आनेवाले एक हज़ार वर्ष के लिए अभी संघबद्ध होना
“वे . . . उसके साथ हज़ार वर्ष तक राज्य करेंगे।”—प्रकाशितवाक्य २०:६.
१. अब से एक हज़ार से भी ज़्यादा साल बाद पृथ्वी पर परिस्थितियाँ कैसी होंगी?
क्या! हमारा मतलब क्या यह है कि अब से एक हज़ार से अधिक वर्ष बाद भी, मनुष्यजाति यहाँ पृथ्वी पर ही होगी? हमारा यही मतलब है! और तो और, उस वक्त पूरी मनुष्यजाति शरीर, दिल और दिमाग़ में संपूर्ण होगी—इस गोलक पर मानव अस्तित्व के शुरू में उस पहले पुरुष और स्त्री के जैसे। जी हाँ, अब से एक हज़ार वर्ष बाद, मानव अपने परमेश्वर और उद्धारक के प्रतिबिंब और स्वरूप में होंगे। (उत्पत्ति १:२६-३०) वे स्वच्छ की गयी पृथ्वी पर, जो मानव निवासियों से ज़्यादा भरी न होगी, एक “अदन की बाटिका,” एक प्रमोद के परादीस में जीवन का पूरा-पूरा आनन्द उठा रहे होंगे। (उत्पत्ति २:१५) ये सब सृजनहार के इस पृथ्वी और उन लोगों की ओर, जिन्हें उस पर रहना था, अपने मूल उद्देश्य की पूर्ति में होगा। सारे विरोध के बावजूद, यह सुन्दर निष्पत्ति पूरी मनुष्यजाति को आशीर्वाद देने के लिए अपनी प्रेममय प्रतिज्ञा के विषय विश्वसनीय होने के तौर से उसे सत्य सिद्ध करेगा।
२. संपूर्ण की गयी मनुष्यजाति कैसे होगी, इसकी दृष्टि लगभग १९ सदी पहले के लोगों को कैसी मिली?
२ वह धन्य निष्पत्ति परमेश्वर के महिमान्वित पुत्र के ज़रिए, जिसने १९ से ज़्यादा सदी पहले इस पृथ्वी पर एक संपूर्ण मनुष्य के रूप में ३३ १/२ वर्ष बीताए, अपने हज़ार वर्षीय शासनकाल की चरमबिंदु होगी। उस वक्त उसकी प्रतीति किस तरह थी, इस विषय हम पढ़ते हैं: “वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।” (यूहन्ना १:१४) तो यीशु मसीह में लोग देख पाए कि एक संपूर्ण मानव सृष्टि किस तरह है। (लूका ३:२३, ३८) जी हाँ, १९ सदियों पहले कुछ लोगों ने देखा कि आनेवाले पार्थिव परादीस में संपूर्ण की गयी मनुष्यजाति कैसे होगी।
३, ४. (अ) यीशु मसीह और १,४४,००० द्वारा यहोवा का शासनकाल की अवधि वास्तव में कितनी लंबी होगी? (ब) उस समयावधि के लिए कौनसी अभिव्यक्ति इस्तेमाल की जाती है, और कुछेक वॉच टावर प्रकाशनों के शीर्षकों से यह किस तरह प्रतिबिंबित हुआ?
३ यह पूर्वबतलाया गया था कि यीशु मसीह और उसके १,४४,००० महिमान्वित शिष्यों द्वारा यहोवा के राज्य शासन की अवधि एक हज़ार वर्ष की होनी थी। उस हज़ार वर्षीय शासनकाल के संबंध में, बूढ़े प्रेरित यूहन्ना ने लिखा: “मैं ने सिंहासन देखे, और उन पर लोग बैठ गए, और उन को न्याय करने का अधिकार दिया गया; और उन की आत्माओं को भी देखा, जिन के सिर यीशु की गवाही देने और परमेश्वर के वचन के कारण काटे गए थे; और जिन्हों ने न उस पशु की, और न उस की मूरत की पूजा की थी, और न उस की छाप अपने माथे और हाथों पर ली थी; वे जीवित होकर मसीह के साथ हज़ार वर्ष तक राज्य करते रहे। और जब तक ये हज़ार वर्ष पूरे न हुए तब तक शेष मरे हुए न जी उठे; यह तो पहला मृतकोत्थान है। धन्य और पवित्र वह है, जो इस पहले पुनरुत्थान का भागी है; ऐसों पर दूसरी मृत्यु का कुछ भी अधिकार नहीं, पर वे परमेश्वर और मसीह के याजक होंगे, और उसके साथ हज़ार वर्ष तक राज्य करेंगे।”—प्रकाशितवाक्य २०:४-६.
