जो कैसर का है वह कैसर को देना
“हर एक का हक्क चुकाया करो।”—रोमियों १३:७.
१, २. (क) यीशु के अनुसार, मसीहियों को परमेश्वर के प्रति और कैसर के प्रति अपनी बाध्यताओं को कैसे संतुलित करना चाहिए? (ख) यहोवा के साक्षियों की सबसे प्रमुख चिन्ता क्या है?
यीशु के अनुसार, ऐसी चीज़ें हैं जो हम परमेश्वर को देने के लिए बाध्य हैं और ऐसी भी हैं जो हम कैसर, या सरकार को देने के लिए बाध्य हैं। यीशु ने कहा: “जो कैसर का है वह कैसर को, और जो परमेश्वर का है परमेश्वर को दो।” इन चंद शब्दों में, उसने अपने बैरियों को हैरानी में डाल दिया और उस संतुलित मनोवृत्ति का संक्षिप्त सार दिया जो परमेश्वर के साथ हमारे सम्बन्ध और सरकार के साथ हमारे व्यवहार में हमें रखनी चाहिए। इसमें कोई ताज्जुब नहीं कि उसके सुननेवाले “उस पर बहुत अचम्भा करने लगे”!—मरकुस १२:१७.
२ निःसंदेह, यहोवा के सेवकों की सबसे प्रमुख चिन्ता यह है कि वह जो परमेश्वर का है वह परमेश्वर को दें। (भजन ११६:१२-१४) लेकिन, ऐसा करने में वे यह नहीं भूलते कि यीशु ने कहा कि कुछ चीज़ें उन्हें कैसर को देना ज़रूरी है। उनके बाइबल-प्रशिक्षित अंतःकरण माँग करते हैं कि वे प्रार्थनापूर्वक इस पर विचार करें कि वे किस हद तक वे चीज़ें दे सकते हैं जिनकी कैसर माँग करता है। (रोमियों १३:७) आधुनिक समय में, अनेक विधि-वेत्ताओं ने यह स्वीकार किया है कि सरकारी शक्ति की सीमाएँ हैं और कि सभी जगह लोग और सरकारें स्वाभाविक व्यवस्था से बन्धे हुए हैं।
३, ४. स्वाभाविक व्यवस्था, प्रकट व्यवस्था, और मानव व्यवस्था के बारे में कौन-सी दिलचस्प टिप्पणियाँ की गयी हैं?
३ प्रेरित पौलुस ने इस स्वाभाविक व्यवस्था का उल्लेख किया जब उसने संसार के लोगों के बारे में लिखा: “परमेश्वर के विषय का ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है। क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात् उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते हैं, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं।” यदि वे इसके लिए प्रतिक्रिया दिखाएँगे, यह स्वाभाविक व्यवस्था इन अविश्वासियों के अंतःकरणों को भी प्रेरित करेगी। अतः, पौलुस ने आगे कहा: “जब अन्यजाति लोग जिन के पास व्यवस्था नहीं, स्वभाव ही से व्यवस्था की बातों पर चलते हैं, तो व्यवस्था उन के पास न होने पर भी वे अपने लिये आप ही व्यवस्था हैं। वे व्यवस्था की बातें अपने अपने हृदयों में लिखी हुई दिखाते हैं, और उन के विवेक भी गवाही देते हैं।”—रोमियों १:१९, २०; २:१४, १५.
