आप हमारी मसीही एकता कैसे मज़बूत कर सकते हैं?
“उसी से शरीर के सारे अंग, . . . आपस में पूरे तालमेल से जुड़े हुए हैं और एक-दूसरे को सहयोग देते हैं।”—इफि. 4:16.
1. शुरूआत से ही परमेश्वर के कामों में क्या बात खास रही है?
सृष्टि की शुरूआत से ही यहोवा और यीशु के बीच एकता है। यहोवा ने सबसे पहले यीशु की सृष्टि की थी। फिर यीशु ने उसके साथ काम किया और वह “कुशल कारीगर की तरह उसके साथ” था। (नीति. 8:30, एन.डब्ल्यू.) यहोवा के सेवकों को भी जो काम करना था, उसमें उन्होंने एक-दूसरे को सहयोग दिया। उदाहरण के लिए, नूह और उसके परिवार ने मिलकर जहाज़ बनाया। बाद में, इसराएलियों ने निवासस्थान बनाने, उसके हिस्सों को अलग करने और उसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में साथ मिलकर काम किया। वे मिलकर मंदिर में गीत गाते थे और साज़ बजाते थे, ताकि मधुर संगीत से यहोवा की महिमा हो। यहोवा के लोग एक-दूसरे को सहयोग देने की वजह से ही ये सब काम कर पाए।—उत्प. 6:14-16, 22; गिन. 4:4-32; 1 इति. 25:1-8.
2. (क) पहली सदी की मसीही मंडली में क्या बात गौर करने लायक थी? (ख) हम किन सवालों के जवाब जानेंगे?
2 पहली सदी के मसीहियों ने भी एक-दूसरे को सहयोग दिया। प्रेषित पौलुस ने समझाया कि उन सबकी काबिलीयतें और ज़िम्मेदारियाँ हालाँकि अलग-अलग थीं, फिर भी उनमें एकता थी। वे सभी अपने मुखिया यीशु मसीह की मिसाल पर चले। पौलुस ने उनकी तुलना शरीर से की जिसके कई अंग होते हैं और सभी मिलकर काम करते हैं। (1 कुरिंथियों 12:4-6, 12 पढ़िए।) लेकिन आज हम इन बातों पर कैसे अमल कर सकते हैं? हम कैसे प्रचार काम में, मंडली में और परिवार में एक-दूसरे को सहयोग दे सकते हैं?
प्रचार में एक-दूसरे को सहयोग दीजिए
3. प्रेषित यूहन्ना ने दर्शन में क्या देखा था?
3 पहली सदी में, प्रेषित यूहन्ना ने एक दर्शन देखा था जिसमें सात स्वर्गदूत तुरहियाँ फूँक रहे थे। जब पाँचवें स्वर्गदूत ने अपनी तुरही फूँकी तो यूहन्ना ने “एक तारा देखा जो स्वर्ग से धरती पर गिरा था।” उस तारे के पास एक चाबी थी, जिससे उसने एक गहरे और अंधकार से भरे गड्ढे का दरवाज़ा खोला। पहले तो उस गड्ढे से धुआँ निकला और फिर उस धुएँ में से टिड्डियों का एक दल निकला। इन टिड्डियों ने पेड़-पौधों को नुकसान नहीं पहुँचाया, बल्कि उन लोगों पर हमला किया जिनके “माथे पर परमेश्वर की मुहर नहीं” थी। (प्रका. 9:1-4) यूहन्ना जानता था कि टिड्डियों का दल बहुत नुकसान कर सकता है। मूसा के ज़माने में भी मिस्र में टिड्डियों ने बहुत नुकसान किया था। (निर्ग. 10:12-15) यूहन्ना ने जो टिड्डियाँ देखीं, वे अभिषिक्त मसीहियों को दर्शाती हैं। वे झूठे धर्म के खिलाफ एक ज़बरदस्त संदेश का ऐलान कर रहे हैं। उनके साथ वे लाखों लोग भी जुड़ गए हैं, जिन्हें धरती पर हमेशा जीने की आशा है। वे सब मिलकर प्रचार काम कर रहे हैं। इस काम की वजह से बहुत-से लोग झूठे धर्म को छोड़ पाए हैं और शैतान के चंगुल से निकल पाए हैं।
4. (क) आज यहोवा के लोगों को कौन-सी ज़िम्मेदारी दी गयी है? (ख) इसमें वे कैसे कामयाब हो सकते हैं?
