मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
2-8 सितंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | इब्रानियों 7-8
‘हमेशा-हमेशा के लिए मेल्कीसेदेक जैसा याजक’
इंसाइट-2 पेज 366
मेल्कीसेदेक
मेल्कीसेदेक शालेम का राजा था और ‘परम-प्रधान परमेश्वर यहोवा का याजक था।’ (उत 14:18, 22) याजकों में सबसे पहले उसका नाम शास्त्र में आया है। वह ईसा. पूर्व 1933 के कुछ समय पहले याजक बना था। शालेम नाम का मतलब है “शांति,” इसलिए प्रेषित पौलुस ने कहा कि मेल्कीसेदेक “शांति का राजा” और अपने नाम के मतलब के मुताबिक “नेकी का राजा” है। (इब्र 7:1, 2) माना जाता है कि पुराने ज़माने के शालेम से ही आगे चलकर यरूशलेम शहर निकला। यरूशलेम नाम शालेम से ही लिया गया है और इसे कभी-कभी “शालेम” भी कहा जाता है।—भज 76:2.
एक बार अब्राम (अब्राहम) कदोर-लाओमेर और उसके साथी राजाओं को हराने के बाद शावे घाटी में गया जिसे “राजा की घाटी” भी कहा गया है। वहाँ मेल्कीसेदेक “रोटी और दाख-मदिरा लेकर” उससे मिलने आया और उसने अब्राम को आशीष दी और कहा, “अब्राम पर परम-प्रधान परमेश्वर की आशीष बनी रहे, जो आकाश और धरती का बनानेवाला है। और परम-प्रधान परमेश्वर की तारीफ हो, जिसने तुझे सतानेवालों को तेरे हाथ में कर दिया!” तब अब्राहम ने “सब चीज़ों का दसवाँ हिस्सा” यानी “सबसे बढ़िया चीज़ों का दसवाँ हिस्सा,” जो वह राजाओं को हराकर लूट में लाया था, राजा-याजक मेल्कीसेदेक को दिया।—उत 14:17-20; इब्र 7:4.
इंसाइट-2 पेज 367 पै 4
मेल्कीसेदेक
यह कहना क्यों सही है कि मेल्कीसेदेक के “दिनों की न तो कोई शुरूआत है, न ही उसके जीवन का अंत”?
पौलुस ने मेल्कीसेदेक के बारे में एक अनोखी बात कही, “उसका न तो कोई पिता, न कोई माँ, न ही कोई वंशावली है। उसके दिनों की न तो कोई शुरूआत है, न ही उसके जीवन का अंत बल्कि उसे परमेश्वर के बेटे जैसा ठहराया गया है। इसलिए वह सदा के लिए एक याजक बना रहता है।” (इब्र 7:3) आम इंसानों की तरह मेल्कीसेदेक का भी जन्म हुआ और फिर उसकी मौत हुई। लेकिन उसके बारे में यह नहीं बताया गया है कि उसके माता-पिता कौन थे, उसकी वंशावली या आनेवाली पीढ़ी का भी कोई ज़िक्र नहीं किया गया है और शास्त्र में उसके जन्म और उसकी मौत के बारे में भी नहीं बताया गया है। इस वजह से मेल्कीसेदेक सही मायने में यीशु मसीह को दर्शाता है जिसका याजकपद कभी नहीं मिटता। मेल्कीसेदेक की जगह न पहले कोई याजक था, न बाद में कोई हुआ। उसी तरह जैसे बाइबल की आयतों से पता चलता है, मसीह के जैसा याजक न पहले कोई था और न बाद में कोई होगा। यही नहीं, हालाँकि यीशु का जन्म यहूदा के गोत्र में हुआ और वह राजा दाविद का वंशज था, मगर उसे इस वजह से याजक नहीं बनाया गया, न ही उसकी वंशावली की वजह से उसे याजक और राजा बनाया गया। उसके बारे में खुद यहोवा ने शपथ खाकर वादा किया था कि वह राजा और याजक होगा।
इंसाइट-2 पेज 366
मेल्कीसेदेक
मेल्कीसेदेक का याजकपद यीशु के याजकपद को दर्शाता है। मसीहा के बारे में की गयी एक भविष्यवाणी में बताया गया है कि यहोवा ने शपथ खाकर दाविद के “प्रभु” से वादा किया, “तू मेल्कीसेदेक जैसा याजक है और तू हमेशा-हमेशा के लिए याजक रहेगा!” (भज 110:1, 4) ईश्वर-प्रेरणा से लिखी भजन की इन आयतों से इब्री लोग समझ गए कि वादा किया गया मसीहा, याजक और राजा दोनों होगा। प्रेषित पौलुस ने भी इब्रानी मसीहियों को लिखी चिट्ठी में मसीहा के बारे में साफ-साफ कहा, ‘यीशु हमेशा के लिए एक महायाजक बना ताकि वह मेल्कीसेदेक जैसा याजक हो।’—इब्र 6:20; 5:10; करार देखें।
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बलिदान जिनसे परमेश्वर खुश हुआ
11 इब्रानियों 8:3 में प्रेरित पौलुस के शब्दों पर ध्यान दीजिए। “हर एक महायाजक भेंट, और बलिदान चढ़ाने के लिये ठहराया जाता है।” मूसा की कानून-व्यवस्था के मुताबिक इस्राएली महायाजक “भेंट” भी चढ़ाते थे, और “बलिदान” या “पाप बलि” भी। (इब्रानियों 5:1) भेंट तब दी जाती है जब कोई किसी से प्यार ज़ाहिर करना चाहता है, उसकी कदर करता है, उससे अच्छा रिश्ता रखना चाहता है या उसे खुश करना चाहता है। (उत्पत्ति 32:20; नीतिवचन 18:16) उसी तरह इस्राएली, परमेश्वर को प्यार दिखाने और उससे अच्छा रिश्ता कायम करने के लिए “भेंट” चढ़ाते थे। मगर जब कोई इस्राएली कानून-व्यवस्था के नियम तोड़ता और इस तरह पाप करता, तो उसके प्रायश्चित्त के लिए उसे “पाप बलि” चढ़ानी पड़ती थी। कानून-व्यवस्था में कौन-कौन-से बलिदान चढ़ाने की आज्ञा दी गयी थी, इसके बारे में उत्पत्ति से व्यवस्थाविवरण की किताबों में, खासकर निर्गमन, लैव्यव्यवस्था, और गिनती में बारीकी से बताया गया है। हालाँकि इन सभी बारीकियों को याद रखना हमारे लिए थोड़ा मुश्किल होगा, मगर यह ज़रूरी है कि हम उन पर गौर करें।
इंसाइट-1 पेज 523 पै 5
करार
कानून का करार कैसे “रद्द” हो गया?
