आइए हम बुराई से घृणा करें
यहोवा एक पवित्र परमेश्वर है। प्राचीन समयों में वह ‘इस्राएल का पवित्र’ था और ऐसा होने के कारण उसने माँग की कि इस्राएल को शुद्ध, निष्कलंक रहना था। (भजन ८९:१८) उसने अपने चुने हुए लोगों को बताया: “तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं।” (लैव्यव्यवस्था ११:४५) कोई भी व्यक्ति जो ‘यहोवा के पर्वत पर चढ़ना’ चाहता था उसे ‘काम में निर्दोष और हृदय में शुद्ध’ होना था। (भजन २४:३, ४) इसका अर्थ पापमय कार्यों से मात्र दूर रहने से अधिक था। इसका अर्थ था “बुराई से बैर रखना।”—नीतिवचन ८:१३.
प्रेमपूर्वक, यहोवा ने विस्तृत नियम दिए जिससे इस्राएल की जाति दुराचार को पहचान सकती और उससे दूर रह सकती थी। (रोमियों ७:७, १२) इन नियमों में नैतिकता पर सख़्त निर्देश शामिल थे। परस्त्रीगमन, समलिंगी कार्य, कौटुम्बिक अनैतिक सम्बन्ध, और पशुगमन इन सभी की अपवित्र आध्यात्मिक प्रदूषकों के रूप में पहचान कराई गई थी। (लैव्यव्यवस्था १८:२३; २०:१०-१७) जो ऐसे घिनौने कामों के दोषी थे उन्हें इस्राएल की जाति में से नाश किया जाता था।
जब अभिषिक्त मसीहियों की कलीसिया ‘परमेश्वर का इस्राएल’ बनी, तब उनके लिए इसी प्रकार के नैतिक स्तर दिए गए थे। (गलतियों ६:१६) मसीहियों को भी “बुराई से घृणा” करनी थी। (रोमियों १२:९) इस्राएल को कहे गए यहोवा के शब्द उन पर भी लागू होते थे: “पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं।” (१ पतरस १:१५, १६) ऐसे अपवित्र कार्य जैसे व्यभिचार, परस्त्रीगमन, समलिंगी कार्य, पशुगमन, और कौटुम्बिक व्यभिचार द्वारा मसीही कलीसिया को भ्रष्ट नहीं होना था। जो ऐसे कार्यों में शामिल होना नहीं छोड़ना चाहते परमेश्वर के राज्य में उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। (रोमियों १:२६, २७; २:२२; १ कुरिन्थियों ६:९, १०; इब्रानियों १३:४) इन “अन्तिम दिनों” में, यही स्तर “अन्य भेड़” पर लागू होते हैं। (२ तीमुथियुस ३:१; यूहन्ना १०:१६, NW) परिणामस्वरूप, अभिषिक्त मसीही और अन्य भेड़ एक शुद्ध और हितकारी लोग बनते हैं, जो यहोवा के साक्षियों के तौर पर अपने परमेश्वर का नाम धारण करने में समर्थ हैं।—यशायाह ४३:१०.
कलीसिया को शुद्ध रखना
इसकी विषमता में, यह संसार सभी प्रकार की अनैतिकता को नज़रअंदाज़ करता है। हालाँकि सच्चे मसीही भिन्न हैं, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि अनेक जो अब यहोवा की सेवा करते हैं कभी संसार के थे। अनेक ऐसे लोग हैं, जो हमारे पवित्र परमेश्वर को जानने से पहले, “भारी लुचपन” में भोग-विलास करते हुए, अपने पतित शरीर की अभिलाषाओं और स्वैरकल्पनाओं में अन्तर्ग्रस्त न होने का कोई कारण नहीं देखते थे। (१ पतरस ४:४) प्रेरित पौलुस ने, जातियों के भ्रष्ट लोगों के घृणित कार्यों का वर्णन करने के बाद कहा: “तुम में से कितने ऐसे ही थे।” फिर भी, उसने आगे कहा: “परन्तु तुम प्रभु यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्वर के आत्मा से धोए गए, और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे।”—१ कुरिन्थियों ६:११.
यह क्या ही सांत्वनादायक कथन है! अपने जीवन में एक व्यक्ति ने चाहे जो भी किया हो, जब मसीह के बारे में शानदार सुसमाचार उसके हृदय पर प्रभाव डालता है तब वह परिवर्तन करता है। वह विश्वास जताता है और ख़ुद को यहोवा परमेश्वर को समर्पित करता है। उसके बाद से वह नैतिक रूप से एक ऐसा शुद्ध जीवन जीता है, जो परमेश्वर की दृष्टि में धोकर स्वच्छ किया गया है। (इब्रानियों ९:१४) जो पाप उसने पहले किए थे वे क्षमा कर दिए जाते हैं, और वह ‘आगे की बातों की ओर बढ़’ सकता है।a—फिलिप्पियों ३:१३, १४; रोमियों ४:७, ८.