4 हमें यह ज़िम्मेदारी दी गयी है कि अंत आने से पहले हम पूरी दुनिया में लोगों को “खुशखबरी” सुनाएँ। यह बहुत बड़ा काम है! (मत्ती 24:14; 28:19, 20) हमें उन सबको ‘जीवन देनेवाले पानी’ के लिए बुलाना है जो इसके ‘प्यासे’ हैं, यानी हमें उन सबको बाइबल की सच्चाइयाँ सिखानी है जो सीखना चाहते हैं। (प्रका. 22:17) मसीही मंडली का हिस्सा होने के नाते हम इसमें कैसे कामयाब हो सकते हैं? सिर्फ तभी जब हम “आपस में पूरे तालमेल से जुड़े” रहेंगे और एक-दूसरे को सहयोग देंगे।—इफि. 4:16.
5, 6. हम कौन-कौन से काम मिलकर करते हैं?
5 ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को राज की खुशखबरी सुनाने के लिए ज़रूरी है कि हम प्रचार काम कायदे से करें। ऐसा करने में मंडली से मिलनेवाले निर्देशन हमारी मदद करते हैं। प्रचार सभा में हाज़िर होने के बाद हम लोगों को राज की खुशखबरी सुनाने जाते हैं। हम उन्हें बाइबल पर आधारित किताबें-पत्रिकाएँ भी देते हैं। दरअसल हम पूरी दुनिया में लाखों किताबें-पत्रिकाएँ बाँट चुके हैं। कभी-कभी हम खास अभियान में भी हिस्सा लेने के लिए कहा जाता है। जब आप ऐसा करते हैं, तब आप पूरी दुनिया में उन लाखों लोगों के साथ मिलकर काम कर रहे होते हैं, जो आपके जैसा ही संदेश सुना रहे हैं! ऐसा करके आप स्वर्गदूतों के साथ भी काम करते हैं, जो प्रचार करने में परमेश्वर के लोगों की मदद कर रहे हैं।—प्रका. 14:6.
6 दुनिया-भर में हो रहे प्रचार काम के नतीजों के बारे में जब हम इयरबुक में पढ़ते हैं, तो कितना अच्छा लगता है। सोचिए कि जब हम अधिवेशन के लिए लोगों को न्यौता देते हैं, तब हम कैसे दुनिया-भर में साथ मिलकर काम कर रहे होते हैं। अधिवेशन में हम सब एक ही तरह की जानकारी सुनते हैं। भाषणों, नाटकों और प्रदर्शनों से हमें बढ़ावा मिलता है कि हम यहोवा की सेवा में अपना भरसक करें। यीशु की मौत का स्मारक भी हमें एकता में बाँधता है। (1 कुरिं. 11:23-26) हर साल होनेवाले इस समारोह के लिए हम निसान 14 को सूरज ढलने के बाद इकट्ठा होते हैं। इस तरह हम यहोवा की महा-कृपा के लिए अपना एहसान जताते हैं और यीशु की आज्ञा मानते हैं। स्मारक से कुछ हफ्ते पहले हम सब मिलकर ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को न्यौता देते हैं, ताकि वे हमारे साथ इस खास समारोह में हाज़िर हो सकें।
7. मिलकर काम करने से हम क्या कर पाते हैं?
