जब यीशु राज्य महिमा में आता है
“जो यहां खड़े हैं, उन में से कितने . . . जब तक मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते न देख लेंगे, तब तक मृत्यु का स्वाद कभी न चखेंगे।”—मत्ती १६:२८.
१, २. सामान्य युग ३२ के पिन्तेकुस्त के कुछ ही समय बाद क्या हुआ, और उस घटना का क्या उद्देश्य था?
सामान्य युग ३२ के पिन्तेकुस्त के कुछ ही समय बाद, यीशु मसीह के तीन प्रेरितों ने एक स्मरणीय दर्शन देखा। उत्प्रेरित अभिलेख के अनुसार, “यीशु ने पतरस और याकूब और उसके भाई यूहन्ना को साथ लिया, और उन्हें एकान्त में किसी ऊंचे पहाड़ पर ले गया। और उन के साम्हने उसका रूपान्तर हुआ।”—मत्ती १७:१, २.
२ रूपांतरण दर्शन एक महत्त्वपूर्ण समय पर मिला। यीशु ने अपने अनुयायियों को यह बताना शुरू कर दिया था कि वह दुःख उठाएगा और यरूशलेम में मारा जाएगा, लेकिन उन्हें उसके शब्द समझना कठिन लगा। (मत्ती १६:२१-२३) इस दर्शन ने यीशु के तीन प्रेरितों का विश्वास मज़बूत किया। इसने उन्हें यीशु की समीप आती मृत्यु के लिए और सालों तक कड़ी मेहनत और मसीही कलीसिया पर आनेवाली परीक्षा के लिए भी तैयार किया। क्या आज हम इस दर्शन से कुछ सीख सकते हैं? जी हाँ, क्योंकि इसने जो पूर्वसूचित किया वह असल में हमारे समय में घटित होता है।
३, ४. (क) रूपांतरण से छः दिन पहले यीशु ने क्या कहा? (ख) वर्णन कीजिए कि रूपांतरण के दौरान क्या हुआ।
३ रूपांतरण से छः दिन पहले, यीशु ने अपने अनुयायियों से कहा: “मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा, और उस समय वह हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा।” इन शब्दों को “रीति-व्यवस्था की समाप्ति” में पूरा होना था। यीशु ने आगे कहा: “मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो यहां खड़े हैं, उन में से कितने ऐसे हैं; कि जब तक मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते हुए न देख लेंगे, तब तक मृत्यु का स्वाद कभी न चखेंगे।” (मत्ती १६:२७, २८; २४:३, NW; २५:३१-३४, ४१; दानिय्येल १२:४) रूपांतरण इन आख़िरी शब्दों की पूर्ति में हुआ।
४ उन तीन प्रेरितों ने असल में क्या देखा? उस घटना के बारे में लूका का वर्णन इस प्रकार है: “जब [यीशु] प्रार्थना कर ही रहा था, तो उसके चेहरे का रूप बदल गया: और उसका वस्त्र श्वेत होकर चमकने लगा। और देखो, मूसा और एलिय्याह, ये दो पुरुष उसके साथ बातें कर रहे थे। ये महिमा सहित दिखाई दिए; और उसके मरने की चर्चा कर रहे थे, जो यरूशलेम में होनेवाला था।” फिर, “एक बादल ने आकर [प्रेरितों को] छा लिया, और जब वे उस बादल से घिरने लगे, तो डर गए। और उस बादल में से यह शब्द निकला, कि यह मेरा पुत्र और मेरा चुना हुआ है, इस की सुनो।”—लूका ९:२९-३१, ३४, ३५.
विश्वास मज़बूत होता है
५. रूपांतरण का प्रेरित पतरस पर क्या प्रभाव हुआ?