यहोवा ने पश्चातापी दाऊद को हत्या और परस्त्रीगमन के लिए क्षमा किया, और उसने पश्चातापी मनश्शे को अनैतिक मूर्तिपूजा और अत्यधिक रक्तपात के लिए क्षमा किया। (२ शमूएल १२:९, १३; २ इतिहास ३३:२-६, १०-१३) हम वाक़ई कृतज्ञ हो सकते हैं कि यदि हम पश्चाताप करें और सच्चे दिल से और नम्रता से उसके सामने जाएँ तो वह हमें भी क्षमा करने के लिए तैयार होता है। फिर भी, यहोवा द्वारा दाऊद और मनश्शे को क्षमा करने के बावजूद भी, इन दोनों पुरुषों को—और उनके साथ इस्राएल को—अपने पापमय कार्यों के परिणामों के साथ जीना था। (२ शमूएल १२:११, १२; यिर्मयाह १५:३-५) इसी प्रकार, जबकि यहोवा पश्चातापी पापियों को क्षमा कर देता है, फिर भी उनके कार्यों के ऐसे परिणाम हो सकते हैं जिन्हें टाला नहीं जा सकता।
अटल परिणाम
उदाहरण के लिए, एक पुरुष जो अनैतिक लुचपन का जीवन जीता है और उसे एड्स हो जाता है शायद सच्चाई स्वीकार करे और समर्पण और बपतिस्मे तक पहुँचने के लिए अपने जीवन में परिवर्तन करे। अब वह आध्यात्मिक रूप से एक शुद्ध मसीही है जिसके पास परमेश्वर के साथ एक सम्बन्ध और भविष्य के लिए शानदार प्रत्याशा है; लेकिन उसे अभी-भी एड्स है। वह आख़िरकार शायद इस बीमारी से मर जाए, जो एक दुःखद लेकिन उसके पिछले चालचलन का अपरिहार्य परिणाम है। कुछ मसीहियों के लिए पिछली घोर अनैतिकता के प्रभाव दूसरे तरीक़ों से रह सकते हैं। उनके बपतिस्मे के सालों बाद, संभवतः इस रीति-व्यवस्था में उनके बाक़ी जीवन के लिए, शायद उन्हें अपनी पुरानी अनैतिक जीवन-शैली में लौट जाने के अपने शरीर के आवेगों से लड़ना पड़े। यहोवा की आत्मा की सहायता से, अनेक लोग प्रतिरोध करने में क़ामयाब होते हैं। लेकिन उन्हें लगातार एक लड़ाई लड़नी पड़ती है।—गलतियों ५:१६, १७.
ऐसे व्यक्ति जब तक अपने आवेगों को क़ाबू में रखते हैं तब तक पाप नहीं करते। लेकिन यदि वे पुरुष हैं, तो जबकि उन्हें अभी-भी प्रबल शारीरिक आवेगों से संघर्ष करना पड़ रहा हो, वे शायद बुद्धिमत्तापूर्वक कलीसिया में ज़िम्मेदारियों की “अभिलाषा” न करने का निर्णय करें। (१ तीमुथियुस ३:१, NHT) क्यों? क्योंकि वे उस भरोसे को जानते हैं जो कलीसिया प्राचीनों पर करती है। (यशायाह ३२:१, २; इब्रानियों १३:१७) उन्हें यह अहसास होता है कि प्राचीनों से अनेक निजी मामलों में परामर्श लिया जाता है और उन्हें नाज़ुक स्थितियों से निपटना होता है। एक ऐसे व्यक्ति के लिए जो अशुद्ध शारीरिक अभिलाषाओं से लगातार लड़ रहा हो ऐसी ज़िम्मेदारी के पदों की अभिलाषा रखना ना तो प्रेममय, बुद्धिमत्तापूर्ण होगा ना ही तर्कसंगत।—नीतिवचन १४:१६; यूहन्ना १५:१२, १३; रोमियों १२:१.