7 एक टिड्डी अकेले ज़्यादा कुछ नहीं कर सकती। उसी तरह हम अकेले सब लोगों को प्रचार नहीं कर सकते। लेकिन साथ मिलकर काम करने से हम लाखों लोगों को यहोवा के बारे में बता पाते हैं। साथ ही, यहोवा की महिमा और आदर करने में कुछ लोगों की मदद भी कर पाते हैं।
मंडली में सहयोग दीजिए
8, 9. (क) इफिसियों 4:15, 16 में, पौलुस ने एकता की अहमियत समझाने के लिए क्या उदाहरण दिया? (ख) हम मंडली में कैसे सहयोग दे सकते हैं?
8 पौलुस ने इफिसुस के मसीहियों को समझाया कि मंडली कैसे संगठित है। उसने यह भी कहा कि मंडली में सभी को ‘सब बातों में बढ़ते जाना’ चाहिए। (इफिसियों 4:15, 16 पढ़िए।) ऐसा करने में क्या बात हम सबकी मदद कर सकती है? पौलुस ने शरीर का उदाहरण देकर समझाया कि कैसे हर मसीही, मंडली के मुखिया यीशु मसीह की मिसाल पर चलने और एकता बनाए रखने में मंडली की मदद कर सकता है। उसने कहा कि शरीर के सभी अंग “ज़रूरी काम करनेवाले हरेक जोड़ के ज़रिए” एक-दूसरे को सहयोग देते हैं। हममें से हरेक, चाहे जवान हो या बुज़ुर्ग, मज़बूत हो या कमज़ोर, मंडली की एकता और आध्यात्मिकता बनाए रखने में मदद कर सकता है। कैसे?
9 यीशु ने प्राचीनों को मंडली की अगुवाई करने के लिए नियुक्त किया है। वह चाहता है कि हम प्राचीनों का आदर करें और वे जो हिदायतें देते हैं उन्हें मानें। (इब्रा. 13:7, 17) ऐसा करना हमेशा आसान नहीं होता। लेकिन हम यहोवा से मदद माँग सकते हैं। उसकी पवित्र शक्ति की मदद से हम प्राचीनों से मिली कोई भी हिदायत मान सकते हैं। यह भी सोचिए कि अगर हम नम्र होंगे और प्राचीनों को सहयोग देंगे, तो हम मंडली की कितनी मदद कर पाएँगे। हमारी मंडली में एकता बनी रहेगी और एक-दूसरे के लिए हमारा प्यार बढ़ता जाएगा।
10. सहायक सेवक कैसे मंडली की एकता बनाए रखने में मदद कर सकते हैं? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)
10 सहायक सेवक भी मंडली की एकता बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। वे प्राचीनों की मदद करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और वे जो करते हैं उसके लिए हम उनके शुक्रगुज़ार हैं। उदाहरण के लिए, सहायक सेवक इस बात का ध्यान रखते हैं कि प्रचार के लिए हमारे पास काफी किताबें-पत्रिकाएँ हों। वे सभाओं में आनेवाले लोगों का स्वागत करते हैं। वे राज-घर का रख-रखाव करने और उसे साफ-सुथरा रखने में भी बहुत मेहनत करते हैं। जब हम इन भाइयों को सहयोग देते हैं, तब हम एकता में बँधे रहते हैं और संगठित तरीके से यहोवा की सेवा करते हैं।—प्रेषितों 6:3-6 से तुलना कीजिए।
11. जवान भाई मंडली की एकता बढ़ाने के लिए क्या कर सकते हैं?
11 कुछ प्राचीन सालों से मंडली में कड़ी मेहनत करते आए हैं। लेकिन अब वे शायद उतना न कर पाएँ जितना पहले करते थे। जवान भाई ऐसे भाइयों की मदद कर सकते हैं। अगर जवान भाइयों को सिखाया जाए, तो वे मंडली में ज़्यादा ज़िम्मेदारियाँ निभा पाएँगे। और जब सहायक सेवक मेहनत करते हैं, तो वे आगे चलकर प्राचीन भी बन सकते हैं। (1 तीमु. 3:1, 10) कुछ जवान प्राचीनों ने काफी तरक्की की है। अब वे सर्किट निगरानों के तौर पर मंडलियों के भाई-बहनों की मदद कर रहे हैं। जब जवान भाई खुशी-खुशी भाई-बहनों की सेवा करते हैं तो क्या हम उनके शुक्रगुज़ार नहीं होते?—भजन 110:3; सभोपदेशक 12:1 पढ़िए।
परिवार में सहयोग दीजिए
12, 13. परिवार में एक-दूसरे को सहयोग देने में क्या बात मदद कर सकती है?
