकर काम और क्या हो सकते हैं? इस वक्त वह भीतरी आँगन में है। वह देखता है कि मंदिर के प्रवेश पर 25 आदमी “पूरब में सूरज को” पूज रहे हैं। ये आदमी यहोवा का घोर अपमान कर रहे हैं। वह कैसे?
16 परमेश्वर का मंदिर इस तरह बनाया गया था कि उसका प्रवेश द्वार पूरब की तरफ था। जब लोग उस मंदिर में उपासना करने जाते, तो उनका मुँह पश्चिम की तरफ होता था और पीठ पूरब की तरफ। लेकिन यहाँ दर्शन में देखा जाता है कि वे 25 आदमी ‘अपनी पीठ मंदिर की तरफ’ और अपना मुँह पूरब की तरफ किए हुए हैं ताकि सूरज की पूजा कर सकें। मंदिर की तरफ पीठ करके वे दरअसल यहोवा को पीठ दिखा रहे हैं, क्योंकि वह मंदिर “यहोवा का भवन” है। (1 राजा 8:10-13) ये 25 आदमी यहोवा के खिलाफ जाकर झूठी उपासना कर रहे हैं। यहोवा उनके लिए कोई मायने नहीं रखता। वे व्यवस्थाविवरण 4:15-19 में बतायी आज्ञा तोड़ रहे हैं। ये आदमी यहोवा का अपमान कर रहे हैं जबकि उन्हें उसकी उपासना करनी चाहिए थी, क्योंकि सिर्फ वही इसका हकदार है।
हमें सिर्फ यहोवा की उपासना करनी चाहिए, वही इसका हकदार है
17, 18. (क) सूरज को पूजनेवालों से हमें क्या सबक मिलता है? (ख) बगावती इसराएलियों ने किस-किस के साथ अपना रिश्ता बिगाड़ लिया? और कैसे?
17 सूरज को पूजनेवाले उन आदमियों से हमें क्या सबक मिलता है? हमें समझ की रौशनी पाने के लिए यहोवा की ओर ताकना चाहिए, तभी हमारी उपासना शुद्ध रहेगी। याद रखिए, “यहोवा परमेश्वर हमारा सूरज” है और उसका वचन हमारी राहों को “रौशनी” देता है। (भज. 84:11; 119:105) यहोवा अपने वचन के ज़रिए और संगठन के प्रकाशनों के ज़रिए हमारे दिलो-दिमाग में सच्चाई की रौशनी चमकाता है। वह हमें ऐसी ज़िंदगी जीना सिखाता है कि हम आज भी संतुष्ट रहें और भविष्य में हमेशा की ज़िंदगी पा सकें। हमें ज़िंदगी कैसे जीनी चाहिए, इस बारे में सलाह पाने के लिए अगर हम दुनिया की ओर ताकें, तो हम यहोवा को पीठ दिखा रहे होंगे। ऐसा करने से हम यहोवा के दिल को बहुत दुख पहुँचा रहे होंगे। हम अपने परमेश्वर से ऐसी गद्दारी कभी नहीं कर सकते। यहेजकेल के दर्शन से हम यह भी सीखते हैं कि हमें सच्चाई से बगावत करनेवाले धर्मत्यागियों से भी दूर रहना चाहिए।—नीति. 11:9.
18 अब तक हमने देखा कि यहेजकेल ने चार ऐसे घिनौने दृश्य देखे जिनसे पता चलता है कि यहूदा के लोगों की उपासना किस कदर दूषित हो गयी थी। उन लोगों ने झूठी उपासना करके यहोवा के साथ अपने अनमोल रिश्ते को बिगाड़ दिया था। और जब उपासना दूषित हो जाती है, तो लोगों की नैतिकता भी भ्रष्ट हो जाती है। यही वजह है कि जब इसराएली झूठी उपासना करने लगे, तो वे हर तरह के बुरे काम भी करने लगे और उनका चालचलन बिगड़ गया। उन्होंने न सिर्फ परमेश्वर के साथ बल्कि एक-दूसरे के साथ भी अपना रिश्ता बिगाड़ लिया। अब यहेजकेल ईश्वर-प्रेरणा से बताता है कि यहूदा राष्ट्र की नैतिक हालत कितनी खराब हो गयी थी। आइए इस बारे में जानें।
नैतिक अशुद्धता—‘वे अश्लील कामों में डूबे रहते हैं’
19. यहोवा के लोग किस तरह के बुरे काम कर रहे थे?
19 यहेजकेल 22:3-12 पढ़िए। यहूदा राष्ट्र में बड़े-बड़े अधिकारियों से लेकर आम इंसान तक हर कोई भ्रष्ट हो गया था। वहाँ के “प्रधान” यानी अधिकारी अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल करके मासूम लोगों का खून बहा रहे थे। लोग भी प्रधानों की देखा-देखी परमेश्वर के नियमों के खिलाफ काम कर रहे थे। परिवारों की हालत भी खराब थी। बच्चे माँ-बाप को “नीचा दिखाते” थे और परिवार के लोगों के बीच नाजायज़ यौन-संबंध आम हो गया था। बगावती इसराएली परदेसियों को लूटते और अनाथों और विधवाओं के साथ बुरा सलूक करते थे। इसराएली आदमी अपने पड़ोसियों की पत्नियों से नाजायज़ रिश्ता रखते थे। लोग इतने लालची हो गए थे कि घूसखोरी, लूटमार और हद-से-ज़्यादा ब्याज लेकर पैसे ऐंठना आम हो गया था। यहोवा को यह देखकर कितना दुख हुआ होगा कि जिन लोगों के साथ उसने करार किया था, वे उसके कानून को तुच्छ जान रहे हैं। इस कानून के ज़रिए यहोवा उन्हें एहसास दिलाना चाहता था कि वह उनसे कितना प्यार करता है, मगर वे इस बात को समझ ही नहीं पा रहे थे। यहोवा को यह देखकर बहुत बुरा लगा कि वे एक-दूसरे के साथ कितना घटिया व्यवहार कर रहे हैं। उसने यहेजकेल से कहा कि वह उन लोगों से कहे, ‘तुम मुझे बिलकुल भूल गए हो।’
20. आज दुनिया की नैतिक हालत कैसे यहूदा राष्ट्र की तरह है?