कानून का करार तब “रद्द” हो गया, जब परमेश्वर ने भविष्यवक्ता यिर्मयाह के ज़रिए यह घोषणा की कि एक नया करार किया जाएगा। (यिर्म 31:31-34; इब्र 8:13) ई. 33 में जब यातना के काठ पर मसीह की मौत हुई, तो कानून का करार रद्द हो गया (कुल 2:14) और इसकी जगह नए करार ने ले ली।—इब्र 7:12; 9:15; प्रेष 2:1-4.
इंसाइट-1 पेज 524 पै 3-5
नया करार।
यहोवा ने ईसा पूर्व सातवीं सदी में यिर्मयाह के ज़रिए नए करार के बारे में भविष्यवाणी की थी और कहा था कि यह करार कानून के करार से अलग होगा, जिसे इसराएलियों ने तोड़ा था। (यिर्म 31:31-34) अपनी मौत से एक रात पहले, ईसवी सन् 33 के नीसान 14 को यीशु मसीह ने प्रभु के संध्या भोज की शुरूआत की और नए करार का ऐलान किया जो उसके बलिदान के आधार पर पक्का किया जाता। (लूक 22:20) यीशु को दोबारा ज़िंदा हुए 50 दिन हो गए थे और स्वर्ग में अपने पिता के पास लौटे 10 दिन हो गए थे, तब उसने अपने चेलों पर पवित्र शक्ति उँडेली जो उसे यहोवा से मिली थी। उस दिन उसके चेले यरूशलेम में ऊपर के एक कमरे में इकट्ठा थे।—प्रेष 2:1-4, 17, 33; 2कुर 3:6, 8, 9; इब्र 2:3, 4.
नया करार यहोवा और “परमेश्वर के इसराएल” यानी अभिषिक्त जनों के बीच किया गया, जो मसीह के साथ एकता में हैं और जिनसे उसकी मंडली या शरीर बना है। (इब्र 8:10; 12:22-24; गल 6:15, 16; 3:26-28; रोम 2:28, 29) नया करार यीशु मसीह के बहाए खून (यानी उसके इंसानी शरीर के बलिदान) से लागू हुआ जिसकी कीमत यीशु के स्वर्ग लौटने के बाद यहोवा को अदा की गयी। (मत 26:28) जब एक व्यक्ति को स्वर्ग का बुलावा मिलता है (इब्र 3:1), तो परमेश्वर उसे मसीह के बलिदान के आधार पर अपने करार में शामिल करता है। (भज 50:5; इब्र 9:14, 15, 26) यीशु मसीह नए करार का बिचवई (इब्र 8:6; 9:15) और अब्राहम के वंश का मुख्य हिस्सा है। (गल 3:16) यीशु के बिचवई होने से नए करार में शामिल लोगों को अपने पापों की माफी मिलती है। इस तरह यीशु उनकी मदद करता है, ताकि वे अब्राहम के असली वंश का हिस्सा हो सकें। यहोवा उन लोगों को नेक ठहराता है।—रोम 5:1, 2; 8:33; इब्र 10:16, 17.
मसीह के ये अभिषिक्त भाई, याजक या “शाही याजकों का दल” बनेंगे जो महायाजक के अधीन होगा। (1पत 2:9; प्रक 5:9, 10; 20:6) ये याजक के तौर पर सेवा या “जन-सेवा” करेंगे। (फिल 2:17) इन्हें ‘नए करार के सेवक’ भी कहा जाता है। (2कुर 3:6) जिन्हें यह बुलावा मिला है, उन्हें मसीह के नक्शे-कदम पर नज़दीकी से चलना चाहिए और अपनी मौत तक वफादार रहना चाहिए; फिर यहोवा उनसे याजकों से बना एक राज बनाएगा और वे उसके जैसे अदृश्य बनेंगे। वे स्वर्ग में मसीह के संगी वारिस होंगे और उन्हें अमरता और अनश्वरता का इनाम दिया जाएगा। (1पत 2:21; रोम 6:3, 4; 1कुर 15:53; 1पत 1:4; 2पत 1:4) नए करार का मकसद है, ऐसे लोगों को इकट्ठा करना जो यहोवा के नाम से पहचाने जाएँ और अब्राहम के “वंश” का हिस्सा हों। (प्रेष 15:14) वे मसीह की “दुल्हन” बनेंगे। वे ऐसा समूह हैं जिन्हें मसीह, राज के करार में शामिल करता है ताकि वे उसके साथ राज कर सकें। (यूह 3:29; 2कुर 11:2; प्रक 21:9; लूक 22:29; प्रक 1:4-6; 5:9, 10; 20:6) नए करार का मकसद तब तक पूरा नहीं होगा जब तक “परमेश्वर के इसराएल” के सभी लोग स्वर्ग नहीं चले जाते और उन्हें अमर जीवन नहीं मिल जाता। जब यह मकसद पूरा होगा तो इससे जो फायदे होंगे वे हमेशा तक रहेंगे और इस वजह से इस करार को “सदा का करार” भी कहा जाता है।—इब्र 13:20.