४ चूँकि एक हज़ार वर्ष सहस्राब्दि होती है, उस अवधि को मसीह का सहस्राब्दिक शासनकाल कहा जाता है। जो लोग यह बाइबल उपदेश स्वीकार करते और सिखाते हैं, उन्हें कभी कभी सहस्राब्द-वादी या किलास्मवादी कहा जाता है, उस यूनानी शब्द के अनुसार जिस से “हज़ार” शब्द आता है। दिलचस्प रूप से, स्टडीज़ इन द स्क्रिप्चर्स नामक खण्ड (जो कभी वॉचटावर बाइबल ॲन्ड ट्रॅक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किए गए थे) प्रारंभ में मिल्लेंनियल डॉन के नाम से जाने जाते थे। और किसी वक्त अंतर्राष्ट्रीय बाइबल विद्यार्थियों द्वारा इस्तेमाल की जानेवाली गीत पुस्तिका का शीर्षक हिम्ज़ ऑफ द मिल्लेंनियल डॉन रखा गया था।
५. मसीह के हज़ार वर्षीय शासनकाल के दौरान शैतान और दुष्टात्माओं की क्या दशा होगी?
५ प्रकाशितवाक्य २०:४ में “एक हज़ार वर्ष,” यह अभिव्यक्ति, प्रतीकात्मक नहीं बल्कि एक हज़ार सौर वर्ष का ज़िक्र करती है। उस सहस्राब्दि के दौरान, शैतान इब्लीस और उसके दुष्टात्मा गिरोह अथाहकुण्ड में होंगे, इसलिए कि मसीह के हज़ार वर्षीय शासनकाल के बारे में बताने से कुछ ही समय पहले, प्रेरित यूहन्ना ने कहा: “मैं ने एक स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते देखा; जिस के हाथ में अथाह कुंड की कुंजी, और एक बड़ी ज़ंजीर थी। और उस ने उस अज़गर, अर्थात् पुराने सांप को, जो इब्लीस और शैतान है; पकड़ के हज़ार वर्ष के लिए बान्ध दिया। और उसे अथाह कुंड में डालकर बन्द कर दिया और उस पर मुहर कर दी, कि वह हज़ार वर्ष के पूरे होने तक जाति जाति के लोगों को फिर न भरमाए; इस के बाद अवश्य है, कि थोड़ी देर के लिए फिर खोला जाए।”—प्रकाशितवाक्य २०:१-३.
६. (अ) कुछ रोमन कैथोलिक लोगों ने मसीह के हज़ार वर्षीय शासनकाल की समाप्ति के लिए कौनसी तारीख़ दी है? (ब) अगर कैथोलिक लोगों के दावे सही होते, तो अथाह कुंड से शैतान की छुड़ाई की थोड़ी देर, अब कितनी लंबी रह चुकी है?
६ कुछके रोमन कैथोलिक लोगों ने दावा किया है कि यीशु मसीह का हज़ार वर्षीय शासनकाल १७९९ में पूरा हुआ, जब फ्रांसीसी सेनाओं ने रोम को अधिकार में लेकर पोप को उसके शासक के तौर से पदच्युत कर दिया, यहाँ तक कि उसे एक बंदी के रूप में फ्रांस में निर्वासित कर दिया गया, जहाँ उसकी मृत्यु हुई। कैथोलिक पादरी वर्ग ने कहा है कि उस वक्त शैतान और उसके दुष्टात्माएँ अपना भ्रामक काम दोबारा शुरू करने के लिए “नरक” या “अथाह कुंड” से “थोड़ी देर के लिए” छुड़ाए गए। (प्रकाशितवाक्य २०:१-३, कैथोलिक डूए वर्शन) अगर यह सच होता, तो इसका यह मतलब होता कि वह “थोड़ी देर” अभी १९० सालों से जारी है, और इसका कोई अंत नज़र नहीं आ रहा।
७. बाइबल यीशु मसीह के सहस्राब्दिक शासनकाल के समय और प्रकार के बारे में क्या सूचित करती है?
