अध्याय 12
‘मैं उन सबसे एक राष्ट्र बनाऊँगा’
अध्याय किस बारे में है: यहोवा का वादा कि वह अपने लोगों को इकट्ठा करके एक करेगा। दो छड़ियों की भविष्यवाणी
1, 2. (क) यहूदियों की धड़कने क्यों तेज़ हो गयी होंगी? (ख) वे क्यों हैरान रह गए? (ग) हम किन सवालों पर चर्चा करेंगे?
परमेश्वर के निर्देश के मुताबिक यहेजकेल ने बँधुआई में रहनेवाले यहूदियों को चिन्हों के ज़रिए कई सारी भविष्यवाणियाँ बतायीं। अभिनय करके उसने जो पहली भविष्यवाणी की, उसमें न्यायदंड का संदेश था। फिर जो दूसरी भविष्यवाणी उसने की, उसमें भी यही बताया, तीसरी में भी और आगे की कई भविष्यवाणियों में उसने बार-बार यही बताया कि लोगों को सज़ा मिलेगी। (यहे. 3:24-26; 4:1-7; 5:1; 12:3-6) एक तरह से कहें तो उसने अभिनय के रूप में अब तक जितनी भी भविष्यवाणियाँ की थीं, उनमें यही बताया कि यहूदियों को कड़ी-से-कड़ी सज़ा मिलनेवाली है।
2 अब एक बार फिर यहेजकेल अभिनय के रूप में भविष्यवाणी करने के लिए लोगों के सामने खड़ा है। ज़रा सोचिए, डर के मारे यहूदियों का दिल कैसे ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा होगा। वे सोचते होंगे, पता नहीं अब यह कौन-सा भयानक संदेश सुनानेवाला है। लेकिन जब यहेजकेल बोलना शुरू करता है, तो उनकी जान में जान आती है। अबकी बार वह कड़ा न्यायदंड नहीं सुनाता बल्कि एक उज्ज्वल भविष्य के बारे में बताता है। (यहे. 37:23) आखिर वह यहूदियों को ऐसी क्या भविष्यवाणी सुनाता है? उस भविष्यवाणी का क्या मतलब है? आज परमेश्वर के लोगों के लिए यह भविष्यवाणी क्या मायने रखती है? आइए जानें।
“वे मेरे हाथ में एक छड़ी बन जाएँगे”
3. (क) वह छड़ी किसे दर्शाती थी जिस पर लिखा था, “यहूदा के लिए”? (ख) “एप्रैम की छड़ी” क्यों दस गोत्रोंवाले राज्य को दर्शाती थी?
3 यहोवा ने यहेजकेल से कहा कि वह दो छड़ियाँ ले और एक छड़ी पर लिखे, “यहूदा के लिए” और दूसरी पर “एप्रैम की छड़ी, यूसुफ के लिए।” (यहेजकेल 37:15, 16 पढ़िए।) इन दो छड़ियों का क्या मतलब था? जिस छड़ी पर लिखा था, “यहूदा के लिए,” वह यहूदा और बिन्यामीन के दो गोत्रोंवाले राज्य को दर्शाती थी। यहूदा के वंश के राजाओं ने इन दो गोत्रों पर राज किया था। उन राजाओं का याजकों के साथ भी गहरा नाता था, क्योंकि याजक यहूदा राज्य में रहते थे और यरूशलेम के मंदिर में सेवा करते थे। (2 इति. 11:13, 14; 34:30) इस तरह यहूदा के इलाके में दाविद के वंश के राजाओं के साथ-साथ लेवी गोत्र के याजक भी रहते थे। “एप्रैम की छड़ी” ने दस गोत्रोंवाले इसराएल राज्य को दर्शाया। यह हम कैसे कह सकते हैं? दस गोत्रोंवाले इसराएल राज्य का पहला राजा यारोबाम एप्रैम गोत्र से था। बाद में एप्रैम इसराएल का सबसे ताकतवर गोत्र बन गया। (व्यव. 33:17; 1 राजा 11:26) ध्यान दीजिए कि दस गोत्रोंवाले इसराएल राज्य में न तो दाविद के वंश के राजा थे, न ही लेवी गोत्र के याजक।
4. यहेजकेल ने जो अभिनय किया, वह क्या दर्शाता है? (शुरूआती तसवीर देखें।)
4 फिर यहोवा ने यहेजकेल से कहा कि वह दोनों छड़ियों को एक-दूसरे के पास लाए ताकि वे दोनों “एक छड़ी बन जाएँ।” यहूदी यहेजकेल का यह अभिनय देखकर बेचैन हो जाते हैं कि आखिर इसका क्या मतलब हो सकता है। वे उससे कहते हैं, “क्या तू हमें नहीं बताएगा कि इन सब बातों का क्या मतलब है?” यहेजकेल बताता है कि यह अभिनय एक ऐसे काम को दर्शाता है जो यहोवा खुद करेगा। यहोवा ने उन दो छड़ियों के बारे में कहा, ‘मैं दोनों को एक छड़ी बनाऊँगा और वे मेरे हाथ में एक छड़ी बन जाएँगे।’—यहे. 37:17-19.