9-15 सितंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | इब्रानियों 9-10
‘आनेवाली अच्छी बातों की छाया’
इंसाइट-1 पेज 862 पै 1
माफी
परमेश्वर ने इसराएल जाति को जो कानून दिया था, उसके मुताबिक अगर एक व्यक्ति परमेश्वर के खिलाफ या संगी-साथी के खिलाफ पाप करता, तो उसे अपने पापों की माफी पाने और अपनी गलती सुधारने के लिए कानून में बतायी हिदायतें माननी थीं। ज़्यादातर मामलों में उसे यहोवा को जानवर का खून चढ़ाना होता था। (लैव 5:5–6:7) इसके पीछे जो सिद्धांत था, उसके बारे में पौलुस ने बताया, “हाँ, कानून के मुताबिक करीब-करीब सारी चीज़ें खून से शुद्ध की जाती हैं। और जब तक खून नहीं बहाया जाता तब तक हरगिज़ माफी नहीं मिलती।” (इब्र 9:22) लेकिन बलि किए जानेवाले जानवरों का खून इंसानों के पाप नहीं धो सकता था, न ही उन्हें पूरी तरह शुद्ध ज़मीर दे सकता था। (इब्र 10:1-4; 9:9, 13, 14) नए करार की वजह से ही सच्ची माफी पाना मुमकिन हो पाया, जो यीशु मसीह के फिरौती बलिदान के आधार पर दिया जाता है। (यिर्म 31:33, 34; मत 26:28; 1कुर 11:25; इफ 1:7) यहाँ तक कि जब यीशु धरती पर था, तब भी उसने लकवे के मारे हुए एक आदमी को ठीक करके दिखाया कि उसके पास पाप माफ करने का अधिकार है।—मत 9:2-7.
“मेरे पीछे चलना जारी रख”
4 स्वर्ग जाने पर यीशु का कैसा स्वागत किया गया और अपने पिता से दोबारा मिलकर यीशु को कितनी खुशी हुई, इस बारे में बाइबल कुछ नहीं बताती। लेकिन बाइबल में पहले से यह ज़रूर बता दिया गया था कि यीशु के स्वर्ग जाने पर जल्द ही वहाँ क्या होगा। एक हज़ार पाँच सौ साल से भी ज़्यादा समय से यहूदी एक पवित्र समारोह मनाते आ रहे थे। साल में एक बार महायाजक मंदिर के परम-पवित्र स्थान में जाता था और करार के संदूक के सामने प्रायश्चित दिन पर चढ़ाए गए बलिदानों का लहू छिड़कता था। उस दिन, महायाजक मसीहा को दर्शाता था। उस समारोह को मनाने का मकसद था, पापों की माफी। लेकिन यीशु ने एक ही बार में हमेशा के लिए इंसानों के पापों की माफी की कीमत अदा कर दी। वह स्वर्ग में सारी सृष्टि के राजा यहोवा के सामने हाज़िर हुआ, उस जगह जो पूरे जहान की सबसे पवित्र जगह है और अपने पिता के सामने अपने फिरौती बलिदान की कीमत अदा की। (इब्रानियों 9:11,12,24) क्या यहोवा ने उसे कबूल किया?
इंसाइट-2 पेज 602-603
परिपूर्णता
मूसा का कानून किस मायने में परिपूर्ण था? मूसा के कानून के तहत याजकों को ठहराया जाता था और अलग-अलग जानवरों का बलिदान चढ़ाया जाता था। कानून इस मायने में परिपूर्ण था कि यह परमेश्वर ने दिया था। लेकिन कानून, याजकपद और बलिदानों से वे लोग परिपूर्ण नहीं हुए जो इसके अधीन थे। यह हमें प्रेषित पौलुस की बातों से पता चलता है जो उसने ईश्वर-प्रेरणा से लिखीं। (इब्र 7:11, 19; 10:1) पाप और मौत से छुड़ाने के बजाय कानून ने लोगों को और भी एहसास दिलाया कि वे पापी हैं। (रोम 3:20; 7:7-13) लेकिन परमेश्वर के ठहराए इन इंतज़ामों से यहोवा का एक मकसद पूरा हुआ। वह यह कि कानून लोगों को मसीह तक ले जाने के लिए उनकी “देखरेख करनेवाला” बना और इस तरह यह “आनेवाली अच्छी बातों” की पूर्ण “छाया” बना। (गल 3:19-25; इब्र 10:1) इसलिए जब पौलुस ने कहा, “पापी इंसानों की वजह से कानून कमज़ोर पड़ गया” (रोम 8:3), तो उसके कहने का यह मतलब था कि यहूदी महायाजक (जिसे कानून के तहत बलिदानों से जुड़े इंतज़ामों की निगरानी सौंपी गयी थी और जो प्रायश्चित के दिन बलि किए हुए जानवर का लहू लेकर परम-पवित्र भाग में दाखिल होता था) उन लोगों का “पूरी तरह उद्धार” नहीं कर पाया जो उसके पास बलिदान चढ़ाने आते थे, जैसा इब्रानियों 7:11 और 18-28 में समझाया गया है। हालाँकि हारून के याजकपद के तहत चढ़ाए गए बलिदानों से लोग परमेश्वर की नज़र में नेक ठहरते थे लेकिन कानून ने उनके पापों को पूरी तरह दूर नहीं किया। इसके बजाय, इन बलिदानों से लोगों को हमेशा यह एहसास रहता था कि वे पापी हैं। इस बारे में पौलुस ने कहा कि प्रायश्चित के बलिदान ‘परमेश्वर की उपासना करनेवालों को कभी परिपूर्ण नहीं बना सकते,’ यानी उन्हें पूरी तरह शुद्ध ज़मीर नहीं दे सकते। (इब्र 10:1-4; कृपया इब्र 9:9 से तुलना करें।) पापों से पूरी तरह छुटकारा पाने के लिए फिरौती की कीमत इतनी ज़्यादा थी कि महायाजक यह कीमत नहीं चुका पाया। यह सिर्फ हमारे याजक मसीह की सेवाओं से और उसके फिरौती बलिदान से ही मुमकिन हो पाया।—इब्र 9:14; 10:12-22.
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प्र92 3/1 पेज 31 पै 4-6, अँग्रेज़ी
पाठकों के प्रश्न
पौलुस ने कहा था कि परमेश्वर और इंसानों के बीच किए गए करारों को पक्का करने के लिए खून का बहाया जाना ज़रूरी था। यह बात हमें कानून के करार से पता चलती है। यह करार परमेश्वर और इसराएलियों के बीच किया गया था और मूसा ने एक बिचवई बनकर इस करार को लागू किया। इस वजह से मूसा ने एक अहम भूमिका निभायी। जब इसराएलियों के साथ यह करार किया जा रहा था तो वही उनकी तरफ से बात करता था। इसलिए मूसा को करार करनेवाला इंसान कहा जा सकता है। लेकिन क्या इस करार को लागू करने के लिए मूसा को अपनी जान देनी पड़ी? नहीं। मूसा की जान के बदले जानवरों का बलिदान चढ़ाया जाता था और उनका खून बहाया जाता था।—इब्रानियों 9:18-22.