७ बहरहाल, धर्मशास्त्र के अनुसार, यीशु मसीह का असली सहस्राब्दिक शासनकाल अभी भविष्य में है। बाइबल भविष्यद्वाणी की आधुनिक पूर्ति दिखाती है कि यह बहुत ही नज़दीक है। असली सहस्राब्दि के दौरान, शैतान और उसके दुष्टात्माएँ वास्तव में अथाह कुंड में डाले जाएँगे, और यीशु मसीह तथा उसके १,४४,००० सह-वारिस इब्लीस के संघटन की ओर से कोई हस्तक्षेप के बिना सारी मनुष्यजाति पर राज्य करेंगे। यहोवा के अपने “दोस्त” इब्राहीम के साथ की गयी वाचा की पूर्ति में, पूरी उद्धार-प्राप्त मनुष्यजाति का अनन्त आशीर्वाद “बड़ी भीड़” से शुरू होगा, जो कि इस अद्वितीय “क्लेश” से बच निकलेंगे, जिस से यह दुष्ट व्यवस्था ख़त्म होती है। यह आशीर्वाद करोड़ों मानव मृतकों तक फैलेगा जो “मेम्ना,” यीशु मसीह, “के लहू” से छुड़ाए गए थे। (याकूब २:२१-२३; प्रकाशितवाक्य ७:१-१७; उत्पत्ति १२:३; २२:१५-१८; मत्ती २४:२१, २२) इस ओर, इन्हें स्मरणार्थ क़ब्रों में उनकी मृत्यु नींद से पृथ्वी पर जीवन प्राप्त करने के लिए पुनरुत्थित किया जाएगा।—यूहन्ना ५:२८, २९.
एक मसीही संघटन
८. द न्यू क्रिएशन नामक किताब में कौनसे संघटन का वर्णन किया गया, लेकिन उस में कौनसे संघटनात्मक कार्य की कल्पना नहीं की गयी?
८ ईश्वरीय उद्देश्य के धीरे-धीरे पूरा होने में, एक नया संघटन उन आशीर्वादों से सदियों पहले अस्तित्व में आया है। उस संघटन के संबंध में, हम पढ़ते हैं: “सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है।” “क्योंकि न खतना, और न खतना-रहित कुछ है, परन्तु नई सृष्टि [एक नया सृष्ट जीव, किंग् जेम्स वर्शन] कुछ है।” (२ कुरिन्थियों ५:१७; गलतियों ६:१५, न्यू.व.) पहले १९०४ में, द न्यू क्रीएशन नामक किताब में उस नए संघटन की ओर ध्यान आकृष्ट किया गया, जो सामान्य युग पहली सदी में अस्तित्व में आ गया। (स्टडीज़ इन द स्क्रिप्चर्स, श्रृंखला VI, अध्ययन V, जिसका शीर्षक था “नयी सृष्टि का संघटन”) १९१४ में अन्यजातियों के समय के अंत का क्या मतलब होगा, इस विषय में उसके नज़रिए की वजह से, उस किताब में उस उल्लेखनीय संघटनात्मक कार्य की कल्पना नहीं की गयी जिसे मानव इतिहास के पहले विश्व युद्ध के बिगाड़नेवाले प्रभावों के बाद घटित होना नियत था।—लूका २१:२४, किं.जे.
९. नयी सृष्टि के शेष लोग कौनसे अवसर के अनुकूल बन गए?
९ १९१८ में पहले विश्व युद्ध के अंत तक, आत्मिक नयी सृष्टि के शेष जन का रक्षण, तथा १९१९ के युद्धोत्तर वर्ष में उनका शरीर में ज़िंदा रखा जाना, उनके लिए एक विस्मयकारी आश्चर्य की बात थी। लेकिन सहस्राब्दिक परिस्थितियाँ अभी तक नहीं आयी थीं। तो फिर, प्रत्यक्षतः, यीशु मसीह के साथ सहस्राब्दिक कार्य में हिस्सा लेने की उनकी स्वर्गीय आशा प्राप्त करने से पहले, नयी सृष्टि के शेष लोगों के लिए पृथ्वी पर ही ज़्यादा काम करना बाक़ी था। अतः, शेष लोगों के पुनर्जागरण और पुनः संघटन की बड़ी आवश्यकता थी। तो, आगे के उत्तेजक कार्य के लिए अटूट विश्वास और उत्सुकता के साथ, वे अवसर के अनुकूल हो गए।
१०. जिन सैंकड़ों लोगों से प्रत्याशा की गयी, कि वे नयी रीति-व्यवस्था में उत्तरजीवित रहेंगे, उन के संबंध में कौनसे सवाल उत्पन्न हुए?