एक ऐसे व्यक्ति के लिए जो बपतिस्मा लेने से पहले बाल दुर्व्यवहारकर्ता था, अन्य परिणाम हो सकते हैं। जब वह सच्चाई सीखता है, उस क्रूर पाप को कलीसिया में न लाते हुए, वह पश्चाताप करता और मन-फिराव करता है। वह शायद इसके बाद अच्छी उन्नति करे, पूरी तरह से अपने ग़लत आवेगों पर विजय पाए, और यहाँ तक कि कलीसिया में ज़िम्मेदारी के पद की “अभिलाषा” करने के लिए प्रवृत्त हो। लेकिन, तब क्या, यदि उसे अभी-भी समाज में एक पूर्व बाल दुर्व्यवहारकर्ता होने की बदनामी के साथ जीना पड़ता हो? क्या वह ‘निर्दोष, बाहर के लोगों में सुनामी, दोषरहित होता’? (१ तीमुथियुस ३:१-७, १०, NHT; तीतुस १:७) नहीं, वह नहीं होता। अतः, वह कलीसिया विशेषाधिकारों के लिए योग्य नहीं होता।
जब एक समर्पित मसीही पाप करता है
यहोवा समझता है कि हम कमज़ोर हैं और बपतिस्मे के बाद भी हम पाप में पड़ सकते हैं। प्रेरित यूहन्ना ने अपने समय के मसीहियों को लिखा: “मैं ये बातें तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि तुम पाप न करो; और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात् धार्मिक यीशु मसीह। और वही हमारे पापों का प्रायश्चित्त है: और केवल हमारे ही नहीं, बरन सारे जगत के पापों का भी।” (१ यूहन्ना २:१, २) जी हाँ, यीशु के बलिदान के आधार पर, यहोवा उन बपतिस्मा-प्राप्त मसीहियों को क्षमा करेगा जो पाप में पड़ जाते हैं—यदि वे वास्तव में पश्चाताप करते और अपने बुरे मार्ग से फिरते हैं।
इसका एक उदाहरण प्रथम-शताब्दी में कुरिन्थ की कलीसिया में देखा गया था। प्रेरित पौलुस ने उस नई कलीसिया में कौटुम्बिक व्यभिचार के एक मामले के बारे में सुना था, और उसने हिदायतें दीं कि इसमें अन्तर्ग्रस्त पुरुष को बहिष्कृत किया जाए। बाद में, उस पापी ने पश्चाताप किया, और पौलुस ने कलीसिया को उसे बहाल करने के लिए प्रोत्साहित किया। (१ कुरिन्थियों ५:१, १३; २ कुरिन्थियों २:५-९) इस प्रकार, यहोवा की प्रेममय कृपा की चंगाई शक्ति और यीशु के छुड़ौती बलिदान की बड़ी क़ीमत द्वारा, वह व्यक्ति अपने पाप से शुद्ध किया गया। यही बात शायद आज भी हो। लेकिन, फिर से, यदि एक बपतिस्मा-प्राप्त व्यक्ति भी जो पाप करता है, पश्चाताप करता है और यहोवा की दृष्टि में क्षमा किया जाता है, उसके साथ शायद उसके पाप के परिणाम रहें।—नीतिवचन १०:१६, १७; गलतियों ६:७.
उदाहरण के लिए, यदि एक समर्पित लड़की व्यभिचार करती है, वह शायद अपने किए पर बुरी तरह पछताए और आख़िरकार कलीसिया की सहायता से उसे आध्यात्मिक स्वास्थ्य में बहाल किया जा सकता है। लेकिन तब क्या यदि वह अपनी अनैतिकता के कारण गर्भवती हो गई है? तब उसकी पूरी ज़िन्दगी अपरिहार्य रूप से उस काम के द्वारा बदल गयी है जो उसने किया। एक पुरुष जो परस्त्रीगमन करता है शायद पश्चाताप करे और उसे बहिष्कृत न किया जाए। लेकिन उसकी निर्दोष साथी के पास उसे तलाक़ देने का शास्त्रीय आधार है, और वह ऐसा करने का चुनाव कर सकती है। (मत्ती १९:९) यदि वह ऐसा करती है, तो वह पुरुष, हालाँकि यहोवा द्वारा क्षमा किया गया है, फिर भी अपनी बाक़ी ज़िन्दगी अपने पाप के इस गंभीर परिणाम के साथ बिताएगा।—१ यूहन्ना १:९.
उस पुरुष के बारे में क्या जो अप्रीतिकर रूप से दूसरी स्त्री से शादी करने के लिए अपनी पत्नी को तलाक़ देता है? संभवतः वह आख़िरकार पश्चाताप करेगा और कलीसिया में बहाल कर दिया जाएगा। समय के गुज़रते वह शायद उन्नति करे और ‘सिद्धता की ओर बढ़े।’ (इब्रानियों ६:१) लेकिन जब तक उसकी पहली पत्नी बिना साथी के रहती है, वह कलीसिया में ज़िम्मेदारी के पद पर सेवा करने के लिए योग्य नहीं होगा। वह “एक ही पत्नी का पति” नहीं है, क्योंकि उसके पास अपनी पहली पत्नी को तलाक़ देने का कोई शास्त्रीय आधार नहीं था।—१ तीमुथियुस ३:२, १२.