नए करार के बारे में क्या कहा जा सकता है जो यहोवा और परमेश्वर के इसराएल के बीच किया गया है? यीशु मसीह इस नए करार का बिचवई है। हालाँकि यहोवा ने यह करार किया, लेकिन यह यीशु मसीह की वजह से ही लागू हो पाया। वह न सिर्फ इस करार का बिचवई है बल्कि जब वह धरती पर था तो उसने उन लोगों के साथ समय बिताया जिनके साथ सबसे पहले यह करार किया गया था। (लूका 22:20, 28, 29) यही नहीं, सिर्फ यीशु के बलिदान से यह करार पक्का किया जा सकता था, क्योंकि इसके लिए जानवरों का बलिदान नहीं बल्कि एक परिपूर्ण इंसान का बलिदान दिया जाना था। शायद इसलिए पौलुस ने मसीह को करार करनेवाला इंसान कहा। नया करार तब लागू हुआ जब ‘मसीह स्वर्ग में दाखिल हुआ इसलिए अब वह हमारी खातिर परमेश्वर के सामने हाज़िर है।’—इब्रानियों 9:12-14, 24.
हालाँकि पौलुस ने मूसा और यीशु को ‘करार करनेवाले इंसान’ कहा, लेकिन उसका यह मतलब नहीं था कि उन्होंने ये करार किए। ये करार दरअसल यहोवा ने किए थे। मूसा और यीशु ने बिचवई बनकर एक अहम भूमिका निभायी थी। दोनों करार लागू करने के लिए ज़रूरी था कि करार करनेवाले इंसान की मौत हो। मूसा की जान के बदले जानवरों का बलिदान चढ़ाया जाता था और नए करार में शामिल लोगों के लिए यीशु ने अपनी जान दी।
इंसाइट-1 पेज 249-250
बपतिस्मा
लूका ने लिखा था कि यीशु ने अपने बपतिस्मे के समय प्रार्थना की। (लूक 3:21) इसके अलावा इब्रानियों को चिट्ठी लिखनेवाले ने कहा कि जब यीशु मसीह “दुनिया में आया” (यह तब हुआ जब यीशु ने बपतिस्मा लेने के लिए खुद को पेश किया और अपनी सेवा शुरू की, न कि जब वह पैदा हुआ था क्योंकि उस वक्त वह ये शब्द नहीं पढ़ सकता था) तो जैसा भजन 40:6-8 में लिखा है, उसने कहा: ‘तूने बलिदान और चढ़ावा नहीं चाहा, मगर तूने मेरे लिए एक शरीर तैयार किया। तूने न होम-बलियों को मंज़ूर किया न पाप-बलियों को। हे परमेश्वर, देख! मैं तेरी मरज़ी पूरी करने आया हूँ (ठीक जैसे खर्रे में मेरे बारे में लिखा है)।’ (इब्र 10:5-9) यीशु जन्म से यहूदी राष्ट्र का सदस्य था और इस राष्ट्र के साथ परमेश्वर ने एक करार किया था जिसे कानून का करार कहा जाता है। (निर्ग 19:5-8; गल 4:4) इसी वजह से जब यीशु बपतिस्मा लेने के लिए यूहन्ना के पास आया तो वह पहले से ही यहोवा परमेश्वर के साथ एक करार में शामिल था। उस वक्त उसने कानून में जो करने के लिए कहा गया था उससे भी बढ़कर किया। उसने खुद को अपने पिता यहोवा की “मरज़ी” पूरी करने के लिए पेश किया जिसमें शामिल था कि वह अपना ‘तैयार किया गया शरीर’ बलिदान के तौर पर दे दे। इससे आगे चलकर जानवरों का बलिदान चढ़ाना हमेशा के लिए बंद हो जाता। इसके बारे में पौलुस ने कहा, “जिस ‘मरज़ी’ के बारे में उसने कहा, उसी के मुताबिक हमें पवित्र किया गया क्योंकि यीशु मसीह ने एक ही बार हमेशा के लिए अपना शरीर बलि कर दिया।” (इब्र 10:10) अपने पिता की मरज़ी पूरी करने में यह भी शामिल था कि यीशु राज से जुड़े काम करे। यह एक और वजह थी कि यीशु ने खुद को परमेश्वर के सामने पेश किया। (लूक 4:43; 17:20, 21) जब यीशु ने खुद को पेश किया तो यहोवा ने उसे कबूल किया और पवित्र शक्ति से उसका अभिषेक किया और कहा, “तू मेरा प्यारा बेटा है, मैंने तुझे मंज़ूर किया है।”—मर 1:9-11; लूक 3:21-23; मत 3:13-17.
16-22 सितंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | इब्रानियों 11
“विश्वास क्यों ज़रूरी है?”