12 परिवार में एक-दूसरे को सहयोग देने में क्या बात मदद कर सकती है? हर हफ्ते पारिवारिक उपासना करने से हम ऐसा कर सकते हैं। जब माता-पिता और बच्चे समय निकालकर एक साथ यहोवा के बारे में सीखते हैं, तो एक-दूसरे के लिए उनका प्यार बढ़ता है और परिवार में एकता बनी रहती है। इस दौरान वे अभ्यास कर सकते हैं कि वे प्रचार में क्या बोलेंगे। इससे प्रचार के लिए सभी अच्छी तरह तैयार हो सकते हैं। यही नहीं, जब वे एक-दूसरे को परमेश्वर के वचन पर बात करते सुनते हैं और देखते हैं कि सभी यहोवा से प्यार करते हैं और उसे खुश करना चाहते हैं, तो वे एक-दूसरे के और करीब आ जाते हैं।
13 यहोवा चाहता है कि पति-पत्नी एक-दूसरे को सहयोग देते रहें। जब वे दोनों यहोवा से प्यार करते हैं और मिलकर उसकी सेवा करते हैं, तो वे अपनी शादीशुदा ज़िंदगी में खुश रहते हैं और उनके बीच एकता बनी रहती है। उन्हें एक-दूसरे के लिए प्यार जताना चाहिए, जैसे अब्राहम और सारा ने, इसहाक और रिबका ने और एल्काना और हन्ना ने एक-दूसरे के लिए प्यार जताया था। (उत्प. 26:8; 1 शमू. 1:5, 8; 1 पत. 3:5, 6) जब पति-पत्नी ऐसा करते हैं, तो उनके बीच एकता बनी रहती है और वे यहोवा के करीब आते हैं।—सभोपदेशक 4:12 पढ़िए।
14. अगर आपका जीवन-साथी यहोवा की सेवा नहीं करता, तो बिना समझौता किए, सहयोग देने के क्या अच्छे नतीजे निकल सकते हैं?
14 बाइबल साफ बताती है कि हमें ऐसे व्यक्ति से शादी नहीं करनी चाहिए, जो यहोवा की सेवा नहीं करता। (2 कुरिं. 6:14) लेकिन कुछ भाई-बहन ऐसे हैं, जिनका जीवन-साथी यहोवा का साक्षी नहीं है। कुछ भाई-बहनों ने शादी के बाद सच्चाई सीखी, मगर उनके साथी ने सच्चाई नहीं अपनायी। कुछ ऐसे हैं जिन्होंने शादी तो यहोवा के साक्षी से की, लेकिन बाद में उनके साथी मंडली से दूर चले गए। ऐसे हालात में, मसीही बाइबल की सलाह मानकर अपनी शादी के बंधन को मज़बूत बनाए रखने की पूरी कोशिश करते हैं। लेकिन ऐसा करना हमेशा आसान नहीं होता। ऐसा ही कुछ मैरी नाम की एक बहन के साथ हुआ। वह और उसका पति डेविड मिलकर यहोवा की सेवा करते थे। लेकिन करीब 25 साल पहले उसके पति ने सभाओं में जाना छोड़ दिया। मगर मैरी वफादारी से सभाओं और अधिवेशनों में जाती रही और घर में बाइबल के सिद्धांतों को अमल में लाने की पूरी कोशिश करती रही। साथ ही, उसने अपने छ: बच्चों को भी यहोवा के बारे में सिखाया। फिर जब बच्चे बड़े हो गए और घर से चले गए, तब मैरी को बहुत अकेलापन महसूस होने लगा। अब उसके लिए यहोवा की सेवा करना बहुत मुश्किल हो गया था, फिर भी वह ऐसा करती रही। फिर डेविड उन पत्रिकाओं को पढ़ने लगा जो मैरी उसके लिए छोड़कर जाती थी। थोड़े समय बाद वह कुछ सभाओं में फिर से जाने लगा। उसका छ: साल का पोता हमेशा उसके लिए सभा में जगह रखता था और अगर डेविड नहीं आता था तो उसका पोता उससे कहता था, “दादाजी, आज सभा में मुझे आपकी बहुत याद आयी।” अब डेविड दोबारा खुशी-खुशी यहोवा की सेवा कर रहा है और मैरी इस बात से खुश है कि वे साथ मिलकर ऐसा कर रहे हैं।
15. बुज़ुर्ग शादीशुदा जोड़े, जवान शादीशुदा जोड़ों की कैसे मदद कर सकते हैं?