४ अठारहवीं शताब्दी में, मशहूर अंग्रेज़ विधि-वेत्ता विलियम ब्लैकस्टोन ने लिखा: “यह स्वभाव की व्यवस्था [स्वाभाविक व्यवस्था], जो मानवजाति की समकालीन [के जितनी पुरानी] और स्वयं परमेश्वर द्वारा लिखवायी हुई है, बाध्यता में यह निश्चित ही किसी भी अन्य व्यवस्था से ऊँची है। यह पूरी पृथ्वी पर, सभी देशों में, और हर काल में बाध्यकारी है: कोई भी मानवी व्यवस्था, यदि इसके विरुद्ध है तो उसकी कोई भी मान्यता नहीं है।” ब्लैकस्टोन ने “प्रकट व्यवस्था” के बारे में कहा जैसा कि बाइबल में पाया जाता है, और उसने टिप्पणी की: “इन दो बुनियादों पर, अर्थात् स्वभाव की व्यवस्था और प्रकटीकरण की व्यवस्था पर, सभी मानव नियम निर्भर करते हैं; कहने का अर्थ यह है कि किसी भी मानव नियम को इनका खण्डन करने की सम्मति [अनुमति] नहीं देनी चाहिए।” यह उस बात के सामंजस्य में है जो यीशु ने परमेश्वर और कैसर के बारे में कही, जैसा कि मरकुस १२:१७ में अभिलिखित है। स्पष्ट रूप से, ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ एक मसीही से कैसर जो माँग कर सकता है उस पर परमेश्वर सीमाएँ लगाता है। यहूदी महासभा ने ऐसी ही एक मर्यादा पार की जब उन्होंने प्रेरितों को यीशु के बारे में प्रचार न करने की आज्ञा दी। अतः, प्रेरितों ने सही रूप से जवाब दिया: “मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना ही कर्तव्य कर्म है।”—प्रेरितों ५:२८, २९.
“जो परमेश्वर का है”
५, ६. (क) वर्ष १९१४ में राज्य के जन्म को ध्यान में रखते हुए, मसीहियों को मन में और नज़दीक़ी से क्या रखना चाहिए? (ख) कैसे एक मसीही प्रमाण देता है कि वह एक सेवक है?
५ ख़ासकर १९१४ से, जब यहोवा परमेश्वर, सर्वशक्तिमान ने मसीह के मसीहाई राज्य द्वारा राजा के तौर पर शासन करना आरम्भ किया, मसीहियों को निश्चित करना पड़ा है कि जो परमेश्वर का है वह कैसर को न दें। (प्रकाशितवाक्य ११:१५, १७) पहले से कहीं ज़्यादा, अब परमेश्वर का नियम मसीहियों से इस “संसार के नहीं” होने की माँग करता है। (यूहन्ना १७:१६) अपने जीवन-दाता, परमेश्वर को समर्पित होने की वजह से, उन्हें स्पष्ट तौर पर दिखाना चाहिए कि अब से उन पर उनका अपना अधिकार नहीं है। (भजन १००:२, ३) जैसा पौलुस ने लिखा, “हम प्रभु ही के हैं।” (रोमियों १४:८) इसके अलावा, एक मसीही के बपतिस्मे पर, वह परमेश्वर के एक सेवक के तौर पर नियुक्त किया जाता है, ताकि वह पौलुस की तरह कह सके: ‘परमेश्वर ने हमें सेवक होने के योग्य किया है।’—२ कुरिन्थियों ३:५, ६.
६ प्रेरित पौलुस ने यह भी लिखा: “मैं अपनी सेवा की बड़ाई करता हूं।” (रोमियों ११:१३) निश्चित रूप से हमें भी ऐसा करना चाहिए। चाहे हम सेवकाई में पूर्ण-समय अथवा कुछ समय हिस्सा लेते हैं, हम इसे मन में रखते हैं कि ख़ुद यहोवा ने हमें अपनी सेवकाई के लिए नियुक्त किया है। (२ कुरिन्थियों २:१७) चूँकि कुछ लोग हमारी स्थिति को चुनौती दे सकते हैं, प्रत्येक समर्पित, बपतिस्मा-प्राप्त मसीही को साफ़ और सकारात्मक प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए तैयार रहना चाहिए कि वह सचमुच सुसमाचार का एक सेवक है। (१ पतरस ३:१५) उसकी सेवकाई उसके चालचलन से भी प्रमाणित होनी चाहिए। परमेश्वर के एक सेवक के तौर पर, एक मसीही को शुद्ध नैतिक गुणों को प्रोत्साहित करना और उनका अभ्यास करना, परिवार की एकता को ऊँचा उठाना, ईमानदार होना, और क़ानून और व्यवस्था के प्रति आदर दिखाना चाहिए। (रोमियों १२:१७, १८; १ थिस्सलुनीकियों ५:१५) एक मसीही का परमेश्वर के साथ सम्बन्ध और उसकी ईश्वरीय रूप से नियुक्त सेवकाई उसके जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण बातें हैं। वह इन्हें कैसर के आदेश पर नहीं त्याग सकता। स्पष्ट तौर पर, इन्हें “जो परमेश्वर का है” उसमें गिना जाना है।
“जो कैसर का है”
७. कर चुकाने के बारे में यहोवा के साक्षियों की क्या प्रतिष्ठा है?