यहोवा के वादों पर विश्वास कीजिए
6 बाइबल इब्रानियों 11:1 में समझाती है कि विश्वास क्या है। (पढ़िए।) इसमें दो बातें शामिल हैं: (1) विश्वास “आशा की हुई चीज़ों का पूरे भरोसे के साथ इंतज़ार करना है।” “आशा की हुई चीज़ों” में परमेश्वर के वे वादे शामिल हैं जो उसने भविष्य के बारे में किए हैं। जैसे, हमें पूरा भरोसा है कि सारी बुराइयों को खत्म किया जाएगा और नयी दुनिया आएगी। (2) विश्वास “उन असलियतों का साफ सबूत है, जो अभी दिखायी नहीं देतीं।” हालाँकि हम यहोवा परमेश्वर, यीशु मसीह, स्वर्गदूत और परमेश्वर के राज को देख नहीं सकते, फिर भी हम जानते हैं कि ये सब सचमुच में हैं। (इब्रा. 11:3) हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम परमेश्वर के वादों पर और उन अनदेखी चीज़ों पर सच में विश्वास करते हैं? हम अपने जीने के तरीके से, अपने कामों से और अपनी बातों से यह दिखा सकते हैं।
प्र13 11/1 पेज 11 पै 2-5, अँग्रेज़ी
“वह उन लोगों को इनाम देता है जो पूरी लगन से उसकी खोज करते हैं।”
यहोवा को खुश करने के लिए हमें क्या करना चाहिए? पौलुस ने लिखा, “विश्वास के बिना परमेश्वर को खुश करना नामुमकिन है।” ध्यान दीजिए कि पौलुस ने यह नहीं कहा कि परमेश्वर को खुश करना मुश्किल है बल्कि यह कहा कि परमेश्वर को खुश करना नामुमकिन है। तो इससे पता चलता है कि परमेश्वर को खुश करने के लिए विश्वास का होना बहुत ज़रूरी है।
लेकिन किस तरह का विश्वास होने से परमेश्वर खुश होता है? इसमें दो बातें शामिल हैं। पहली बात, हमें “यकीन करना होगा कि परमेश्वर सचमुच है।” एक और अनुवाद में लिखा है, “इस बात का विश्वास करे कि परमेश्वर का अस्तित्त्व है।” अगर हम परमेश्वर के वजूद पर शक करें तो हम उसे कैसे खुश कर पाएँगे? लेकिन सिर्फ इतना काफी नहीं है कि हम यह यकीन करें कि परमेश्वर है क्योंकि दुष्ट स्वर्गदूत भी यह मानते हैं। (याकूब 2:19) अगर हमारा विश्वास सच्चा होगा तो हम उसके मुताबिक काम भी करेंगे यानी इस तरह की ज़िंदगी जीएँगे जिससे परमेश्वर खुश हो।—याकूब 2:20, 26.
दूसरी बात, हमें यकीन करना चाहिए कि परमेश्वर “लोगों को इनाम देता है।” जिस इंसान का विश्वास सच्चा है उसे पूरा यकीन है कि परमेश्वर को खुश करने के लिए वह जो भी मेहनत करता है, उसका इनाम उसे ज़रूर मिलेगा। (1 कुरिंथियों 15:58) लेकिन अगर हमें लगे कि यहोवा हमें इनाम देने की काबिलीयत नहीं रखता या वह हमें इनाम देना नहीं चाहता तो हम कैसे उसे खुश कर पाएँगे? (याकूब 1:17; 1 पतरस 5:7) अगर एक व्यक्ति यह मानता है कि परमेश्वर इंसानों की परवाह या कदर नहीं करता और वह दरियादिल नहीं है, तो वह सच्चे परमेश्वर को नहीं जानता।
यहोवा किन लोगों को इनाम देता है? पौलुस ने लिखा कि वह उन्हें इनाम देता है “जो पूरी लगन से उसकी खोज करते हैं।” बाइबल के अनुवादकों के बारे में एक किताब में लिखा है, ‘पूरी लगन से खोज’ इन शब्दों के लिए जो यूनानी शब्द इस्तेमाल हुआ है उसका मतलब यह नहीं कि “ढूँढ़ने के लिए जाना” बल्कि इसका मतलब है “उपासना करने के लिए” परमेश्वर के पास आना। एक और किताब समझाती है कि यहाँ यूनानी क्रिया का जो रूप इस्तेमाल हुआ है उसका मतलब है जोश और लगन। जी हाँ, यहोवा उन लोगों को इनाम देता है जो पूरे दिल से और जोश से उसकी उपासना करते हैं।—मत्ती 22:37.
आशा की हुई चीज़ों पर अपना विश्वास मज़बूत कीजिए
10 इब्रानियों अध्याय 11 में प्रेषित पौलुस ने कहा, “स्त्रियों ने उन अपनों को वापस पाया जो मर चुके थे। और दूसरे ऐसे थे जिन्हें यातनाएँ दे-देकर मार डाला गया क्योंकि वे किसी तरह की फिरौती देकर इन यातनाओं से छुटकारा नहीं पाना चाहते थे ताकि वे एक बेहतर पुनरुत्थान पा सकें।” (इब्रा. 11:35) इन सभी लोगों ने परीक्षाओं में धीरज धरा और परमेश्वर के वफादार बने रहे क्योंकि उन्हें पुनरुत्थान के वादे पर पक्का विश्वास था। उन्हें यकीन था कि भविष्य में यहोवा उन्हें ज़िंदा करेगा और वे हमेशा-हमेशा के लिए धरती पर जीएँगे। ज़रा नाबोत और जकर्याह के बारे में सोचिए। उन्हें पत्थरों से मार डाला गया था क्योंकि उन्होंने परमेश्वर की आज्ञा मानी थी। (1 राजा 21:3, 15; 2 इति. 24:20, 21) दानिय्येल को भूखे शेरों की माँद में डाल दिया गया और उसके दोस्तों को धधकती आग में फेंक दिया गया। झूठे देवताओं के आगे झुकने के बजाय उन्हें मरना मंज़ूर था। उन्हें पूरा विश्वास था कि यहोवा उन्हें अपनी पवित्र शक्ति देगा और उन तकलीफों को सहने की ताकत देगा।—दानि. 3:16-18, 20, 28; 6:13, 16, 21-23; इब्रा. 11:33, 34.
11 मीका और यिर्मयाह जैसे कई भविष्यवक्ताओं की या तो हँसी उड़ायी गयी या उन्हें जेल में डाला गया। एलिय्याह जैसे भविष्यवक्ता “रेगिस्तानों, पहाड़ों, गुफाओं और धरती की माँदों में भटकते रहे।” फिर भी इन सबने धीरज धरा और परमेश्वर के वफादार बने रहे क्योंकि उन्होंने “आशा की हुई चीज़ों का पूरे भरोसे के साथ इंतज़ार” किया।—इब्रा. 11:1, 36-38; 1 राजा 18:13; 22:24-27; यिर्म. 20:1, 2; 28:10, 11; 32:2.