५ प्रेरित पतरस ने पहले ही यीशु को “जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह” कहकर उसकी पहचान करायी थी। (मत्ती १६:१६) स्वर्ग से यहोवा की वाणी ने उस पहचान की पुष्टि की, और यीशु के रूपांतर का दर्शन मसीह के राज्यसत्ता और महिमा में आने की एक झलक था, जब वह अंततः मानवजाति का न्याय करता। रूपांतरण के ३० से अधिक सालों बाद, पतरस ने लिखा: “जब हम ने तुम्हें अपने प्रभु यीशु मसीह की सामर्थ का, और आगमन का समाचार दिया था तो वह चतुराई से गढ़ी हुई कहानियों का अनुकरण नहीं किया था बरन हम ने आप ही उसके प्रताप को देखा था। कि उस ने परमेश्वर पिता से आदर, और महिमा पाई जब उस प्रतापमय महिमा में से यह वाणी आई कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं प्रसन्न हूं। और जब हम उसके साथ पवित्र पहाड़ पर थे, तो स्वर्ग से यही वाणी आते सुना।”—२ पतरस १:१६-१८; १ पतरस ४:१७.
६. रूपांतरण के बाद घटनाओं का क्रम कैसे चला?
६ उन तीन प्रेरितों ने जो देखा उससे आज, हमारा भी विश्वास मज़बूत होता है। निःसंदेह, सा.यु. ३२ से घटनाओं का क्रम आगे बढ़ा है। उसके अगले साल, यीशु की मृत्यु और फिर पुनरुत्थान हुआ, और वह स्वर्ग में अपने पिता के दाहिने हाथ जा बैठा। (प्रेरितों २:२९-३६) उस साल के पिन्तेकुस्त पर, नया ‘परमेश्वर का इस्राएल’ जन्मा, और प्रचार अभियान शुरू हुआ, जो यरूशलेम से शुरू हुआ और बाद में पृथ्वी की छोर तक फैल गया। (गलतियों ६:१६; प्रेरितों १:८) लगभग तुरंत ही यीशु के अनुयायियों के विश्वास की परीक्षा हुई। प्रेरितों को गिरफ़्तार किया गया और बुरी तरह से पीटा गया क्योंकि उन्होंने प्रचार बंद करने से इनकार कर दिया। जल्द ही स्तिफनुस की हत्या की गयी। फिर रूपांतरण के एक चश्मदीद गवाह, याकूब को मार डाला गया। (प्रेरितों ५:१७-४०; ६:८-७:६०; १२:१, २) लेकिन, पतरस और यूहन्ना बच निकले और आगे बहुत सालों तक वफ़ादारी से यहोवा की सेवा की। असल में, सा.यु. प्रथम शताब्दी के अंत के निकट, यूहन्ना ने दर्शन में प्राप्त यीशु की स्वर्गीय महिमा की और भी झलकियों को रिकॉर्ड किया।—प्रकाशितवाक्य १:१२-२०; १४:१४; १९:११-१६.
७. (क) रूपांतरण दर्शन की पूर्ति कब शुरू हुई? (ख) यीशु ने कब कुछ लोगों को उनके कामों के अनुसार प्रतिफल दिया?
७ वर्ष १९१४ में “प्रभु के दिन” के आरंभ से, यूहन्ना द्वारा देखे गए कई दर्शन पूरे हुए हैं। (प्रकाशितवाक्य १:१०) यीशु का ‘अपने पिता की महिमा में आने’ के बारे में क्या, जिसका पूर्वसंकेत रूपांतरण ने किया? यह दर्शन १९१४ में परमेश्वर के स्वर्गीय राज्य के जन्म के साथ पूरा होना शुरू हुआ। जब यीशु भोर के तारे की तरह, नए-नए सिंहासनारूढ़ राजा के रूप में विश्व-पटल पर प्रकट हुआ, वह मानो एक नए दिन की सुबह थी। (२ पतरस १:१९; प्रकाशितवाक्य ११:१५; २२:१६) क्या उस समय यीशु ने कुछ लोगों को उनके कामों के अनुसार प्रतिफल दिया? जी हाँ। इसका शक्तिशाली प्रमाण है कि उसके कुछ ही समय बाद, अभिषिक्त मसीहियों का स्वर्गीय पुनरुत्थान शुरू हो गया।—२ तीमुथियुस ४:८; प्रकाशितवाक्य १४:१३.