७ यहोवा के साक्षी जानते हैं कि वे सरकारी शासकों “प्रधान अधिकारियों के आधीन” रहने के लिए बाध्य हैं। (रोमियों १३:१) इसलिए, जब कैसर, सरकार, जायज़ माँग करती है, तो उनका बाइबल-प्रशिक्षित अंतःकरण उन्हें इन माँगों को पूरा करने की अनुमति देता है। उदाहरण के लिए, सच्चे मसीही पृथ्वी पर सबसे अनुकरणीय कर देनेवालों में से हैं। जर्मनी में समाचार-पत्र मंचनर मॆरकूर ने यहोवा के साक्षियों के बारे में कहा: “संघीय गणराज्य में वे सबसे ईमानदार तथा सबसे समयनिष्ठ कर देनेवाले हैं।” इटली के समाचार-पत्र लॉ स्टॉम्पॉ ने कहा: “वे [यहोवा के साक्षी] सबसे वफ़ादार नागरिक हैं जिनकी कोई इच्छा कर सकता है: वे करों में धोखा नहीं करते अथवा अपने फ़ायदे के लिए असुविधाजनक नियमों से बचने की कोशिश नहीं करते।” यहोवा के साक्षी अपने ‘अंतःकरण के कारण’ ऐसा करते हैं।—रोमियों १३:५, ६, NW.
८. क्या वह जो हम कैसर को देने के लिए बाध्य हैं वित्तीय कर अदायगी तक ही सीमित है?
८ क्या “जो कैसर का है” वह कर देने तक ही सीमित है? जी नहीं। पौलुस ने अन्य बातों की सूची दी, जैसे भय और आदर। अपनी मत्ती सुसमाचार की समीक्षात्मक और व्याख्यात्मक हस्त-पुस्तिका (अंग्रेज़ी) में, जर्मन विद्वान हाईनरिच मॆयॆर ने लिखा: “[जो कैसर का है] उससे . . . हमें सिर्फ नागरिक कर ही नहीं समझना है, बल्कि वह हर चीज़ जिसके ऊपर अपने जायज़ शासन के कारण कैसर का अधिकार है।” इतिहासकार इ. डब्ल्यू. बार्न्ज़, ने अपनी पुस्तक मसीहियत का उत्थान में कहा कि एक मसीही कर देता यदि वह उनका ऋणी था, और “इसी प्रकार सभी सरकारी बाध्यताएँ मानता, बशर्ते उससे कैसर को उन चीज़ों को देने की माँग नहीं की जाती जो परमेश्वर की हैं।”
९, १०. एक मसीही को कैसर को उसका हक्क देने के बारे में शायद क्या संकोच हो, लेकिन किन तथ्यों को मन में रखा जाना चाहिए?