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
इंसाइट-1 पेज 804 पै 5
विश्वास
बीते ज़माने में विश्वास की मिसाल। ‘गवाहों के घने बादल’ में पौलुस ने जिन लोगों का ज़िक्र किया, उन सबका विश्वास ठोस सबूतों पर आधारित था। (इब्र 12:1) मिसाल के लिए, हाबिल परमेश्वर के इस वादे के बारे में ज़रूर जानता था कि एक “वंश” आएगा जो “साँप” का सिर कुचल देगा। इसके अलावा, यहोवा ने उसके माता-पिता को अदन बाग में जो सज़ा सुनायी थी, उसकी एक-एक बात उसने पूरी होते देखी थी। अदन बाग से बेदखल होने के बाद आदम और उसका परिवार रोटी के लिए पसीना बहाता था क्योंकि ज़मीन शापित थी और उस पर काँटे और कँटीली झाड़ियाँ उगती थीं। शायद हाबिल ने यह भी देखा होगा कि किस तरह हव्वा, आदम का साथ पाने के लिए तरसती थी और आदम उस पर हुक्म चलाता था। हव्वा ने ज़रूर हाबिल को बताया होगा कि उसके भाई-बहनों को जन्म देते वक्त वह किस तरह दर्द से तड़पती थी। यही नहीं, हाबिल ने उन करूबों को भी देखा होगा जो अदन बाग के बाहर तैनात थे और किस तरह एक तलवार लगातार घूमती थी जिससे आग की लपटें निकलती थीं। (उत 3:14-19, 24) ये सब बातें ‘साफ सबूत थीं’ जिससे हाबिल का यकीन बढ़ा कि ‘वादा किए गए वंश’ के ज़रिए ही इंसानों का उद्धार होगा। इसलिए अपना विश्वास ज़ाहिर करते हुए उसने “परमेश्वर को ऐसा बलिदान चढ़ाया” जो कैन के बलिदान से श्रेष्ठ साबित हुआ।—इब्र 11:1, 4.
“उसने परमेश्वर को खुश किया”
फिर किस मायने में “हनोक दूसरी जगह पहुँचा दिया गया ताकि वह मौत का मुँह न देखे”? यहोवा ने हनोक को शायद इस तरह मौत की नींद सुला दिया, ताकि दुश्मनों के हाथों उसकी दर्दनाक मौत न हो। लेकिन उससे पहले हनोक को “गवाही दी गयी कि उसने परमेश्वर को खुश किया है।” कैसे? हो सकता है कि अपनी मौत से ठीक पहले हनोक को परमेश्वर की तरफ से एक दर्शन मिला हो, जिसमें यह धरती एक खूबसूरत बगीचे जैसी दिख रही थी। इस तरह हनोक को भविष्य की एक झलक दिखाकर परमेश्वर ने ज़ाहिर किया कि वह हनोक की सेवा से खुश था। इसके बाद हनोक मौत की नींद सो गया। पौलुस ने हनोक और परमेश्वर से प्यार करनेवाले कुछ और स्त्री-पुरुषों के बारे में लिखा, “ये सभी लोग विश्वास रखते हुए मर गए।” (इब्रानियों 11:13) इस घटना के बाद हनोक के दुश्मनों ने उसके शरीर को ढूँढ़ा होगा, लेकिन “वह कहीं नहीं पाया गया।” यहोवा ने उसका शरीर गायब कर दिया ताकि लोग उसका अनादर न कर पाएँ या उसे पूजने न लगें।
23-29 सितंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | इब्रानियों 12-13
“परमेश्वर की शिक्षा उसके प्यार का सबूत है”
“पीछे छोड़ी हुई चीज़ों” को मुड़कर मत देखिए
18 कड़ी सलाह मिलने का दर्द। अगर हमें पहले कभी कोई कड़ी सलाह मिली है और हम उसके बारे में सोच-सोचकर दुखी या नाराज़ हो जाते हैं, तो शायद हम ‘हिम्मत हार’ बैठें। (इब्रा. 12:5) चाहे हम सलाह को “हल्की बात” समझकर ठुकरा दें या फिर पहले तो उसे कबूल कर लें लेकिन बाद में ‘हिम्मत हार’ जाएँ, नतीजा एक ही होता है। हमें सलाह से कोई फायदा नहीं पहुँचता। इसलिए अच्छा होगा कि हम सुलैमान की यह बात मानें: “शिक्षा को पकड़े रह, उसे छोड़ न दे; उसकी रक्षा कर, क्योंकि वही तेरा जीवन है।” (नीति. 4:13) जिस तरह गाड़ी चलानेवाला एक व्यक्ति सड़क के किनारे लगे निर्देशों को मानकर आगे बढ़ता जाता है, उसी तरह ज़रूरी है कि हम भी सलाह कबूल करें, उसे लागू करें और आगे बढ़ते रहें।—नीति. 4:26, 27; इब्रानियों 12:12, 13 पढ़िए।
प्र12 7/1 पेज 21 पै 3, अँग्रेज़ी
“जब भी तुम प्रार्थना करो तो कहो, हे ‘पिता’”
जो पिता अपने बच्चों से प्यार करता है वह उन्हें सिखाने के साथ-साथ सुधारता भी है क्योंकि उसे उनकी परवाह है और वह चाहता है कि जब बच्चे बड़े हो जाएँ तो वे अच्छे इंसान बनें। (इफिसियों 6:4) कभी-कभी पिता को सख्ती बरतनी पड़ती है लेकिन वह अपने बच्चों के साथ कभी कठोरता से पेश नहीं आता। यहोवा भी उस पिता कि तरह है जो ज़रूरत पड़ने पर हमें सुधारता है। लेकिन वह हमेशा प्यार से पेश आता है और हमें कभी नुकसान नहीं पहुँचाता। यीशु भी अपने पिता की तरह है। वह कभी कठोरता से पेश नहीं आया, तब भी नहीं जब उसके चेलों को उसकी सलाह पर चलने में वक्त लगा।—मत्ती 20:20-28; लूका 22:24-30.