८. कौन-सी घटनाएँ रूपांतरण दर्शन की पूर्ति की समाप्ति को चिन्हित करेंगी?
८ लेकिन, जल्द ही यीशु पूरी मानवजाति का न्याय करने के लिए “अपनी महिमा में आएगा, और सब स्वर्ग दूत उसके साथ आएंगे।” (मत्ती २५:३१) उस समय, वह अपने आपको अपनी सारी भव्य महिमा में प्रकट करेगा और “हर एक” को उसके कामों के अनुसार योग्य प्रतिफल देगा। भेड़-समान लोग उनके लिए तैयार किए गए राज्य में अनंत जीवन के वारिस होंगे, और बकरी-समान लोग “अनन्त दण्ड” भोगेंगे। वह रूपांतरण दर्शन की पूर्ति का क्या ही उत्कृष्ट समापन होगा!—मत्ती २५:३४, ४१, ४६; मरकुस ८:३८; २ थिस्सलुनीकियों १:६-१०.
यीशु के महिमा-प्राप्त साथी
९. क्या हमें अपेक्षा करनी चाहिए कि रूपांतरण दर्शन की पूर्ति में मूसा और एलिय्याह यीशु के साथ हों? समझाइए।
९ रूपांतरण में यीशु अकेला नहीं था। उसके साथ मूसा और एलिय्याह दिखायी दिए। (मत्ती १७:२, ३) क्या वे सचमुच उपस्थित थे? जी नहीं, क्योंकि वे दोनों पुरुष लंबे अरसे पहले मर चुके थे और पुनरुत्थान की प्रतीक्षा में मिट्टी में सो रहे थे। (सभोपदेशक ९:५, १०; इब्रानियों ११:३५) क्या वे यीशु के साथ आएँगे जब वह स्वर्गीय महिमा में आता है? जी नहीं, क्योंकि मूसा और एलिय्याह मनुष्यों के लिए स्वर्गीय आशा के खुलने से पहले मर चुके थे। वे ‘धर्मियों’ के पार्थिव “पुनरुत्थान” का भाग होंगे। (प्रेरितों २४:१५, NHT) सो रूपांतरण दर्शन में उनकी उपस्थिति लाक्षणिक है। किस बात की?
१०, ११. भिन्न प्रसंगों में एलिय्याह और मूसा ने किसको चित्रित किया?
१० अन्य प्रसंगों में, मूसा और एलिय्याह भविष्यसूचक व्यक्ति हैं। व्यवस्था वाचा के मध्यस्थ के रूप में मूसा ने यीशु, नयी वाचा के मध्यस्थ को पूर्वसूचित किया। (व्यवस्थाविवरण १८:१८; गलतियों ३:१९; इब्रानियों ८:६) एलिय्याह ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले, मसीहा के एक अग्रदूत को पूर्वसूचित किया। (मत्ती १७:११-१३) इसके अलावा, प्रकाशितवाक्य अध्याय ११ के संदर्भ में, मूसा और एलिय्याह अंत के समय में अभिषिक्त शेषवर्ग को पूर्वसूचित करते हैं। यह हम कैसे जानते हैं?