९ उन चीज़ों पर अतिक्रमण किए बिना जो न्यायसंगत रूप से परमेश्वर की हैं सरकार शायद किन चीज़ों की माँग करे ? कुछ लोगों ने महसूस किया है कि वे न्यायसंगत रूप से कैसर को कर के रूप में पैसे तो दे सकते हैं परन्तु इसके अलावा कुछ नहीं। वे निश्चित ही कैसर को ऐसा कुछ भी देने में आराम महसूस नहीं करते जो शायद वह समय ले जिसे आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। फिर भी, हालाँकि यह सच है कि हमें “प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना” चाहिए, यहोवा हमसे हमारी पवित्र सेवा के अलावा और बातों में भी समय बिताने की अपेक्षा करता है। (मरकुस १२:३०; फिलिप्पियों ३:३) उदाहरण के लिए, एक विवाहित मसीही को अपने विवाह साथी को प्रसन्न करने के लिए समय बिताने की सलाह दी गयी है। ऐसी गतिविधियाँ बुरी नहीं हैं, लेकिन प्रेरित पौलुस कहता है कि ये ‘संसार की बातें’ हैं ‘प्रभु की बातें’ नहीं।—१ कुरिन्थियों ७:३२-३४; १ तीमुथियुस ५:८ से तुलना कीजिए।
१० इसके अलावा, मसीह ने अपने अनुयायियों को कर ‘देने’ के लिए अधिकृत किया, और इसमें निश्चित ही वह समय इस्तेमाल करना शामिल है जो यहोवा को समर्पित है—चूँकि हमारा सम्पूर्ण जीवन परमेश्वर को समर्पित है। यदि एक देश में औसत कराधान आय का ३३ प्रतिशत है (कुछ देशों में यह अधिक है), इसका अर्थ यह है कि हर साल एक औसत कर्मचारी सरकार के ख़ज़ाने में अपने चार महीने की कमाई के बराबर देता है। दूसरे शब्दों में, जितने समय तक वह नौकरी करता है उसके अन्त तक, औसत कर्मचारी उस कर की रक़म को कमाने में जिसकी “कैसर” माँग करता है लगभग १५ साल बिता चुका होगा। स्कूल में शिक्षा के मामले पर भी विचार कीजिए। अधिकांश देशों में क़ानून माँग करता है कि माता-पिता अपने बच्चों को न्यूनतम वर्षों तक स्कूल अवश्य भेजें। स्कूलीय शिक्षा के वर्ष अलग-अलग देश में भिन्न हैं। अधिकतर स्थानों में यह एक लम्बी समयावधि होती है। सच है, ऐसी स्कूलीय शिक्षा प्रायः लाभदायक होती है, लेकिन वह कैसर है जो इस बात को निर्धारित करता है कि बच्चे के जीवन का कितना भाग इस तरह बिताया जाए, और मसीही माता-पिता कैसर के निर्णय को मानते हैं।
अनिवार्य सैन्य सेवा
११, १२. (क) अनेक देशों में कैसर कौन-सी माँग करता है? (ख) प्रारम्भिक मसीहियों ने सैन्य सेवा को किस दृष्टि से देखा?
११ कुछ देशों में एक और माँग जो कैसर द्वारा की जाती है वह है अनिवार्य सैन्य सेवा। बीसवीं शताब्दी में, यह प्रबन्ध अधिकतर राष्ट्रों द्वारा युद्ध के समय में और कुछ राष्ट्रों में शान्ति के समय में भी स्थापित किया गया है। फ्रांस में अनेक साल तक यह बाध्यता लहू कर कहलाती थी, जिसका अर्थ है कि हर एक जवान को देश के लिए अपनी जान देने के लिए तैयार रहना था। क्या यह ऐसी चीज़ है जिसे यहोवा को समर्पित लोग कर्त्तव्यनिष्ठा से दे सकते हैं? पहली-शताब्दी के मसीहियों ने इस मामले को किस दृष्टि से देखा?