5. यहोवा ने यहेजकेल के अभिनय का क्या मतलब समझाया? (यह बक्स देखें: “दो छड़ियों को जोड़ दिया गया।”)
5 इसके बाद यहोवा उन दो छड़ियों को एक करने का मतलब समझाता है। (यहेजकेल 37:21, 22 पढ़िए।) वह बताता है कि दो गोत्रोंवाले यहूदा राज्य के लोगों को और दस गोत्रोंवाले इसराएल (या एप्रैम) राज्य के लोगों को बँधुआई से इसराएल वापस लाया जाएगा। वहाँ वे मिलकर “एक राष्ट्र” बन जाएँगे।—यिर्म. 30:1-3; 31:2-9; 33:7.
6. यहेजकेल 37 की कौन-सी दो भविष्यवाणियाँ एक-दूसरे से मेल खाती हैं?
6 यहेजकेल अध्याय 37 में बहाली की दो भविष्यवाणियाँ दर्ज़ हैं: ‘सूखी हड्डियों’ की भविष्यवाणी और दो छड़ियों की भविष्यवाणी। ये दोनों भविष्यवाणियाँ एक-दूसरे से कितनी अच्छी तरह मेल खाती हैं। यहोवा न सिर्फ अपने लोगों को बँधुआई से छुड़ा सकता है (आयत 1-14) बल्कि उन बिखरे हुए लोगों को एक भी कर सकता है (आयत 15-28)। इन भविष्यवाणियों से लोगों को यह खुशी का संदेश दिया गया कि बँधुआई से छुटकारा पाना मुमकिन है और बिखरे हुए लोगों को दोबारा एक करना भी मुमकिन है।
यहोवा ने उन्हें कैसे ‘इकट्ठा किया’?
7. पहला इतिहास 9:2, 3 कैसे पुख्ता करता है कि “परमेश्वर के लिए सबकुछ मुमकिन है”?
7 इंसानी नज़रिए से देखें तो यहूदियों को बँधुआई से छुड़ाना और उन्हें एक करना नामुमकिन था।a लेकिन “परमेश्वर के लिए सबकुछ मुमकिन है।” (मत्ती 19:26) यहोवा ने अपनी भविष्यवाणी पूरी की। ईसा पूर्व 537 में यहूदियों को बैबिलोन की बँधुआई से छुटकारा मिल गया। इसके बाद दोनों राज्यों के कुछ लोग यरूशलेम आए ताकि शुद्ध उपासना बहाल करने में मदद करें। परमेश्वर का वचन इस बात को पुख्ता करता है, क्योंकि इसमें लिखा है, ‘यहूदा, बिन्यामीन, एप्रैम और मनश्शे के कुछ वंशज यरूशलेम में बस गए।’ (1 इति. 9:2, 3; एज्रा 6:17) वाकई, यहोवा ने जैसा कहा था वैसा ही हुआ। दस गोत्रोंवाले इसराएल राज्य के कुछ लोग दो गोत्रोंवाले यहूदा राज्य के लोगों के साथ मिलकर एक हो गए।
8. (क) यशायाह ने क्या भविष्यवाणी की थी? (ख) यहेजकेल 37:21 में कौन-सी दो खास बातें बतायी गयी हैं?