११ प्रकाशितवाक्य ११:१-६ खोलिए। आयत ३ में हम पढ़ते हैं: “मैं अपने दो गवाहों को यह अधिकार दूंगा, कि टाट ओढे हुए एक हजार दो सौ साठ दिन तक भविष्यद्वाणी करें।” यह भविष्यवाणी प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अभिषिक्त मसीहियों के शेषवर्ग पर पूरी हुई।a दो गवाह क्यों? क्योंकि अभिषिक्त शेषजन वे कार्य करते हैं जो, आध्यात्मिक रूप से, मूसा और एलिय्याह के कार्यों के जैसे हैं। आयत ५ और ६ आगे कहती हैं: “यदि कोई उन [दो गवाहों] को हानि पहुंचाना चाहता है, तो उन के मुंह से आग निकलकर उन के बैरियों को भस्म करती है, और यदि कोई उन को हानि पहुंचाना चाहेगा, तो अवश्य इसी रीति से मार डाला जाएगा। इन्हें अधिकार है, कि आकाश को बन्द करें, कि उन की भविष्यद्वाणी के दिनों में मेंह न बरसे, और उन्हें सब पानी पर अधिकार है, कि उसे लोहू बनाएं, और जब जब चाहें तब तब पृथ्वी पर हर प्रकार की आपत्ति लाएं।” इस प्रकार, हमें एलिय्याह और मूसा के चमत्कारों का स्मरण कराया जाता है।—गिनती १६:३१-३४; १ राजा १७:१; २ राजा १:९-१२.
१२. रूपांतरण के प्रसंग में, मूसा और एलिय्याह किसको चित्रित करते हैं?
१२ तो फिर, रूपांतरण के प्रसंग में मूसा और एलिय्याह किसको पूर्वसूचित करते हैं? लूका कहता है कि वे यीशु के साथ “महिमा सहित” दिखायी दिए। (लूका ९:३१) स्पष्टतया, वे उन मसीहियों को पूर्वसूचित करते हैं जो यीशु के साथ ‘संगी वारिसों’ के रूप में पवित्र आत्मा से अभिषिक्त किए गए हैं और इस कारण जिन्हें “उसके साथ महिमा” पाने की अद्भुत आशा मिली है। (रोमियों ८:१७) पुनरुत्थित अभिषिक्त जन यीशु के साथ होंगे जब वह “हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल” देने के लिए अपने पिता की महिमा में आता है।—मत्ती १६:२७.
मूसा और एलिय्याह के समान गवाह
१३. कौन-से पहलू चिन्हित करते हैं कि मूसा और एलिय्याह यीशु के साथ महिमा-प्राप्त उसके अभिषिक्त संगी वारिसों के उपयुक्त भविष्यसूचक प्रतिरूप थे?
१३ कुछ उल्लेखनीय पहलू हैं जो चिन्हित करते हैं कि मूसा और एलिय्याह यीशु के अभिषिक्त संगी वारिसों के भविष्यसूचक प्रतिरूप थे। मूसा और एलिय्याह दोनों ने अनेक सालों तक यहोवा के प्रवक्ताओं के रूप में कार्य किया। दोनों ने एक शासक के क्रोध का सामना किया। ज़रूरत के समय में, दोनों को एक विजातीय परिवार ने सहारा दिया। दोनों ने राजाओं के सम्मुख साहस के साथ भविष्यवाणी की और झूठे भविष्यवक्ताओं के विरुद्ध दृढ़ रहे। मूसा और एलिय्याह दोनों ने सीनै पर्वत (होरेब भी कहलाता है) पर यहोवा की शक्ति के प्रकटन देखे। दोनों ने यरदन की पूर्वी ओर उत्तराधिकारियों को नियुक्त किया। और यीशु के जीवनकाल में हुए चमत्कारों को छोड़, (यहोशू के साथ) मूसा तथा (एलीशा के साथ) एलिय्याह दोनों के दिनों में सबसे अधिक चमत्कार हुए।b
१४. अभिषिक्त जनों ने मूसा और एलिय्याह के समान, यहोवा के प्रवक्ता के रूप में कैसे कार्य किया है?