१२ जबकि प्रारम्भिक मसीहियों ने अच्छे नागरिक बनने का प्रयास किया, उनके विश्वास ने उन्हें दूसरे का जीवन लेने अथवा देश के लिए स्वयं अपने जीवन का बलिदान करने से रोका। धर्म का विश्वकोष (अंग्रेज़ी) कहता है: “प्रारम्भिक गिरजे के फ़ादर जिसमें टर्टुलियन और ऑरिजन शामिल हैं, ने यह पुष्टि की कि मसीहियों को मानव जीवन लेने से मना किया गया था, एक ऐसा सिद्धान्त जिसने उन्हें रोमी सेना में हिस्सा लेने से रोका।” अपनी पुस्तक प्रारम्भिक चर्च और संसार (अंग्रेज़ी) में प्रोफ़ॆसर सी. जे. काडु लिखता है: “कम-से-कम मारकस ऑरिलियस के शासन तक [सा. यु. १६१-१८०], कोई भी मसीही अपने बपतिस्मे के बाद सैनिक नहीं बनता।”
१३. क्यों मसीहीजगत के अधिकतर लोग सैन्य सेवा को उस दृष्टि से नहीं देखते जैसे प्रारम्भिक मसीही देखते थे?
१३ आज मसीहीजगत के गिरजों के सदस्य बातों को इस दृष्टिकोण से क्यों नहीं देखते? एक आमूल परिवर्तन के कारण जो कि चौथी शताब्दी में हुआ था। कैथोलिक प्रकाशन मसीही परिषदों का इतिहास (अंग्रेज़ी) समझाता है: “विधर्मी सम्राटों के आधीन अनेक मसीहियों को सैन्य सेवा के बारे में धर्म-संकोच था, और उन्होंने हथियार उठाने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया, अथवा उसे छोड़ कर भाग गए। [सा. यु. ३१४ में हुई, ऑरल की] धर्मसभा ने, कॉन्सटेन्टीन के द्वारा लाए गए परिवर्तनों पर विचार करते हुए, यह बाध्यता स्थापित की कि मसीहियों को युद्ध में सेवा करना ज़रूरी था, . . . क्योंकि चर्च मसीहियों के प्रति मैत्रीपूर्ण एक राजकुमार के अधीन शान्ति में (इन पीस) है।” यीशु की शिक्षाओं को छोड़ने के परिणामस्वरूप, उस समय से लेकर अब तक, मसीहीजगत के पादरीवर्ग ने अपने झुण्डों को राष्ट्रों की सेनाओं में सेवा करने के लिए प्रोत्साहित किया है, हालाँकि कुछ व्यक्तियों ने अंतःप्रेरित आपत्तिकर्त्ता के तौर पर एक स्थिति अपनायी है।
१४, १५. (क) किस आधार पर कुछ स्थानों में मसीही सैन्य सेवा से विमुक्ति का दावा करते हैं? (ख) जहाँ विमुक्ति उपलब्ध नहीं है, कौन-से शास्त्रीय सिद्धान्त एक मसीही को सैन्य सेवा के मामले में सही निर्णय लेने में मदद करेंगे?