15 आज शैतान परिवारों को तोड़ने में तुला हुआ है। इसलिए यह और भी ज़रूरी है कि यहोवा की सेवा करनेवाले पति-पत्नी एक-दूसरे को सहयोग दें। आपकी शादी को चाहे कितना ही समय हो गया हो, फिर भी सोचिए कि अपने शादी के बंधन को मज़बूत करने के लिए आपको क्या कहना या करना चाहिए। बुज़ुर्ग शादीशुदा जोड़े, इस मामले में मंडली के जवान शादीशुदा जोड़ों की मदद कर सकते हैं। आप किसी जवान शादीशुदा जोड़े को अपनी पारिवारिक उपासना के लिए बुला सकते हैं। वे यह समझ पाएँगे कि एक जोड़े की शादी को चाहे कितना भी समय हो गया हो, उन्हें एक-दूसरे के लिए प्यार जताना चाहिए और एकता में बँधे रहना चाहिए।—तीतु. 2:3-7.
‘आओ हम यहोवा के पर्वत पर चढ़ें’
16, 17. एकता में बँधे परमेश्वर के लोग किस बात की आस लगाए हुए हैं?
16 जब इसराएली त्योहार मनाने यरूशलेम जाते थे, तो वे एक-दूसरे को सहयोग देते थे। वे ऐसी हर चीज़ तैयार करते थे, जो सफर के लिए ज़रूरी होती थी। फिर वे साथ में सफर करते थे और एक-दूसरे की मदद करते थे। मंदिर में, वे सभी साथ मिलकर यहोवा की महिमा करते थे और उसकी उपासना करते थे। (लूका 2:41-44) आज जब हम नयी दुनिया में जीने की तैयारी कर रहे हैं, तो हममें एकता होनी चाहिए और हमें एक-दूसरे को सहयोग देने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। क्या आप ऐसा करने के कुछ और भी तरीके सोच सकते हैं?
17 इस दुनिया में लोग कई बातों पर एक-दूसरे से सहमत नहीं होते, यहाँ तक कि वे लड़ाई-झगड़े पर उतर आते हैं। लेकिन हम यहोवा के कितने शुक्रगुज़ार हैं कि उसने शांति बनाए रखने और सच्चाई समझने में हमारी मदद की है। पूरी दुनिया में परमेश्वर के लोग उसी तरह उसकी उपासना करते हैं, जिस तरह वह चाहता है। खासकर इन आखिरी दिनों में, यहोवा के लोगों के बीच पहले से कहीं ज़्यादा एकता है। ठीक जैसे यशायाह और मीका ने भविष्यवाणी की थी, हम साथ मिलकर “यहोवा के पर्वत पर” चढ़ रहे हैं। (यशा. 2:2-4; मीका 4:2-4 पढ़िए।) उस वक्त हम कितने खुश होंगे जब धरती पर सभी लोग “आपस में पूरे तालमेल से जुड़े” होंगे और यहोवा की उपासना करने के लिए एक-दूसरे को सहयोग देंगे!