“शिक्षा को कबूल करो और बुद्धिमान बनो”
18 जब किसी को सुधारा जाता है तो उसे दुख हो सकता है, लेकिन जो परमेश्वर की शिक्षा ठुकराता है, उसे इससे भी ज़्यादा दुख भुगतना पड़ सकता है। (इब्रा. 12:11) यह बात कैन और राजा सिदकियाह की मिसाल से साफ ज़ाहिर होती है। जब परमेश्वर ने देखा कि कैन अपने भाई से नफरत करता है और उसे जान से मार डालना चाहता है, तो उसने कैन को खबरदार किया। उसने कहा, “तू क्यों इतने गुस्से में है? तेरा मुँह क्यों उतरा हुआ है? अगर तू अच्छे काम करने लगे तो क्या मैं तुझे मंज़ूर नहीं करूँगा? लेकिन अगर तू अच्छाई की तरफ न फिरे, तो जान ले कि पाप तुझे धर-दबोचने के लिए दरवाज़े पर घात लगाए बैठा है। इसलिए तू पाप करने की इच्छा को काबू में कर ले।” (उत्प. 4:6, 7) कैन ने यहोवा की बात अनसुनी कर दी। उसने यहोवा की शिक्षा ठुकरा दी और अपने भाई का खून कर दिया। उसे ज़िंदगी-भर इसका भयानक अंजाम भुगतना पड़ा। (उत्प. 4:11, 12) अगर कैन ने यहोवा की बात मानी होती, तो उसे यह दुख नहीं झेलना पड़ता।
धीरज से दौड़ते रहिए
11 ‘गवाहों के घने बादल’ में जिनका ज़िक्र किया गया है, वे सिर्फ दर्शक नहीं थे जो अपने मनपसंद खिलाड़ी या टीम को जीतते हुए देखना चाहते थे। इसके बजाय वे इस दौड़ में हिस्सा ले रहे थे और उन्होंने धीरज के साथ इस दौड़ को पूरा भी किया। हालाँकि अब उनकी मौत हो चुकी है मगर उनकी तुलना मँजे हुए खिलाड़ियों से की जा सकती है जिनके उदाहरण से नए धावकों का जोश बढ़ सकता है। कल्पना कीजिए, अगर खिलाड़ी को यह पता चले कि कुछ कामयाब धावक उसे देख रहे हैं तो उसे कैसा लगेगा। क्या उसे अपना भरसक करने या उससे भी बढ़कर करने का हौसला नहीं मिलेगा? उन प्राचीन धावकों ने इस बात को पुख्ता कर दिया कि यह लाक्षणिक दौड़ चाहे कितनी ही मुश्किल क्यों न हो मगर वह जीती जा सकती है। इसलिए ‘गवाहों के घने बादल’ को मन में रखने से पहली सदी के इब्रानी मसीहियों को हौसला मिला और वे ‘धीरज से दौड़’ सके। आज हम भी ऐसा कर सकते हैं।
ऐसे बलिदान चढ़ाइए जिनसे परमेश्वर खुश होता है
10 इब्रानी मसीहियों को खबरदार रहना था कि वे ‘तरह-तरह की परायी शिक्षाओं से गुमराह न हों’ जो कुछ यहूदी सिखाते थे। (गलातियों 5:1-6) ऐसी शिक्षाओं से अपना दिल मज़बूत करने के बजाय उन्हें ‘परमेश्वर की महा-कृपा से दिल को मज़बूत करना था’ जिससे वे सच्चाई में अटल बने रह पाते। कुछ मसीही खानों और बलिदानों को लेकर बहस करते थे लेकिन पौलुस ने कहा कि एक मसीही का दिल, खाने से मज़बूत नहीं होता और इससे “उन लोगों को फायदा नहीं होता जो उसमें लगे रहते हैं।” हमें फायदा तभी होगा जब हम परमेश्वर की भक्ति करेंगे और फिरौती के लिए अपनी कदरदानी दिखाएँगे, न की खास तरह के खाना खाने से और खास दिनों को मनाने से। (रोमियों 14:5-9) यही नहीं, मसीह के बलिदान की वजह से लेवियों के ज़रिए चढ़ाए जानेवाले बलिदानों की ज़रूरत नहीं रही।—इब्रानियों 9:9-14; 10:5-10.
30 सितंबर–6 अक्टूबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | याकूब 1-2
“पाप और मौत की राह पर जाने से खबरदार रहिए”
लुभाया जाना
लुभाए जाने का मतलब है, कोई गलत काम करने की इच्छा होना। ज़रा इस बारे में सोचिए। आप बाज़ार गए हैं और वहाँ आपको एक चीज़ बहुत पसंद आ जाती है। आपका मन करता है कि आप इसे चुरा लें और आपको लगता है कि आप पकड़े भी नहीं जाएँगे। लेकिन आपका विवेक कहता है कि नहीं, यह सही नहीं है। आप फौरन मन से वह खयाल निकाल देते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। इस मामले में आप लुभाए तो गए, लेकिन आपने गलत काम नहीं किया, आप जीत गए!
पवित्र शास्त्र क्या कहता है?
लुभाए जाने का मतलब यह नहीं कि आप बुरे हैं। पवित्र शास्त्र बाइबल में लिखा है कि हर किसी पर परीक्षा आती है। (1 कुरिंथियों 10:13) जो बात मायने रखती है, वह यह कि लुभाए जाने पर आप क्या करते हैं। कुछ लोग बुरे खयाल मन में पनपने देते हैं और एक-न-एक दिन गलत काम कर बैठते हैं। वहीं कुछ लोग उसे तुरंत मन से निकाल देते हैं।
“हर किसी की इच्छा उसे खींचती और लुभाती है, जिससे वह परीक्षा में पड़ता है।”—याकूब 1:14.