१४ क्या यह सब हमें परमेश्वर के इस्राएल का स्मरण नहीं कराता? जी हाँ, कराता है। यीशु ने अपने वफ़ादार अनुयायियों से कहा: “इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रात्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं।” (मत्ती २८:१९, २०) इन शब्दों का पालन करते हुए, अभिषिक्त मसीहियों ने सा.यु. ३३ के पिन्तेकुस्त से अब तक यहोवा के प्रवक्ता के रूप में कार्य किया है। मूसा और एलिय्याह के समान, उन्होंने शासकों के क्रोध का सामना किया है और उन्हें गवाही दी है। यीशु ने अपने १२ प्रेरितों से कहा: “तुम मेरे लिये हाकिमों और राजाओं के साम्हने उन पर, और अन्यजातियों पर गवाह होने के लिये पहुंचाए जाओगे।” (मत्ती १०:१८) मसीही कलीसिया के इतिहास के दौरान उसके शब्द बारंबार पूरे हुए हैं।—प्रेरितों २५:६, ११, १२, २४-२७; २६:३.
१५, १६. एक ओर अभिषिक्त जन और दूसरी ओर मूसा और एलिय्याह के बीच क्या समानताएँ हैं (क) सत्य के लिए निडरता से खड़े होने के मामले में? (ख) ग़ैर-इस्राएलियों से मदद पाने के मामले में?
१५ इसके अलावा, अभिषिक्त मसीही धार्मिक झूठ के विरुद्ध सत्य के लिए खड़े होने में मूसा और एलिय्याह के समान निडर रहे हैं। याद कीजिए कि कैसे पौलुस ने यहूदी झूठे भविष्यवक्ता बार-यीशु की भर्त्सना की और व्यवहार-कुशलता से परंतु दृढ़ता के साथ अथेनेवासियों के देवताओं की झुठाई का परदाफ़ाश किया। (प्रेरितों १३:६-१२; १७:१६, २२-३१) यह भी याद रखिए कि आधुनिक समय में अभिषिक्त शेषवर्ग ने साहस के साथ मसीहीजगत का परदाफ़ाश किया है और ऐसी गवाही ने उसे पीड़ित किया है।—प्रकाशितवाक्य ८:७-१२.c
१६ जब मूसा फ़िरौन के क्रोध से बचने के लिए भागा, तब उसे रूएल नामक एक ग़ैर-इस्राएली, जिसे यित्रो भी कहा जाता है, के घर में शरण मिली। बाद में, मूसा को रूएल से मूल्यवान संगठनात्मक सलाह मिली, जिसके पुत्र होबाब ने इस्राएल को वीराने में मार्ग दिखाया।d (निर्गमन २:१५-२२; १८:५-२७; गिनती १०:२९) क्या इसी प्रकार परमेश्वर के इस्राएल के सदस्यों को ऐसे व्यक्तियों से मदद मिली है जो परमेश्वर के इस्राएल के अभिषिक्त सदस्य नहीं हैं? जी हाँ, उन्हें ‘अन्य भेड़ों’ की “बड़ी भीड़” ने समर्थन दिया है, जो इन अंतिम दिनों में सामने आयी है। (प्रकाशितवाक्य ७:९; यूहन्ना १०:१६, NW; यशायाह ६१:५) ये “भेड़ें” उसके अभिषिक्त भाइयों को जो स्नेही, प्रेममय समर्थन देतीं, उसे पूर्वबताते हुए यीशु ने उनसे भविष्यसूचक शब्दों में कहा: “मैं भूखा था, और तुम ने मुझे खाने को दिया; मैं पियासा था, और तुम ने मुझे पानी पिलाया, मैं परदेशी था, तुम ने मुझे अपने घर में ठहराया। मैं नंगा था, तुम ने मुझे कपड़े पहिनाए; मैं बीमार था, तुम ने मेरी सुधि ली, मैं बन्दीगृह में था, तुम मुझ से मिलने आए। . . . मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया।”—मत्ती २५:३५-४०.
१७. अभिषिक्त जनों को उससे मिलता-जुलता अनुभव कैसे हुआ जो होरेब पर्वत पर एलिय्याह को हुआ?