क्या ये शक्तिशाली कारण नहीं हैं कि क्यों एक मसीही को बुराई के प्रति घृणा विकसित करनी चाहिए?
एक बाल दुर्व्यवहारकर्ता के बारे में क्या?
तब क्या यदि एक बपतिस्मा-प्राप्त मसीही एक बच्चे के साथ लैंगिक रीति से दुर्व्यवहार करता है? क्या वह पापी इतना दुष्ट है कि यहोवा उसको कभी माफ़ नहीं करेगा? यह ज़रूरी नहीं हैं। यीशु ने कहा कि “पवित्र आत्मा की निन्दा” अक्षम्य थी। और पौलुस ने कहा कि उस व्यक्ति के लिए जो सच्चाई की पहिचान प्राप्त करने के बाद जानबूझकर पाप करता रहता है, तो उसके पापों के लिए फिर कोई बलिदान बाक़ी नहीं रहता। (लूका १२:१०; इब्रानियों १०:२६, २७) लेकिन बाइबल में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि एक वयस्क मसीही को जो एक बच्चे के साथ लैंगिक रूप से दुर्व्यवहार करता है—चाहे कौटुम्बिक व्यभिचार हो या अन्य प्रकार से—क्षमा नहीं किया जा सकता। निश्चित ही, उसके पापों को धोकर शुद्ध किया जा सकता है यदि वह सच्चे दिल से पश्चाताप करता और अपने चालचलन को बदलता है। लेकिन उसे शायद अब भी उन गन्दे शारीरिक आवेगों से लड़ने की ज़रूरत हो जो उसने विकसित किए थे। (इफिसियों १:७) और ऐसे परिणाम हो सकते हैं जिनसे वह बच नहीं सकता।
जिस देश में वह व्यक्ति रहता है उसके क़ानून पर निर्भर करते हुए, उस दुर्व्यवहारकर्ता को शायद जेल की सज़ा काटनी पड़े या सरकार के अन्य दण्ड भुगतने पड़ें। कलीसिया उसे इससे नहीं बचाएगी। इसके अलावा, उस व्यक्ति ने एक गंभीर कमज़ोरी दिखाई है जिसे आगे से ध्यान में रखा जाएगा। यदि वह पश्चातापी जान पड़ता है, तो उसे आध्यात्मिक उन्नति करने, क्षेत्र सेवकाई में हिस्सा लेने, यहाँ तक कि ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल और सेवा सभा में बिना उपदेश के भागों में हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। लेकिन, इसका यह अर्थ नहीं है कि वह कलीसिया में ज़िम्मेदारी के पद पर कार्य करने के लिए योग्य होगा। इसके लिए शास्त्रीय कारण क्या हैं?
एक कारण यह है कि प्राचीन को “आत्म-संयमी” होना ज़रूरी है। (तीतुस १:८, NHT) सच है कि हममें से किसी के पास भी सम्पूर्ण आत्म-संयम नहीं है। (रोमियों ७:२१-२५) लेकिन एक समर्पित वयस्क मसीही जो बाल लैंगिक दुर्व्यवहार के पाप में पड़ता है एक अप्राकृतिक शारीरिक कमज़ोरी प्रकट करता है। अनुभव ने दिखाया है कि एक ऐसा वयस्क शायद दूसरे बच्चों के साथ भी दुर्व्यवहार करे। सच है कि सभी बाल दुर्व्यवहारकर्ता पाप को नहीं दोहराते, लेकिन अनेक दोहराते हैं। और कलीसिया यह जानने के लिए हृदयों को नहीं पढ़ सकती कि कौन दोबारा बच्चों के साथ दुर्व्यवहार कर सकता है और कौन नहीं। (यिर्मयाह १७:९) अतः, पौलुस की तीमुथियुस को दी गई सलाह उस बपतिस्मा-प्राप्त वयस्क के मामले में ख़ास-तौर पर लागू होती है जिसने बच्चों के साथ दुर्व्यवहार किया हो: “किसी पर शीघ्र हाथ न रखना और दूसरों के पापों में भागी न होना।” (१ तीमुथियुस ५:२२) हमारे बच्चों की हिफ़ाज़त के लिए, एक व्यक्ति जो बाल दुर्व्यवहारकर्ता के तौर पर कुख्यात रहा है कलीसिया में किसी ज़िम्मेदारी के पद के योग्य नहीं होता। इसके अलावा, वह एक पायनियर नहीं हो सकता या अन्य प्रकार की पूर्ण-समय सेवा का कार्य नहीं कर सकता।—निर्गमन २१:२८, २९ में दिए गए सिद्धान्त से तुलना कीजिए।