8 कुछ 200 साल पहले यशायाह ने भी भविष्यवाणी की थी कि बँधुआई से छूटने के बाद इसराएल और यहूदा मिलकर एक राष्ट्र बन जाएँगे। उसने बताया कि यहोवा “इसराएल के बिखरे हुए लोगों को” और “धरती के चारों कोनों में तितर-बितर हुए यहूदा के लोगों को” इकट्ठा करेगा। “अश्शूर” में बिखरे हुए लोगों को भी वह वापस लाएगा। (यशा. 11:12, 13, 16) वाकई ऐसा ही हुआ। जैसे यहोवा ने कहा था, वह ‘इसराएलियों को उन राष्ट्रों से निकाल लाया।’ (यहे. 37:21) यहाँ दो खास बातों पर गौर कीजिए। एक तो यह कि यहोवा उन्हें वापस लाने की बात करते वक्त उन्हें “यहूदा” और “एप्रैम” नहीं कहता बल्कि एक ही समूह के तौर पर ‘इसराएली’ कहता है। दूसरी बात, इसराएली सिर्फ बैबिलोन से नहीं बल्कि कई राष्ट्रों से वापस आएँगे। दरअसल वे धरती के “चारों कोनों से” आएँगे।
9. यहोवा ने एकता से रहने में इसराएलियों की कैसे मदद की?
9 जब इसराएली अपने देश लौटे, तो यहोवा ने एकता से रहने में उनकी मदद की। कैसे? उसने उन्हें ऐसे चरवाहे दिए जो उसकी तरह सोच रखते थे। जैसे जरुबाबेल, महायाजक यहोशू, एज्रा और नहेमायाह। यहोवा ने उनके लिए भविष्यवक्ता भी ठहराए। जैसे हाग्गै, जकरयाह और मलाकी। इन वफादार पुरुषों ने कड़ी मेहनत करके इसराएलियों को बढ़ावा दिया कि वे यहोवा की हिदायतों को मानें। (नहे. 8:2, 3) इसके अलावा यहोवा ने इसराएलियों के दुश्मनों की साज़िशें नाकाम करके उनकी रक्षा की।—एस्ते. 9:24, 25; जक. 4:6.
10. शैतान क्या करने में कामयाब हो गया?
10 यहोवा ने उनके लिए इतना कुछ किया, फिर भी वे शुद्ध उपासना करने के इरादे पर अटल नहीं रहे और कई गलत काम करने लगे। इस बारे में बाइबल की उन किताबों में बताया गया है, जो उनके लौटने के बाद लिखी गयी थीं। (एज्रा 9:1-3; नहे. 13:1, 2, 15) अपने देश लौटने के सिर्फ सौ साल के अंदर ही इसराएलियों की उपासना इतनी भ्रष्ट हो गयी और वे यहोवा से इतने दूर चले गए कि यहोवा को उनसे कहना पड़ा, “मेरे पास लौट आओ।” (मला. 3:7) जब यीशु धरती पर आया तब तक यहूदी धर्म कई गुटों में बँट चुका था और इसके अगुवे भी विश्वासघाती निकले। (मत्ती 16:6; मर. 7:5-8) शैतान यहोवा के लोगों की एकता तोड़ने में काफी हद तक कामयाब हो गया था। फिर भी यहोवा ने अपने लोगों में एकता लाने का जो वादा किया था वह हर हाल में पूरा होता। मगर कैसे?
“मेरा सेवक दाविद उनका राजा होगा”
11. (क) यहोवा ने अपने लोगों को एक करने की भविष्यवाणी के बारे में क्या ज़ाहिर किया? (ख) स्वर्ग से बेदखल होने के बाद शैतान ने दोबारा क्या करने की कोशिश की?