१० इस दुष्ट व्यवस्था के भयंकर अंत में से, आगे यीशु मसीह के सहस्राब्दिक शासनकाल में, इस पृथ्वी पर मनुष्यजाति के कुछेक लोगों का उत्तरजीवित रहना अभिषिक्त शेष लोगों द्वारा प्रत्याशित था। १९१८ के युद्धकालीन वर्ष में लॉस ॲन्जेलीस, कॅलिफॉर्निया, में दिए आम भाषण, “अब ज़िन्दा सैंकड़ों लोग कभी न मरेंगे,” के बाद ऐसा खास तौर से था। क्या इन सैंकड़ों भावी हार-मागेडोन उत्तरजीवियों को संघटित होना था? (प्रकाशितवाक्य १६:१४-१६) “नयी पृथ्वी” का एक हिस्सा होने के लिए सहस्राब्दि में लाए जाने से पहले, क्या ये लोग शेष जन के साथ राज्य-प्रचार कार्य में भाग लेते? (२ पतरस ३:१३) इन सवालों के जवाब युद्धोत्तर परिस्थितियों से दिए जाते।
११. (अ) जो अन्य भेड़ें शेष जन के साथ एक झुण्ड होने के लिए नियत थीं, उनका क्या करना पड़ता? (ब) आशा में भिन्नता शेष लोगों और अन्य भेड़ों के बीच कोई विभाजन का कारण क्यों न थी?
११ उत्तम चरवाहा, यीशु मसीह, के निम्नलिखित शब्द यथासमय सामने आ गए: “और मेरे अन्य भेड़ें हैं, जो इस भेड़शाला की नहीं; मुझे इन्हें भी लाना अवश्य है, और वे मेरी आवाज़ सुनेंगी, और वे एक ही झुण्ड बनेंगीं और एक ही चरवाहा होगा।” (यूहन्ना १०:१६, न्यू.व.) अगर अभिषिक्त शेष लोगों को १९१९ से लेकर युद्धोत्तर कार्य के लिए संघटित होना ज़रूरी था और अगर बाद में अन्य भेड़ें शेष लोगों के साथ इस भेड़शाला में एक झुण्ड हो जातीं, तब इसका क्या मतलब होता? अजी, उन अन्य भेड़ों को भी उन शेष लोगों के संयुक्त संघटित होना पड़ता! यह वास्तविकता कि अन्य भेड़ों की आशा अलग थी—पार्थिव प्रमोद के परादीस में जीवन की आशा—उन में और शेष लोगों के बीच कोई विभाजन का कारण न थी। सभी एक ही चरवाहे के अनुयायी थे, और तब तक दोनों समुदायों में कोई विभाजन न होता, जब तक राज्य में अभिषिक्त शेष लोगों की महिमा-प्राप्ति न होती।
१२. (अ) मनुष्यजाति के उद्धार से कहीं ज़्यादा महत्त्वपूर्ण क्या है? (ब) राज्य की घोषणा करना कब और क्यों प्रधान महत्त्व की बात बन गयी?
१२ पाप और मृत्यु से मनुष्यों का उद्धार, शैतान की दुनिया की प्रधानता का अंत, और पृथ्वी भर में पुनःस्थापित परादीस में आज्ञाकारी मानवजाति का जीर्णोद्धार, यहोवा के प्रेममय उद्देश्य की उत्कृष्ट विशेषताएँ हैं। परन्तु, एक ऐसी बात है जो सारे ब्रह्मांड के लिए सबसे ज़्यादा महत्त्व की है। वह क्या है? यह उसके पावन नाम के पवित्रीकरण के साथ-साथ यहोवा परमेश्वर की विश्वव्यापक प्रभुसत्ता की सत्य सिद्धि है। शासन करनेवाले राजा, यीशु मसीह, द्वारा यहोवा का राज्य प्रचारित करने की समयोचितता पर, १९२२ में अंतर्राष्ट्रीय बाइबल विद्यार्थियों के द्वितीय सीडर पॉईंट, ओहायो, सम्मेलन में ज़ोर दिया गया। चूँकि १९१४ में अन्यजातियों का समय समाप्त हो चुका था, यीशु के भविष्यसूचक वचन पूरा करने का उचित समय आया था: “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।” (मत्ती २४:१४) जो राज्य यहोवा की विश्वव्यापक प्रभुसत्ता सत्य सिद्ध करके उसके पावन नाम का पवित्रीकरण करता, वह १९१४ में स्वर्ग में स्थापित हो चुका था, और यीशु मसीह अपने शत्रुओं के बीच राज्य कर रहा था। यही वह शानदार सुसमाचार था जिसका प्रचार राजा तथा उसके राज्य की घोषणा करने के लिए हर उपलब्ध साधन से होना था!