१४ क्या आज मसीही इस मामले में बहुसंख्यकों का अनुसरण करने के लिए बाध्य हैं? जी नहीं। यदि एक समर्पित, बपतिस्मा-प्राप्त मसीही ऐसे देश में रहता है जहाँ धर्म के सेवकों को सैन्य सेवा विमुक्ति दी जाती है, वह इस प्रबन्ध का लाभ उठा सकता है, क्योंकि वह वास्तव में एक सेवक है। (२ तीमुथियुस ४:५) अनेक देशों में, जिनमें अमरीका और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, युद्ध के समय में भी ऐसी विमुक्ति दी गयी है। और शान्ति के समय के दौरान, ऐसे देशों में जो अनिवार्य सैन्य सेवा को क़ायम रखते हैं, यहोवा के साक्षियों को, धर्म के सेवकों के तौर पर, विमुक्ति प्रदान की गई है। अतः वे अपनी जन सेवा के द्वारा लोगों की मदद करना जारी रख सकते हैं।
१५ लेकिन, तब क्या यदि एक मसीही ऐसे देश में रहता है जहाँ धर्म के सेवकों को विमुक्ति प्रदान नहीं की जाती? तब उसे अपने बाइबल-प्रशिक्षित अंतःकरण पर चलते हुए एक व्यक्तिगत निर्णय करना होगा। (गलतियों ६:५) जबकि वह कैसर के अधिकार को ध्यान में रखेगा, वह इस बात को ध्यानपूर्वक तोलेगा कि वह यहोवा को क्या देने के लिए बाध्य है। (भजन ३६:९; ११६:१२-१४; प्रेरितों १७:२८) वह मसीही यह याद रखेगा कि एक सच्चे मसीही की पहचान है अपने सभी संगी विश्वासियों के लिए प्रेम, उनके लिए भी जो दूसरे देशों में रहते अथवा दूसरी जातियों के हैं। (यूहन्ना १३:३४, ३५; १ पतरस २:१७) इसके अलावा, वह उन शास्त्रीय सिद्धान्तों को नहीं भूलेगा जो यशायाह २:२-४; मत्ती २६:५२; रोमियों १२:१८; १४:१९; २ कुरिन्थियों १०:४; और इब्रानियों १२:१४ जैसे शास्त्रपाठों में पाए जाते हैं।
असैनिक सेवा
१६. कुछ देशों में, जो सैन्य सेवा को स्वीकार नहीं करते, उनसे कैसर कौन-सी ग़ैरफौजी सेवा की माँग करता है?
१६ लेकिन, ऐसे देश हैं, जहाँ सरकार, हालाँकि धर्म के सेवकों को विमुक्ति नहीं देती, फिर भी यह मानती है कि कुछ लोगों को सैन्य सेवा से आपत्ति हो सकती है। इन में से अनेक देश ऐसे कर्त्तव्यनिष्ठ व्यक्तियों को सैन्य सेवा में ज़बरदस्ती न भेजे जाने के प्रबन्ध करते हैं। कुछ स्थानों में एक अनिवार्य असैनिक सेवा को, जैसे कि समुदाय में उपयोगी कार्य, ग़ैरफौजी राष्ट्रीय सेवा के तौर पर देखा जाता है। क्या एक समर्पित मसीही ऐसी सेवा कर सकता है? यहाँ भी, एक समर्पित, बपतिस्मा-प्राप्त मसीही को अपने बाइबल-प्रशिक्षित अंतःकरण पर आधारित ख़ुद अपना निर्णय करना होता।
१७. ग़ैरफौजी असैनिक सेवा का क्या कोई बाइबलीय पूर्वोदाहरण है?
१७ ऐसा लगता है अनिवार्य सेवा की प्रथा बाइबल समय में थी। एक इतिहास की पुस्तक कहती है: “यहूदिया के निवासियों से कर और शुल्क लेने के अलावा, बेगार [जन अधिकारियों द्वारा ली जानेवाली बेगार मज़दूरी] भी थी। यह पूर्व में एक प्राचीन प्रथा थी, जिसे यूनानीवादी और रोमी अधिकारियों ने क़ायम रखना जारी रखा। . . . नया नियम भी, यहूदिया में बेगार के उदाहरण पेश करता है, और दिखाता है कि यह कितनी विस्तृत थी। इस प्रथा के अनुरूप, सैनिक ने शमौन नाम एक कुरेनी पर यीशु का क्रूस [यातना स्तंभ] उठाने के लिए दबाव डाला (मत्ती ५:४१; २७:३२; मरकुस १५:२१; लूका २३:२६)।”
१८. किस प्रकार की ग़ैरफौजी, ग़ैरधार्मिक सामुदायिक सेवा में यहोवा के साक्षी प्रायः सहयोग देते हैं?