11 यहेजकेल 37:24 पढ़िए। यहोवा ने ज़ाहिर किया कि उसके लोगों को एक करने की भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर कब से पूरी होगी। उसने बताया कि जब उसका “सेवक दाविद” यानी यीशु राजा बनेगा, तो उसके बाद ही यह भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर पूरी होने लगेगी। यीशु 1914 में राजा बना।b (2 शमू. 7:16; लूका 1:32) तब तक पैदाइशी इसराएल की जगह लाक्षणिक इसराएल यानी अभिषिक्त मसीहियों को चुन लिया गया था। (यिर्म. 31:33; गला. 3:29) शैतान ने स्वर्ग से बेदखल होने के बाद एक बार फिर परमेश्वर के लोगों की एकता तोड़ने की कोशिश की। (प्रका. 12:7-10) मिसाल के लिए 1916 में जब भाई रसल की मौत हो गयी, तो शैतान ने इस मौके का फायदा उठाया। उसने सच्चाई से बगावत करनेवालों के ज़रिए अभिषिक्त मसीहियों के बीच फूट डालने की कोशिश की। मगर कुछ समय बाद ये बगावती लोग संगठन छोड़कर चले गए। इतना ही नहीं, शैतान उन भाइयों को जेल में डलवाने में भी कामयाब हो गया जो संगठन की अगुवाई करते थे। लेकिन तब भी वह यहोवा के लोगों का वजूद नहीं मिटा पाया। जो अभिषिक्त भाई यहोवा के वफादार रहे, उन्होंने अपनी एकता बनाए रखी।
12. अभिषिक्त मसीहियों की एकता तोड़ने में शैतान क्यों नाकाम हो गया?
12 जैसे हमने अब तक देखा, ये अभिषिक्त मसीही पैदाइशी इसराएलियों की तरह नहीं थे। शैतान ने उनकी एकता तोड़ने के लिए जो भी साज़िश की, उसे उन्होंने नाकाम कर दिया क्योंकि वे हर हाल में यहोवा के स्तरों को मानते रहे। नतीजा, उनका राजा यीशु मसीह उनकी हिफाज़त करता रहा है जो शैतान पर लगातार जीत हासिल कर रहा है।—प्रका. 6:2.
यहोवा अपने उपासकों को ‘एक करेगा’
13. दो छड़ियों की भविष्यवाणी से हम कौन-सी अहम सच्चाई सीखते हैं?
13 दो छड़ियों को एक करने की भविष्यवाणी आज कैसे पूरी हो रही है? याद रखिए कि उस भविष्यवाणी से यह दर्शाया गया है कि दो समूहों को एक कैसे किया जाएगा। भविष्यवाणी से खासकर यह पता चलता है कि उन्हें एक करनेवाला यहोवा है। दो छड़ियों को एक करने की भविष्यवाणी से शुद्ध उपासना के बारे में हम कौन-सी अहम सच्चाई सीखते हैं? चंद शब्दों में कहें तो यह कि यहोवा खुद अपने उपासकों को ‘एक करेगा।’—यहे. 37:19.
14. दो छड़ियों की भविष्यवाणी 1919 से कैसे बड़े पैमाने पर पूरी होने लगी?
14 सन् 1919 में परमेश्वर के लोगों को शुद्ध किया गया और वे एक लाक्षणिक फिरदौस में प्रवेश करने लगे। तब से दो छड़ियों को एक करने की भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर पूरी होने लगी। परमेश्वर के लोगों को एकता के बंधन में बाँधा गया। उनमें से ज़्यादातर लोगों को यह आशा थी कि वे स्वर्ग में याजकों और राजाओं के नाते सेवा करेंगे। (प्रका. 20:6) ये अभिषिक्त जन उस छड़ी की तरह थे जो “यहूदा के लिए” थी, यानी वह राष्ट्र जिसमें दाविद के वंश के राजा और लेवी गोत्र के याजक होते थे। मगर समय के गुज़रते इन लाक्षणिक यहूदियों के साथ ऐसे कई लोग जुड़ने लगे जिन्हें धरती पर जीने की आशा थी। ये लोग “एप्रैम की छड़ी” की तरह थे, यानी वह राष्ट्र जिसमें न दाविद के वंश के राजा थे, न लेवी गोत्र के याजक। इन दोनों समूहों का एक ही राजा है, यीशु मसीह। वे उसका हुक्म मानते हुए साथ मिलकर यहोवा की सेवा कर रहे हैं।—यहे. 37:24.
“वे मेरे लोग होंगे”
15. यहेजकेल 37:26, 27 में बतायी बातें आज कैसे पूरी हो रही हैं?