१३. राज्य घोषणा के काम के लिए, परमेश्वर ने किस का प्रबंध किया, और क्यों?
१३ यहोवा विश्व पैमाने पर एक संघटनकर्ता है, इसलिए कि वह परम प्रधान, सर्वोच्च व्यक्ति है। उसने अब, यहाँ पृथ्वी पर, इस व्यवस्था का अंत आने से पहले अपने राज्य की घोषणा करने का कार्य अंतर्राष्ट्रीय रूप से करवाने का पूरा प्रबंध किया। इसलिए, उसकी इच्छा पूरा करने के लिए अभिषिक्त लोगों के उत्तरजीवी शेष वर्ग के सदस्य, एक अंतर्राष्ट्रीय संघटन में एक कर दिए गए। इन्हें अवश्य सारी दुनिया को घोषित करना चाहिए कि चूँकि शैतान ने यहोवा के विश्वव्यापक प्रभुसत्ता को चुनौती दी है, इस बात को नज़र में रखते हुए, उस प्रभुसत्ता की वास्तविकता और अधिकारपूर्णता, दोनों, हमेशा के लिए सत्य सिद्ध, उचित सिद्ध किए जाने चाहिए।
पूर्व-सहस्राब्दिक संघटन
१४. (अ) हमारे सामान्य युग पूर्व, कौनसा संघटन यहोवा के विश्वव्यापक संघटन का पार्थिव हिस्सा बन गया? (ब) दाऊद एक उत्तम संघटनकर्ता कैसे साबित हुआ?
१४ हमारे सामान्य युग १५ सदियों पूर्व, पृथ्वी पर यहोवा परमेश्वर का एक दृश्य संघटन था। बाइबल इतिहास के पहले विश्व साम्राज्य, मिस्र से इस्राएल की रिहाई के बाद, उसने इस्राएल की जाति को संघटित करने में भविष्यद्वक्ता मूसा को एक मध्यस्थ के तौर से इस्तेमाल किया। मूसा के नियम के अंतर्गत, इस्राएल यहोवा के विश्वव्यापक संघटन का दृश्य हिस्सा बन गयी। परमेश्वर के इन चुने-हुए लोगों में एक उत्कृष्ट संघटनकर्ता चरवाहा-राजा दाऊद था, जिसके विषय में हम पढ़ते हैं: “फिर दाऊद ने उनको [जो लेवीय यहोवा के पवित्रस्थान में सेवा करते थे] गेर्शोन, कहात और मरारी नाम लेवी के पुत्रों के अनुसार दलों में अलग अलग कर दिया।” “तब उसने चिट्ठी डालकर उन्हें [याजकों को] बराबर बराबर में बांटा, क्योंकि एलीआजर और ईतामार दोनों के वंशजों में पवित्रस्थान के हाकिम और परमेश्वर के हाकिम नियुक्त हुए थे।”—१ इतिहास २३:३, ६; २४:१, ५, द न्यू इंग्लिश बाइबल.
१५. (अ) इस्राएली मिस्र से किस तरह रवाना हुए? (ब) और किसने मिस्र छोड़ना पसन्द किया, और क्या वे इस्राएलियों के ही साथ रहे?