१७ इसके अलावा, परमेश्वर के इस्राएल को उसी समान अनुभव हुआ जो एलिय्याह को होरेब पर्वत पर हुआ।e रानी ईज़ेबेल से दूर भागते समय एलिय्याह की तरह, भयभीत अभिषिक्त शेषवर्ग ने सोचा कि प्रथम विश्व युद्ध के अंत में उनका काम पूरा हो चुका है। तब, एलिय्याह के समान ही, उनका यहोवा के साथ संपर्क हुआ, जो उन संगठनों का न्याय करने आया था जो ‘परमेश्वर का घर’ होने का दावा करते थे। (१ पतरस ४:१७, फुटनोट; मलाकी ३:१-३) जबकि मसीहीजगत खरा नहीं उतरा, अभिषिक्त शेषवर्ग को “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के रूप में स्वीकार किया गया और यीशु की सारी पार्थिव संपत्ति पर सरदार नियुक्त किया गया। (मत्ती २४:४५-४७) होरेब में, एलिय्याह ने “एक दबा हुआ धीमा शब्द” सुना जो यहोवा का शब्द साबित हुआ। उसे और काम करने को दिया गया। युद्ध-उपरांत सालों की मंद अवधि में, यहोवा के वफ़ादार अभिषिक्त सेवकों ने बाइबल के पन्नों से उसका शब्द सुना। उनको भी समझ आया कि उन्हें एक नियुक्ति पूरी करनी है।—१ राजा १९:४, ९-१८; प्रकाशितवाक्य ११:७-१३.
१८. परमेश्वर के इस्राएल के माध्यम से यहोवा की शक्ति के उत्कृष्ट प्रकटन कैसे हुए हैं?
१८ अंततः, क्या परमेश्वर के इस्राएल के माध्यम से यहोवा की शक्ति के उत्कृष्ट प्रकटन हुए हैं? यीशु की मृत्यु के बाद, प्रेरितों ने अनेक चमत्कार किए, लेकिन धीरे-धीरे ये जाते रहे। (१ कुरिन्थियों १३:८-१३) आजकल, हम भौतिक अर्थ में चमत्कार नहीं देखते। दूसरी ओर, यीशु ने अपने अनुयायियों से कहा: “मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो मुझ पर विश्वास रखता है, ये काम जो मैं करता हूं वह भी करेगा, बरन इन से भी बड़े काम करेगा।” (यूहन्ना १४:१२) इसकी आरंभिक पूर्ति हुई जब यीशु के शिष्यों ने प्रथम शताब्दी में पूरे रोमी साम्राज्य में सुसमाचार का प्रचार किया। (रोमियों १०:१८) आज उससे भी बड़े काम हुए हैं जब अभिषिक्त शेषवर्ग ने “सारे जगत में” सुसमाचार के प्रचार को आगे बढ़ाया है “कि सब जातियों पर गवाही हो।” (मत्ती २४:१४) परिणाम? इस २०वीं शताब्दी ने इतिहास में यहोवा के समर्पित, वफ़ादार सेवकों की सबसे बड़ी संख्या को एकत्र होते देखा है। (प्रकाशितवाक्य ५:९, १०; ७:९, १०) यहोवा की शक्ति का क्या ही भव्य प्रमाण!—यशायाह ६०:२२.
यीशु के भाई महिमा में आते हैं
१९. यीशु के अभिषिक्त भाई कब उसके साथ महिमा में देखे जाते हैं?
१९ जैसे-जैसे यीशु के अभिषिक्त भाइयों के शेषजन अपना पार्थिव जीवन पूरा करते हैं, वे उसके साथ महिमा प्राप्त करते हैं। (रोमियों २:६, ७; १ कुरिन्थियों १५:५३; १ थिस्सलुनीकियों ४:१४, १७) अतः वे स्वर्गीय राज्य में अमर राजा और याजक बन जाते हैं। यीशु के साथ, तब वे ‘लोहे का राजदण्ड लिए हुए जातियों पर राज्य करेंगे, जिस प्रकार कुम्हार के मिट्टी के बरतन चकनाचूर हो जाते हैं’ उनको चूर करेंगे। (प्रकाशितवाक्य २:२७; २०:४-६; भजन ११०:२, ५, ६) यीशु के साथ, वे सिंहासनों पर बैठकर “इस्राएल के बारह गोत्रों” का न्याय करेंगे। (मत्ती १९:२८) कहरती सृष्टि ने उत्सुकता से इन घटनाओं की प्रतीक्षा की है, जो “परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने” का हिस्सा हैं।—रोमियों ८:१९-२१; २ थिस्सलुनीकियों १:६-८.
