अय्यूब
38 तब तूफान में से यहोवा की आवाज़ सुनायी दी।+ उसने अय्यूब से कहा,
3 हे इंसान, तैयार हो जा!
मैं तुझसे सवाल करूँगा और तू मुझे बता।
4 जब मैंने धरती की नींव डाली तब तू कहाँ था?+
अगर तू इस बारे में जानता है, तो बता।
5 क्या तू जानता है पृथ्वी की नाप किसने तय की?
किसने नापने की डोरी से इसकी लंबाई-चौड़ाई नापी?
8 किसने समुंदर को रोकने के लिए दरवाज़े लगाए?+
जब समुंदर गर्भ से निकला,
9 जब मैंने उसे बादलों के कपड़े पहनाए,
उसे काले घने बादलों में लपेटा,
10 उसकी हदें ठहरायीं,
उसमें पल्ले और बेड़े लगाए,+
11 उससे कहा, ‘तू बस यहाँ तक आ सकता है, इससे आगे नहीं।
तेरी ऊँची लहरें साहिल से टकराकर यहीं रुक जाएँगी,’+ तब तू कहाँ था?
12 क्या तूने कभी* सुबह को हुक्म दिया, ‘अपना उजाला फैला’?
या भोर से कहा, ‘यहाँ से अपनी छटा बिखेर’?+
13 क्या सुबह की किरणों को तूने धरती के छोर तक भेजा
कि वे दुष्ट लोगों को खदेड़कर भगा दें?+
14 किरणों से धरती ऐसे उभरती है, जैसे मुहर के नीचे चिकनी मिट्टी,
धरती का रूप ऐसा नज़र आता है, जैसे कपड़े की सजावट।
15 मगर यही सुबह दुष्ट से उसकी रौशनी छीन लेती है,
जिन हाथों से वह दूसरों पर ज़ुल्म ढाता है, वे तोड़ दिए जाते हैं।
16 क्या तू समुंदर में उतरकर उसके सोते तक गया है?
क्या तू बता सकता है, गहरे सागर में क्या-कुछ पाया जाता है?+
18 क्या तूने धरती की हर जगह देखी और समझी है?+
अगर तू यह सब जानता है तो बता।
21 क्या तू इन चीज़ों के बनने से पहले पैदा हुआ था?
क्या तू इतने सालों से वजूद में है कि तुझे सब मालूम है?
22 क्या तू बर्फ के गोदामों में गया है?+
क्या तूने ओलों के उन भंडारों को देखा है,+
23 जिन्हें मैंने विपत्ति के समय,
युद्ध और लड़ाई के दिन के लिए बचा रखा है?+
25 किसने तेज़ बारिश के लिए आसमान में नहर खोदी है?
गरजते बादलों के लिए बरसने का रास्ता तैयार किया है?+
26 ताकि सुनसान, वीरान जगहों में
जहाँ कोई इंसान नहीं रहता, बौछार हो,+
27 उजड़ी, बंजर ज़मीन की प्यास बुझे
और हरी-हरी घास उग आए।+
29 आसमान का पाला किसके गर्भ से निकला है?
बर्फ ने किसकी कोख से जन्म लिया है,+
30 जब पानी की सतह को जमाया गया
और गहरे सागर को मानो सफेद पत्थर से ढक दिया गया?+
32 क्या तू किसी तारामंडल* को अपने मौसम में चमका सकता है?
क्या तू अश तारामंडल* और उसके बेटों को राह दिखा सकता है?
33 क्या तू आकाशमंडल में ठहराए नियमों को जानता है?+
क्या तू उन* नियमों को पृथ्वी पर लागू करवा सकता है?
35 बिजली को आदेश दे सकता है कि वह अपना काम करे?
क्या वह लौटकर तुझसे कहेगी, ‘मैं आ गयी’?
37 कौन इतना बुद्धिमान है जो बादलों को गिन सकता है?
कौन आसमान की गगरियाँ छलका सकता है+
38 ताकि धूल कीचड़ बन जाए,
मिट्टी के लोंदे आपस में चिपक जाएँ?