१५ दाऊद के समय से सैंकड़ों साल पहले, जब इस्राएलियों ने मिस्र छोड़ा, वे उत्तेजित छीना-झपटी से हड़बड़ाकर नहीं निकले, परन्तु एक सुव्यवस्थित रीति से रवाना हुए। इस से उनके मध्यस्थ, मूसा की ओर से अच्छा संघटनात्मक कार्य सूचित हुआ। ग़ैर-इस्राएलियों की एक बड़ी भीड़ उनके साथ बाहर आयी, इसलिए कि उन्होंने अपना हिस्सा चमत्कार-करनेवाले परमेश्वर, यहोवा, के लोगों के साथ गिना, जो कि मिस्र के सभी देवताओं से ज़्यादा ताक़तवर था। अनेक कठिनाइयों के बावजूद, कुछ समय बाद भी यहोवा के चुने-हुए लोगों के प्रति सद्भाव रखनेवाली यह “मिली जुली हुई भीड़” सीनाई के विस्मयप्रेरक बीहड़ में उनके साथ मौजूद थी। (निर्गमन १२:३७-५१; गिनती ११:४) इस्राएलियों के साथ, वह मिली जुली भीड़ मूसा के उत्तराधिकारी, यहोशू, के नेतृत्व में प्रतिज्ञात देश में प्रत्यक्षतः प्रविष्ट हुई, इसलिए कि परमेश्वर ने यह नियत किया कि ऐसे अन्यदेशीय निवासियों के लिए वहाँ प्रबंध किया जाए।
१६. (अ) विशाल मिली जुली भीड़ किस का आदिरूप थी? (ब) इस व्यवस्था के अंत के उत्तरजीवी बनने के लिए इन्हें क्या करना पड़ेगा?
१६ फिरौन के मिस्र की वह विशाल मिली जुली भीड़ २०वीं सदी की बड़ी भीड़ का आदिरूप थी। वे आत्मिक इस्राएली नहीं लेकिन उत्तम चरवाहे, यीशु मसीह, की अन्य भेड़ें हैं। अभिषिक्त शेष लोगों के साथ, वे प्रतिरूपी मिस्र, यह विश्व रीति-व्यवस्था जिसका महान् फिरौन, शैतान इब्लीस, देवता है, से संपूर्ण रिहाई की आशा रखते हैं। (यूहन्ना १०:१६; २ कुरिन्थियों ४:४; प्रकाशितवाक्य ७:९) लेकिन उन्हें शैतान की पुरानी दुनिया के हिंसापूर्ण नाश से बचने और महान् यहोशू, यीशु मसीह, के नीचे प्रतिज्ञात नयी दुनिया में प्रवेश करने के लिए क्या करना पड़ेगा? (२ पतरस ३:१३) उन्हें यहोवा के दृश्य संघटन के केंद्र, अभिषिक्त शेष जन के संघटनात्मक प्रबंधों के अनुकूल रहना पड़ेगा।
१७. इस विसंघटित दुनिया में, बड़ी भीड़ के सदस्य किस तरह कार्य करते हैं, और वे किस की आशा करते हैं?
१७ खास तौर से २०वीं सदी के चौथे दशक के मध्य भाग से, अन्य भेड़ों की बड़ी भीड़ को एक महिमान्वित चरवाहे, राज्य करनेवाला राजा, यीशु मसीह, के अधीन एक झुण्ड में संघटित किया गया है। एक ऐसी दुनिया में जो संयुक्त राष्ट्र संघ के अस्तित्व के बावजूद अधिकाधिक विसंघटित होती जा रही है, इस बड़ी भीड़ के सदस्य अभिषिक्त शेष जन को हार्दिक सहयोग देते हैं और इस प्रकार यहोवा के पवित्र आत्मा के एक कर देनेवाली शक्ति का सबूत देते हैं। दृढ़निश्चित होकर, यीशु मसीह के हज़ार वर्षीय शासनकाल के दौरान पृथ्वी पर खास सेवा करने की आशा करते हुए, वे शेष जन के साथ संघटित रहते हैं।
आपके विचार क्या हैं?
◻ यीशु मसीह के सहस्राब्दिक शासनकाल के समय और प्रकार के बारे में धर्मशास्त्र क्या सूचित करते हैं?
◻ मनुष्यजाति के उद्धार से भी ज़्यादा कौनसी बात महत्त्वपूर्ण है?
◻ हमारे सामान्य युग पूर्व, कौनसा संघटन यहोवा के विश्व संघटन का पार्थिव हिस्सा बना?
◻ जो लोग विशाल मिली जुली भीड़ के आदिरूप हैं, वे हज़ार वर्षीय शासनकाल में किस तरह बच जाते हैं?