२०. (क) किस प्रत्याशा के संबंध में रूपांतरण ने पतरस के विश्वास को मज़बूत किया? (ख) रूपांतरण आज मसीहियों को कैसे मज़बूत करता है?
२० पौलुस ने “भारी क्लेश” के दौरान यीशु के प्रकटन के बारे में कहा जब उसने लिखा: “वह अपने पवित्र लोगों में महिमा पाने, और सब विश्वास करनेवालों में आश्चर्य का कारण होने को आएगा।” (मत्ती २४:२१; २ थिस्सलुनीकियों १:१०) यह पतरस, याकूब, यूहन्ना और सभी आत्मा-अभिषिक्त मसीहियों के लिए क्या ही भव्य प्रत्याशा है! रूपांतरण ने पतरस के विश्वास को मज़बूत किया। निश्चित ही, इसके बारे में पढ़ना हमारे विश्वास को भी मज़बूत करता है और हमारे भरोसे को दृढ़ करता है कि यीशु जल्द ही “हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल” देगा। वफ़ादार अभिषिक्त मसीही जो इस समय तक पृथ्वी पर हैं अपने भरोसे को पक्का होते देखते हैं कि वे यीशु के साथ महिमा प्राप्त करेंगे। अन्य भेड़ों का विश्वास इस ज्ञान से मज़बूत होता है कि वह उन्हें इस दुष्ट रीति-व्यवस्था के अंत से बचाकर शानदार नए संसार में ले जाएगा। (प्रकाशितवाक्य ७:१४) अंत तक दृढ़ रहने के लिए क्या ही प्रोत्साहन! और यह दर्शन हमें काफ़ी कुछ और सिखा सकता है, जैसा हम अगले लेख में देखेंगे।
[फुटनोट]
a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित पुस्तकें “तेरा नाम पवित्र माना जाए,” (अंग्रेज़ी) पृष्ठ ३१३-१४, और प्रकाशितवाक्य—इसकी महान पराकाष्ठा निकट!, (अंग्रेज़ी) पृष्ठ १६४-५ देखिए।
b निर्गमन २:१५-२२; ३:१-६; ५:२; ७:८-१३; ८:१८; १९:१६-१९; व्यवस्थाविवरण ३१:२३; १ राजा १७:८-१६; १८:२१-४०; १९:१, २, ८-१८; २ राजा २:१-१४.
c पुस्तक प्रकाशितवाक्य—इसकी महान पराकाष्ठा निकट! के पृष्ठ १३३-४१ देखिए।
d वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित पुस्तक आप अरमगिदोन से बचकर परमेश्वर के नए संसार में जा सकते हैं, (अंग्रेज़ी) पृष्ठ २८१-३ देखिए।
e “तेरा नाम पवित्र माना जाए,” पृष्ठ ३१७-२० देखिए।
क्या आपको याद है?
◻ रूपांतरण में यीशु के साथ कौन दिखायी दिए?
◻ रूपांतरण के द्वारा प्रेरितों का विश्वास कैसे मज़बूत हुआ?
◻ जब रूपांतरण में यीशु के साथ मूसा और एलिय्याह “महिमा सहित” दिखायी दिए, उन्होंने किसको चित्रित किया?
◻ एक ओर मूसा और एलिय्याह और दूसरी ओर परमेश्वर के इस्राएल के बीच क्या समानताएँ हैं?
[पेज 10 पर तसवीर]
रूपांतरण ने पुराने और वर्तमान मसीहियों के विश्वास को मज़बूत किया है