कुछ लोग शायद पूछें, ‘क्या कुछ लोगों ने दूसरी तरह के पाप नहीं किए और प्रत्यक्षतः पश्चाताप करने के बाद भी दोबारा वही पाप किया?’ जी हाँ, ऐसा हुआ है, लेकिन यहाँ ग़ौर करने के लिए अन्य तत्व भी हैं। उदाहरण के लिए, यदि एक व्यक्ति दूसरे वयस्क व्यक्ति के सामने अनैतिक प्रस्ताव रखता है, तो उस वयस्क को उस पुरुष या स्त्री के प्रस्ताव का प्रतिरोध करने में समर्थ होना चाहिए। बच्चों को भरमाना, उलझाना, या आतंकित करना ज़्यादा आसान है। बाइबल बच्चे की बुद्धि की घटी के बारे में बोलती है। (नीतिवचन २२:१५; १ कुरिन्थियों १३:११) यीशु ने बच्चों को विनम्र मासूमियत के उदाहरण के रूप में इस्तेमाल किया। (मत्ती १८:४; लूका १८:१६, १७) एक बच्चे की मासूमियत में अनुभव की भारी कमी शामिल है। अधिकांश बच्चे खुले, और कहना मानने के लिए उत्सुक होते हैं, और इस प्रकार एक षड्यंत्रकारी वयस्क द्वारा दुर्व्यवहार किए जाने के लिए कमज़ोर होते हैं जिसे वे जानते और जिस पर भरोसा करते हैं। इसलिए, यहोवा के सामने अपने बच्चों को बचाने की कलीसिया की ज़िम्मेदारी है।
सुप्रशिक्षित बच्चे अपने माता-पिता, प्राचीनों, और अन्य वयस्कों की आज्ञा मानना और उनका आदर करना सीखते हैं। (इफिसियों ६:१, २; १ तीमुथियुस ५:१, २; इब्रानियों १३:७) यह एक घोर विकृति होगी यदि इन अधिकार-प्राप्त लोगों में से कोई भी बच्चे के मासूम भरोसे का दुरुपयोग करता है कि उसे लैंगिक कार्यों के आगे झुकने के लिए छल या बल का प्रयोग करे। जिनके साथ इस प्रकार का लैंगिक रूप से दुर्व्यवहार किया गया था वे अकसर इससे परिणित भावनात्मक सदमे से उभरने के लिए वर्षों संघर्ष करते हैं। अतः, एक बाल दुर्व्यवहारकर्ता कलीसिया द्वारा सख़्त अनुशासन और प्रतिबन्धों के योग्य है। यह उसके अधिकार का पद नहीं है बल्कि, इसके बजाय यह कलीसिया की निष्कलंक शुद्धता है जिसकी परवाह की जानी चाहिए।—१ कुरिन्थियों ५:६; २ पतरस ३:१४.
यदि एक बाल दुर्व्यवहारकर्ता सच्चे दिल से पश्चाताप करता है, तो वह बाइबल सिद्धान्तों को लागू करने की बुद्धिमानी को समझेगा। यदि वह वाक़ई बुराई से घृणा करना सीखता है, तो वह उस काम से घृणा करेगा जो उसने किया और अपने पाप को दोहराने से दूर रहने के लिए संघर्ष करेगा। (नीतिवचन ८:१३; रोमियों १२:९) इसके अलावा, वह यहोवा को उसके प्रेम की महानता के लिए निश्चय धन्यवाद देगा, जिसके परिणामस्वरूप एक पश्चातापी पापी, जैसा कि वह है, अभी-भी हमारे पवित्र परमेश्वर की उपासना कर सकता है और उन ‘धर्मी लोगों’ में शामिल होने की आशा कर सकता है जो पृथ्वी पर सर्वदा बसे रहेंगे।—नीतिवचन २:२१.
[फुटनोट]
a प्रहरीदुर्ग के मई १, १९९६ अंक में “पाठकों के प्रश्न” देखिए।
[पेज 28 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
जबकि यहोवा पश्चातापी पापियों को क्षमा करता है, फिर भी उनके कार्यों के ऐसे परिणाम हो सकते हैं जिन्हें टाला नहीं जा सकता