15 यहेजकेल की भविष्यवाणी से भी हमें पता चलता है कि शुद्ध उपासना करने के लिए अभिषिक्त जनों के साथ कई लोग जुड़ जाएँगे। यहोवा ने अपने लोगों के बारे में कहा, ‘मैं उनकी गिनती बढ़ाऊँगा’ और “मेरा डेरा उनके ऊपर तना रहेगा।” (यहे. 37:26, 27, फु.) इन शब्दों से हमें वह भविष्यवाणी याद आती है जो यहेजकेल के ज़माने के करीब 700 साल बाद प्रेषित यूहन्ना को बतायी गयी थी। वह भविष्यवाणी यह थी कि ‘राजगद्दी पर बैठा परमेश्वर बड़ी भीड़ पर अपना तंबू तानेगा।’ (प्रका. 7:9, 15) आज अभिषिक्त मसीही और बड़ी भीड़ के लोग एक राष्ट्र की तरह परमेश्वर के तंबू में महफूज़ जी रहे हैं।
16. जकरयाह ने अभिषिक्त मसीहियों और बड़ी भीड़ की एकता के बारे में क्या भविष्यवाणी की?
16 जकरयाह ने भी भविष्यवाणी की थी कि यहोवा के लोगों में एकता होगी। वह भी उनमें से एक था जो बँधुआई से लौटे थे। उसने भविष्यवाणी की थी कि लाक्षणिक यहूदियों यानी अभिषिक्त मसीहियों और बड़ी भीड़ के लोगों को एक किया जाएगा। उसने कहा, “सब राष्ट्रों में से दस लोग, एक यहूदी के कपड़े का छोर पकड़ लेंगे” और कहेंगे, “हम तुम्हारे साथ चलना चाहते हैं क्योंकि हमने सुना है, परमेश्वर तुम्हारे साथ है।” (जक. 8:23) गौर कीजिए कि इस आयत में “तुम्हारे साथ” लिखा है न कि “तेरे साथ।” इसलिए इस भविष्यवाणी में बताया गया “एक यहूदी” किसी एक व्यक्ति को नहीं बल्कि एक समूह को दर्शाता है। यह लाक्षणिक यहूदियों का समूह है यानी धरती पर बचे हुए अभिषिक्त मसीहियों का समूह। (रोमि. 2:28, 29) और “दस लोग” धरती पर जीने की आशा रखनेवालों को दर्शाते हैं। इन लोगों ने एक मायने में अभिषिक्त मसीहियों के कपड़े का छोर पकड़ा है और वे उनसे जुड़ गए हैं और उनके ‘साथ चल’ रहे हैं। (यशा. 2:2, 3; मत्ती 25:40) शब्द “पकड़ लेंगे” और “तुम्हारे साथ चलना चाहते हैं” से पता चलता है कि इन दोनों समूहों की एकता बहुत मज़बूत है।
17. आज हम जिस एकता का आनंद ले रहे हैं, उसके बारे में यीशु ने क्या बताया?
17 शायद एकता के बारे में यहेजकेल की इस भविष्यवाणी को ही ध्यान में रखते हुए यीशु ने अपनी तुलना एक चरवाहे से की जिसकी निगरानी में उसकी भेड़ें (अभिषिक्त मसीही) और “दूसरी भेड़ें” (धरती पर जीने की आशा रखनेवाले) “एक झुंड” में इकट्ठा होंगी। (यूह. 10:16; यहे. 34:23; 37:24, 25) चाहे हमारी आशा स्वर्ग में जीने की हो या धरती पर, आज हमारे बीच वही एकता है जिसके बारे में यीशु ने और पुराने ज़माने के भविष्यवक्ताओं ने बताया था। एक तरफ जहाँ झूठे धर्म बेहिसाब गुटों में बँटते जा रहे हैं, वहीं हमारे बीच कमाल की एकता है।
“मेरा पवित्र-स्थान सदा के लिए उनके बीच बना रहेगा”
18. यहेजकेल 37:28 के मुताबिक परमेश्वर के लोगों को क्यों “दुनिया के नहीं” होना चाहिए?