लुभाया जाना
पवित्र शास्त्र में बताया गया है कि किस तरह एक इंसान गलत काम कर बैठता है। याकूब 1:15 में लिखा है, “[बुरी] इच्छा गर्भवती होती है और पाप को जन्म देती है।” इसका मतलब है कि बुरी इच्छाओं के बारे में सोचते रहने से हमारे अंदर गलत काम करने की इच्छा बढ़ जाती है। यह इच्छा इतनी ज़बरदस्त हो सकती है कि हमारा गलत काम करना तय है, ठीक जैसे एक गर्भवती स्त्री को बच्चा होना तय है। लेकिन हम बुरी इच्छाओं के गुलाम होने से बच सकते हैं, हम इन्हें काबू में कर सकते हैं।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
इंसाइट-2 पेज 253-254
ज्योति
यहोवा ‘आकाश की ज्योतियों का पिता’ है। (याकू 1:17) उसने ‘दिन की रौशनी के लिए सूरज बनाया और रात की रौशनी के लिए चाँद-सितारों के नियम ठहराए।’ (यिर्म 31:35) यही नहीं, सच्चाई की तेज़ रौशनी भी वही चमका रहा है। (2कुर 4:6) उसके कानून, न्याय-सिद्धांत और उसका वचन ज्योति की तरह हमें राह दिखाते हैं। (भज 43:3; 119:105; नीत 6:23; यश 51:4) भजन के एक लेखक ने लिखा, “तेरी रौशनी से हमें रौशनी मिलती है।” (भज 36:9; कृपया 27:1; 43:3 से तुलना करें) जिस तरह सूरज की रौशनी का तेज “दिन चढ़ने के साथ-साथ बढ़ता जाता है” उसी तरह नेक जनों की राह परमेश्वर की बुद्धि से रौशन होती जाती है। (नीत 4:18) अगर हम यहोवा की बतायी राह पर चलेंगे तो हम उसकी रौशनी में चल रहे होंगे। (यश 2:3-5) वहीं दूसरी तरफ अगर एक इंसान किसी चीज़ को गलत नज़र या गलत इरादे से देखता है तो वह मानो सच्चाई की रौशनी में नहीं, बल्कि घोर अंधकार में है। यीशु ने कहा था, “अगर तेरी आँखों में ईर्ष्या भरी है, तो तेरा सारा शरीर अंधकार से भर जाएगा। अगर शरीर को रौशन करनेवाली तेरी आँख ही अँधेरे में हो, तो तू कितने गहरे अंधकार में होगा!”—मत 6:23; कृपया व्य 15:9; 28:54-57; नीत 28:22; 2पत 2:14 से तुलना करें।
इंसाइट-2 पेज 222 पै 4
नियम
“शाही नियम।” (याकू 2:8) जिस तरह एक राजा का लोगों में सबसे ज़्यादा मान-सम्मान होता है, वैसे ही “शाही नियम” भी उन नियमों से सबसे ज़्यादा मायने रखता है और श्रेष्ठ है, जो इंसानी रिश्तों के मामले में दिए जाते हैं। कानून व्यवस्था प्यार पर आधारित थी; और इस कानून में दूसरी आज्ञा थी, “तुम अपने पड़ोसी से वैसे ही प्यार करना जैसे तुम खुद से करते हो” (जो शाही नियम है)। इस पर और इसी से जुड़ी पहली आज्ञा पर पूरा कानून और भविष्यवक्ताओं की शिक्षाएँ आधारित थीं। (मत 22:37-40) यह सच है कि मसीही, कानून व्यवस्था के अधीन नहीं हैं, लेकिन नए करार के तहत वे अपने राजा यहोवा और उसके बेटे और राजा, यीशु मसीह के कानून के अधीन हैं।
इंसाइट-1 पेज 1113 पै 4-5
यीशु मसीह का महायाजकपद। इब्रानियों की किताब में बताया गया है कि जब यीशु मसीह को दोबारा ज़िंदा किया गया और वह स्वर्ग लौटा तब वह “हमेशा के लिए एक महायाजक बना ताकि वह मेल्कीसेदेक जैसा याजक हो।” (इब्र 6:20; 7:17, 21) यह बताने के लिए कि मसीह का याजकपद हारून के याजकपद से महान और श्रेष्ठ है, पौलुस समझाता है कि मेल्कीसेदेक को खुद परम-प्रधान परमेश्वर ने राजा और याजक ठहराया था। मेल्कीसेदेक को ये पद विरासत में नहीं मिले थे। उसी तरह, मसीह यीशु को भी याजकपद विरासत में नहीं मिला था, क्योंकि वह न तो लेवी गोत्र से था न ही हारून के खानदान से था, जिसके वंशजों को विरासत में महायाजक पद मिलता था। वह यहूदा गोत्र से था और दाविद का वंशज था। मेल्कीसेदेक की तरह, उसे भी सीधे परमेश्वर ने याजक ठहराया था। (इब्र 5:10) भजन 110:4 में लिखा है, “यहोवा ने शपथ खाकर यह वादा किया है और जो उसने सोचा है उसे नहीं बदलेगा, ‘तू मेल्कीसेदेक जैसा याजक है और तू हमेशा-हमेशा के लिए याजक रहेगा!’” इस वादे के मुताबिक मसीह को स्वर्ग में राजा और याजक, दोनों ठहराया गया है। इसके अलावा, दाविद का वंशज होने के नाते उसे राज-अधिकार भी दिया गया है और वह उस राज का वारिस बना, जिसका वादा दाविद से किए गए करार में किया गया था। (2शम 7:11-16) इन कारणों से यीशु मसीह, राजा और महायाजक दोनों है, ठीक जैसे मेल्कीसेदेक था।
एक और मायने में मसीह का महायाजकपद श्रेष्ठ है। मेल्कीसेदेक लेवियों से बड़ा था क्योंकि लेवियों के कुलपिता अब्राहम ने मेल्कीसेदेक को दसवाँ हिस्सा दिया और बदले में उससे आशीष पायी। बड़ा, छोटे को आशीर्वाद देता है, इसलिए मेल्कीसेदेक लेवियों के कुलपिता अब्राहम से बड़ा या श्रेष्ठ है। (इब्र 7:4-10) यीशु मसीह, मेल्कीसेदेक जैसा याजक है। इसलिए कहा जा सकता है कि मसीह का महायाजकपद लेवियों के वंशजों को मिले याजकपद से बेहतर है। प्रेषित पौलुस ने मेल्कीसेदेक के बारे में यह भी कहा कि “उसका न तो कोई पिता, न कोई माँ, न ही कोई वंशावली है। उसके दिनों की न तो कोई शुरूआत है, न ही उसके जीवन का अंत।” इसलिए मेल्कीसेदेक का याजकपद, यीशु मसीह के हमेशा तक रहनेवाले याजकपद को दर्शाता है। वह इस मायने में कि यीशु को दोबारा ज़िंदा किए जाने के बाद “अविनाशी जीवन” दिया गया।—इब्र 7:3, 15-17.
इंसाइट-1 पेज 629
जब यहोवा हमें आज़माइशों से गुज़रने देता है, तो यह एक तरह से हमारे लिए प्रशिक्षण पाने या सुधरने का मौका होता है। इसकी वजह से हम शांति और नेकी जैसे गुण बढ़ा पाते हैं। (इब्र 12:4-11) परमेश्वर ने यीशु को भी आज़माइशों से गुज़रने दिया था, जिस वजह से यीशु करुणा दिखानेवाला महायाजक बना जो हमसे हमदर्दी रख सकता है।—इब्र 4:15.