१८ इसी प्रकार, कुछ देशों के नागरिकों से आज सरकार द्वारा अथवा स्थानीय अधिकारियों द्वारा विभिन्न प्रकार की सामुदायिक सेवा में भाग लेने की माँग की जाती है। कभी-कभी यह एक निश्चित काम के लिए होती है, जैसे कुँए खोदना या सड़कें बनाना; कभी-कभी यह नियमित तौर पर होती है, जैसे प्रति सप्ताह सड़कों, स्कूलों, अथवा अस्पतालों की सफ़ाई में हिस्सा लेना। जहाँ ऐसी असैनिक सेवा समुदाय के भले के लिए हो और झूठे धर्म से सम्बन्धित न हो, अथवा किसी दूसरे तरीक़े से यहोवा के साक्षियों के अंतःकरणों को आपत्तिजनक न हो, तो उन्होंने प्रायः आज्ञापालन किया है। (१ पतरस २:१३-१५) यह प्रायः एक उत्तम गवाही में परिणित हुआ है और कभी-कभी इसने उन लोगों के मुँह बन्द किए हैं जो झूठे रूप से साक्षियों पर सरकार-विरोधी होने का इल्ज़ाम लगाते हैं।—मत्ती १०:१८ से तुलना कीजिए।
१९. एक मसीही को मामले को किस प्रकार संभालना चाहिए यदि कैसर उससे कुछ समयावधि तक ग़ैरफौजी राष्ट्रीय सेवा करने की माँग करता है?
१९ लेकिन, तब क्या यदि सरकार एक मसीही से कुछ समयावधि के लिए असैनिक सेवा करने की माँग करे जो कि ग़ैरफौजी प्रशासन के अधीन राष्ट्रीय सेवा का एक हिस्सा है? यहाँ एक बार फिर, एक जानकार अंतःकरण पर आधारित, मसीहियों को अपना ख़ुद का निर्णय करने की ज़रूरत है। “हम सब के सब परमेश्वर के न्याय सिंहासन के साम्हने खड़े होंगे।” (रोमियों १४:१०) कैसर की माँग से निपट रहे मसीहियों को प्रार्थनापूर्वक मामले का अध्ययन करना और उस पर मनन करना चाहिए।a कलीसिया में प्रौढ़ मसीहियों से मामले पर बात करना भी शायद बुद्धिमानी हो। इसके बाद एक व्यक्तिगत निर्णय किया जाना चाहिए।—नीतिवचन २:१-५; फिलिप्पियों ४:५.
२०. कौन-से सवाल और शास्त्रीय सिद्धान्त एक मसीही को ग़ैरफौजी राष्ट्रीय असैनिक सेवा के मामले में तर्क करने में मदद देते हैं?
२० ऐसी खोज करते समय, मसीही अनेक बाइबल सिद्धान्तों पर ध्यान देते। पौलुस ने कहा कि हम “हाकिमों और अधिकारियों के आधीन रहें, . . . हर एक अच्छे काम के लिये तैयार रहें, . . . कोमल स्वभाव के हों, और सब मनुष्यों के साथ बड़ी नम्रता के साथ रहें।” (तीतुस ३:१, २) उसी के साथ, मसीही उस प्रस्तावित असैनिक काम की जाँच करके अच्छा करते। यदि वे उसे स्वीकार करते हैं, तो क्या वे मसीही तटस्थता क़ायम रख सकेंगे? (मीका ४:३, ५; यूहन्ना १७:१६) क्या यह उन्हें किसी झूठे धर्म के साथ उलझाता? (प्रकाशितवाक्य १८:४, २०, २१) क्या उसे करना उन्हें अपनी मसीही ज़िम्मेदारियों को पूरा करने से रोकता अथवा अनुचित रूप से सीमित करता? (मत्ती २४:१४; इब्रानियों १०:२४, २५) दूसरी ओर, क्या वे आध्यात्मिक उन्नति करते रहने में समर्थ होते, शायद अनिवार्य सेवा को पूरा करने के साथ-साथ पूर्ण-समय सेवकाई में भी हिस्सा ले पाते?—इब्रानियों ६:११, १२.