18 एकता के बारे में यहेजकेल की भविष्यवाणी के आखिरी शब्दों से पता चलता है कि क्यों हमारी एकता कभी नहीं टूटेगी। (यहेजकेल 37:28 पढ़िए।) यहोवा के लोगों के बीच एकता इसलिए है क्योंकि उसका पवित्र-स्थान “उनके बीच” है, जो शुद्ध उपासना को दर्शाता है। और यह पवित्र-स्थान उनके बीच तब तक रहेगा जब तक वे खुद को पवित्र बनाए रखेंगे यानी शैतान की दुनिया से अलग रहेंगे। (1 कुरिं. 6:11; प्रका. 7:14) यीशु ने भी दुनिया से अलग रहने की अहमियत बतायी थी। उसने अपने चेलों के लिए दिल से दुआ की, ‘हे पवित्र पिता, उनकी देखभाल कर ताकि वे एक हों। वे दुनिया के नहीं हैं, सच्चाई से उन्हें पवित्र कर।’ (यूह. 17:11, 16, 17) ध्यान दीजिए कि जब यीशु ने अपने चेलों के “एक” होने की बात की, तो उसने यह भी कहा कि वे “दुनिया के नहीं हैं।”
19. (क) हम कैसे ‘परमेश्वर की मिसाल’ पर चल सकते हैं? (ख) यीशु ने अपनी मौत से पहले एकता के बारे में कौन-सी अहम बात बतायी?
19 बाइबल में सिर्फ यही एक आयत है जहाँ यीशु ने परमेश्वर को “पवित्र पिता” कहा। यहोवा हर मायने में पवित्र और खरा है। उसने इसराएलियों को आज्ञा दी थी, “तुम्हें पवित्र बने रहना है क्योंकि मैं पवित्र हूँ।” (लैव्य. 11:45) हम ‘परमेश्वर की मिसाल’ पर चलकर पवित्र रहना चाहते हैं, इसलिए हम हर मामले में अपना चालचलन शुद्ध बनाए रखने की कोशिश करते हैं। (इफि. 5:1; 1 पत. 1:14, 15) बाइबल में जब भी “पवित्र” शब्द इंसानों के लिए इस्तेमाल हुआ है, तो उसका मतलब है, अलग किया गया। इसीलिए यीशु ने अपनी मौत से एक रात पहले प्रार्थना में कहा कि उसके चेलों में एकता तब तक रहेगी जब तक कि वे दुनिया से अलग रहेंगे और दुनिया की तरह अपने बीच फूट नहीं पड़ने देंगे।
“शैतान की वजह से उनकी देखभाल कर”
20, 21. (क) यहोवा पर हमारा भरोसा क्यों बढ़ता है? (ख) आपने क्या करने की ठान ली है?
20 दुनिया-भर में रहनेवाले यहोवा के साक्षियों की एकता इस बात का सबूत है कि यहोवा ने यीशु की इस प्रार्थना का जवाब दिया है, “शैतान की वजह से उनकी देखभाल कर।” (यूहन्ना 17:14, 15 पढ़िए।) शैतान हमारी एकता को तोड़ने में नाकाम रहा है। इससे परमेश्वर पर हमारा भरोसा बढ़ता है कि वह हमेशा हमारी हिफाज़त करेगा। यहेजकेल की भविष्यवाणी में यहोवा ने कहा कि दो छड़ियाँ उसके हाथ में एक बन जाएँगी। यह दिखाता है कि यहोवा की बदौलत ही उसके लोगों में अनोखी एकता है। वे उसके शक्तिशाली हाथों में सुरक्षित हैं और शैतान की पहुँच से बहुत दूर हैं।
21 इन बातों को ध्यान में रखते हुए हमें क्या करना चाहिए? हम सबको ठान लेना चाहिए कि इस अनमोल एकता को बनाए रखने में हम अपना भाग ज़रूर अदा करेंगे और इसके लिए जी-तोड़ कोशिश करेंगे। ऐसा करने का सबसे खास तरीका है, लाक्षणिक मंदिर में यानी यहोवा के ठहराए गए इंतज़ाम के मुताबिक शुद्ध उपासना करते रहना। अगले कुछ अध्यायों में बताया जाएगा कि इसमें क्या-क्या शामिल है।
a दस गोत्रोंवाले राज्य (“एप्रैम की छड़ी”) के लोगों को जिस साल अश्शूरी बंदी बनाकर ले गए थे, उसके करीब 200 साल बाद यहेजकेल को यह भविष्यवाणी बतायी गयी थी।—2 राजा 17:23.