20 आज की दुनिया की नैतिक हालत भी यहूदा राष्ट्र की तरह है। नेता अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल करते हैं और आम जनता पर अत्याचार करते हैं। युद्ध के वक्त धर्म गुरु अपने देश के सैनिकों को आशीर्वाद देते हैं, जबकि युद्धों में लाखों लोग मारे जाते हैं। ऐसा करने में ईसाईजगत के पादरी सबसे आगे रहे हैं। पादरियों ने नैतिकता के बारे में बाइबल के शुद्ध स्तरों में भी मिलावट कर दी है। नतीजा, दुनिया-भर में बढ़-चढ़कर अनैतिक काम हो रहे हैं। इसमें कोई शक नहीं कि यहोवा ईसाईजगत से भी यही कहेगा, ‘तुम मुझे बिलकुल भूल गए हो।’
21. हम बगावती इसराएलियों से क्या सबक सीख सकते हैं?
21 यहोवा के लोग होने के नाते हम बगावती यहूदियों से क्या सबक सीख सकते हैं? यहोवा हमारी उपासना तभी स्वीकार करेगा जब हमारा चालचलन हर तरह से शुद्ध होगा। इस बदचलन दुनिया में शुद्ध रहना हमारे लिए इतना आसान नहीं होगा। (2 तीमु. 3:1-5) लेकिन हमें पता है कि अनैतिक कामों के बारे में यहोवा कैसा महसूस करता है। (1 कुरिं. 6:9, 10) हम यहोवा के नेक स्तरों को इसलिए मानते हैं, क्योंकि हम उससे और उसके कानून से प्यार करते हैं। (भज. 119:97; 1 यूह. 5:3) अनैतिक काम करने से हम यही जता रहे होंगे कि हम अपने पवित्र परमेश्वर यहोवा से प्यार नहीं करते। हम कभी ऐसा कोई काम नहीं करना चाहेंगे कि यहोवा हमसे कहे, ‘तुम मुझे बिलकुल भूल गए हो।’
22. (क) यहूदियों के बुरे कामों के बारे में यहोवा का नज़रिया जानने के बाद आपने क्या करने की ठानी है? (ख) अगले अध्याय में हम क्या जानेंगे?
22 यहोवा ने प्राचीन यहूदा में होनेवाली अशुद्ध उपासना और अनैतिकता का खुलासा करके हमें कई बातें सिखायी हैं। इस दर्शन से हमारा इरादा और मज़बूत हुआ है कि हम सिर्फ यहोवा की उपासना करें, क्योंकि वही इसका हकदार है। इसलिए हमें हर तरह की मूर्तिपूजा से दूर रहना होगा और अपना चालचलन शुद्ध बनाए रखना होगा। मगर सवाल यह है कि यहोवा ने उन बगावती लोगों के साथ क्या किया? यहोवा ने यहेजकेल को मंदिर का दौरा कराने के बाद उससे साफ-साफ कहा, “मैं क्रोध में आकर उन्हें सज़ा दूँगा।” (यहे. 8:17, 18) हम जानना चाहते हैं कि यहोवा ने विश्वासघाती यहूदा को क्या सज़ा दी, क्योंकि वही सज़ा इस दुष्ट संसार को भी मिलनेवाली है। अगले अध्याय में हम जानेंगे कि यहोवा के वचन के मुताबिक यहूदा को क्या सज़ा मिली।
a यहेजकेल किताब में शब्द “इसराएल” अकसर यहूदा और यरूशलेम के लोगों को दर्शाता है।—यहे. 12:19, 22; 18:2; 21:2, 3.
b शब्द “क्रोध” से पता चलता है कि यहोवा इस बात को बहुत गंभीरता से लेता है कि उसके लोग उसके वफादार रहें। अगर एक औरत अपने पति से बेवफाई करे, तो लाज़िमी है कि पति क्रोध से भर जाएगा। (नीति. 6:34) उसी तरह यहोवा ने जिन लोगों के साथ करार किया था, उन्होंने जब मूर्तियों या प्रतीकों की पूजा करके यहोवा से विश्वासघात किया, तो उसका क्रोध भड़क उठा। बाइबल पर जानकारी देनेवाली एक किताब के मुताबिक ‘परमेश्वर को इसलिए क्रोध आता है क्योंकि वह पवित्र है। सिर्फ वही पवित्र परमेश्वर है, इसलिए उससे यह बरदाश्त नहीं होता कि परमेश्वर का दर्जा किसी और को दिया जाए।’—निर्ग. 34:14.
c जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद “घिनौनी मूर्तियाँ” किया गया है, वह मल के लिए इस्तेमाल होनेवाले इब्रानी शब्द से संबंध रखता है। इसका इस्तेमाल यह बताने के लिए किया जाता है कि फलाँ चीज़ कितनी गंदी है।
d सूमेरी पाठ में तम्मूज को दूमूज़ी कहा गया है। कुछ लोगों का कहना है कि तम्मूज निम्रोद का दूसरा नाम है। मगर इस बात का कोई सबूत नहीं है।