२१. ग़ैरफौजी राष्ट्रीय असैनिक सेवा के मामले से निपट रहे एक भाई के प्रति कलीसिया का क्या दृष्टिकोण होना चाहिए, चाहे उसका कोई भी निर्णय क्यों न हो?
२१ तब क्या यदि ऐसे सवालों का मसीही का सच्चा जवाब उसे इस नतीजे पर पहुँचाता है कि राष्ट्रीय असैनिक सेवा एक ‘अच्छा काम’ है जिसे वह अधिकारियों की आज्ञाकारिता में कर सकता है? यह यहोवा के सामने उसका निर्णय है। नियुक्त प्राचीन और दूसरे लोगों को इस भाई के अंतःकरण का पूर्ण रूप से आदर करना और उसे एक अच्छी स्थिति रखनेवाले मसीही के तौर पर मानना जारी रखना चाहिए। लेकिन, यदि, एक मसीही महसूस करता है कि वह यह असैनिक सेवा नहीं कर सकता, तो उसकी स्थिति का भी आदर किया जाना चाहिए। वह भी अच्छी स्थिति में रहता है और उसे प्रेममय समर्थन मिलना चाहिए।—१ कुरिन्थियों १०:२९; २ कुरिन्थियों १:२४; १ पतरस ३:१६.
२२. हमारे सामने चाहे कोई परिस्थिति क्यों न हो, हम क्या करना जारी रखेंगे?
२२ मसीहियों के तौर पर हम “जिस का आदर करना चाहिए उसका आदर” करना नहीं छोड़ेंगे। (रोमियों १३:७) हम अच्छी व्यवस्था का आदर करेंगे और शान्तिमय, विधि-पालक नागरिक बनने की कोशिश में रहेंगे। (भजन ३४:१४) हम शायद “राजाओं और सब पदाधिकारियों के लिए” प्रार्थना भी करें जब इन व्यक्तियों को ऐसे निर्णय करने होते हैं जो हमारे मसीही जीवन और काम को प्रभावित करते हैं। हमारे द्वारा जो कैसर का है वह कैसर को देने के परिणामस्वरूप, हम यह आशा करते हैं कि “हम चैन और शान्ति सहित, पूर्ण भक्ति तथा गम्भीरता के साथ जीवन व्यतीत कर सकें।” (१ तीमुथियुस २:१, २, NHT) सबसे प्रमुख, मानवजाति की एकमात्र आशा के तौर पर हम राज्य के सुसमाचार का प्रचार करना जारी रखेंगे, कर्त्तव्यनिष्ठा से जो परमेश्वर का है वह परमेश्वर को देते रहेंगे।
[फुटनोट]
a मई १५, १९६४ की प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी), पृष्ठ ३०८, अनुच्छेद २१ देखिए।
क्या आप समझा सकते हैं?
◻ कैसर और यहोवा के साथ अपने सम्बन्ध को संतुलित करने में एक मसीही की सबसे प्रमुख चिन्ता क्या है?
◻ हम यहोवा को क्या देने के लिए बाध्य हैं जो हम कैसर को कभी नहीं दे सकते?
◻ कौन-सी कुछ चीज़े हैं जो हम उचित रूप से कैसर को देते हैं?
◻ अनिवार्य सैन्य सेवा के मामले में सही निर्णय लेने में कौन-से शास्त्रवचन हमारी मदद करते हैं?
◻ कौन-सी कुछ बातें मन में रखनी चाहिए यदि हमें ग़ैरफौजी राष्ट्रीय असैनिक सेवा के लिए बुलाया जाता है?
◻ यहोवा और कैसर के सम्बन्ध में, हम क्या करना जारी रखते हैं?
[पेज 16, 17 पर तसवीरें]
प्रेरितों ने महासभा से कहा: “मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना ही कर्तव्य कर्म है”